शीर्ष प्रश्न
समयरेखा
चैट
परिप्रेक्ष्य

पालि व्याकरण

विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

Remove ads

पालि, उत्तर भारत, और विशेष रूप से मगध जनपद की एक प्राचीन प्राकृत है। इसे 'मागधी' भी कहते हैं। जैनों की अर्धमागधी की अपेक्षा यह संस्कृत के अधिक निकट है। जैसे संस्कृत की 'शकुन्तला' को पालि में 'सकुन्तला' कहेंगे।[1]

पालि के वैयाकरण

ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान बुद्ध के प्रधान शिष्य महाकच्चान ने पालि का एक व्याकरण रचा था किन्तु वह नहीं मिलता। बोधिसत्त और सब्बगुणाकर नाम के दो व्याकरण थे जो अब नहीं मिलते। आजकल सच्चान, मोग्गल्लान और सद्दनीति - इन्ही तीन व्याकरणों का अधिक प्रचार है। इन तीन व्याकरणों में कचान व्याकरण अधिक प्राचीन है जो सम्भवतः श्रीलंका में लिखा गया था। यह व्याकरण बड़े सरल ढंग से लिखा गया है। इसका रचनाकाल ७वीं शताब्दी माना जाता है।

पालि व्याकरण के तीनों सम्प्रदायों -कच्चायन, बालावतार और सद्दनीति- को मिलाकर व्याकरण-ग्रंथों की संख्या पचास मानी जाती है। पालि व्याकरण के कुछ प्रमुख ग्रन्थों के नाम ये हैं-

रूपसिद्धि, बालावतार, महानिरुत्ति, चूलनिरुत्ति, निरुत्ति पिटक, सम्बन्धचिन्ता, सद्दसारत्थजालिनी, कच्चान भेद, सदत्थ भेद चिन्ता, कारिका, कारिका वुत्ति, विभत्यत्थ, गन्धत्थी, वाचकोपदेश, नयलक्खण विभावनी, निरुत्तिसंगह, सद्दवुत्ति, कारकपुप्फ मंजरी, गूलत्थदीपनी, मुखमत्तसार, सद्दबिन्दु, सद्दकलिका, सद्दविनिच्छिय इत्यादि।[2]
Remove ads

पालि व्याकरण की मुख्य बातें

वैदिक भाषा एवं संस्कृत की अपेक्षा मध्यकालीन भाषाओं का भेद प्रमुखता से निम्न बातों में पाया जाता है :

  • ध्वनियों में ऋ, लृ, ऐ और इन स्वरों का अभाव,
  • ए और ओ की ह्रस्व ध्वनियों का विकास,
  • श्, ष्, स् इन तीनों ऊष्मों के स्थान पर किसी एकमात्र का तथा सामान्यतः स का प्रयोग,
  • विसर्ग का सर्वथा अभाव तथा असवर्णसंयुक्त व्यंजनों को असंयुक्त बनाने अथवा सवर्ण संयोग में परिवर्तित करने की प्रवृत्ति।

व्याकरण की दृष्टि से अन्तर

  • हलंत रूपों का अभाव;
  • कियाओं में परस्मैपद, आत्मनेपद तथा भवादि, अदादि गणों के भेद का लोप।

ये विशेषताएँ मध्ययुगीन भारतीय आर्यभाषा के सामान्य लक्षण हैं और देश की उन लोकभाषाओं में पाए जाते हैं जिनका सुप्रचार उक्त अवधि से कोई दो हजार वर्ष तक रहा और जिनका बहुत-सा साहित्य भी उपलब्ध है।

Remove ads

कच्चायन व्याकरण

कच्चायन व्याकरण (संस्कृत : 'कात्यायन-व्याकरण') पालि व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है क्योंकि इससे पहले कोई भी व्याकरण ग्रन्थ उपलब्ध नहीं होता है। यह ग्रन्थ कातंत्र-व्याकरण के आधार पर लिखा गया है जिसे शर्व वर्मा में चतुर्थ शताब्दी ईसवी में लिखा था। इसके साथ ही यह पाणिनि के व्याकरण और काशिकावृत्ति का भी अनुसरण करता है। चुकि काशिकावृत्ति का रचनाकाल सातवीं शताब्दी माना जाता है, इसीलिए कच्चायन व्याकरण का भी रचनाकाल यही माना जाता है। इसे ‘कच्चायन-गन्ध’ (कात्यायन ग्रन्थ) के नाम से भी जाना जाता है।

कच्चान के व्याकरण का प्रथम सूत्र है - अत्थो अक्खरसञ्ञातो (अर्थो अक्षरसंज्ञातो ; अर्थात अक्षर से अर्थ का ज्ञान होता है।)

बालावतार

सारांश
परिप्रेक्ष्य

यह पालि भाषा व्याकरण में प्रवेश करने के लिए द्वार-ग्रन्थ है। पालि व्याकरण का अध्ययन प्रारंभ करने के लिए यह बहुत ही उपयोगी ग्रन्थ है। जिस प्रकार आचार्य वरदराज ने पाणिनिकृत अष्टाध्यायी के लगभग ४००० व्याकरण सूत्रों में से १२७६ अति महत्वपूर्ण और उपयोगी सूत्रों को लेकर लघुसिद्धान्तकौमुदी की रचना की, उसी प्रकार धम्मकित्ति (धर्मकीर्ति) ने कच्चायन व्याकरण के ६७५ सूत्रों में से २३७ अति उपयोगी सूत्रों को लेकर बालावतार की रचना की। बालावतार के रचनाकार धम्मकित्ति (धर्मकीर्ति) सिंहल देश (श्रीलंका) के निवासी थे। वे बौद्ध भिक्षु थे जिन्होने ‘निकाय-संग्रह’ और ‘सद्धर्मालंकार’ नामक ग्रन्थ की भी रचना की है। इनके जीवन का परिचय सद्धम्मसंगह नामक पालि ग्रन्थ में मिलता है।

बालावतार का रचनाकाल चौदहवीं शताब्दी है। पालि ग्रन्थ ‘सद्धम्मसंगह’ में इसके रचयिता के जीवन का उल्लेख है। और चुकि सद्धम्मसंगह का रचना काल १४वीं शताब्दी माना जाता है, इसीलिए बलावतार का रचनाकाल भी चौदहवीं शताब्दी माना जाता है। बालावतार पर लिखी गई टीकाएँ भी मिलती है लेकिन उन टीकाओं के टीकाकार का नाम और परिचय नहीं मिलता। हिन्दी भाषा में बालावतार का सर्वप्रथम अनुवाद और सम्पादन स्वामी द्वारिकादास शास्त्री जी ने किया जिसे बौद्ध भारती प्रकाशन, वाराणसी ने सन 2007 प्रकाशित किया।

संस्कृत-पालि तुल्य शब्दावली

नीचे कुछ प्रमुख शब्दों के तुल्य पालि शब्द दिये गये हैं-

संस्कृतअक्षरआर्यभिक्षुचक्रधर्मदुःखकर्मकामक्षत्रियक्षेत्रमार्गमोक्षनिर्वाणसर्वसत्य
पालिअक्खरअरियभिक्खुचक्कधम्मदुक्खकम्मकामखत्तियखेत्तमग्गमोक्खनिब्बानसब्बसच्च

संज्ञा

अ-कार

अधिक जानकारी पु. (लोक "संसार"), नपुस. (यान "भारवाहक, गाड़ी") ...

आ-कार


अधिक जानकारी स्त्री (गाथा- "कथा कहानी"), एक. ...

इ-कार


अधिक जानकारी पु (इसि- "सीर"), नपुसक (अक्खि- "आग") ...

उ-कार


अधिक जानकारी पु. (भिक्खु "मठवासी"), नपुस. (चक्खु- "आँख") ...
Remove ads

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

Loading related searches...

Wikiwand - on

Seamless Wikipedia browsing. On steroids.

Remove ads