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बर्नूली का प्रमेय
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तरल गतिकी में, बर्नूली का सिद्धान्त (Bernoulli's principle) या 'बर्नूली का प्रमेय निम्नवत है:
- किसी प्रवाह में, तरल का वेग बढ़ने पर पर तरल की स्थितिज उर्जा में कमी होती है या उस स्थान पर दाब में कमी हो जाती है। यह सिद्धान्त डच-स्विस गणितज्ञ डैनियल बर्नौली के नाम पर रखा गया है। इस सिद्धान्त की खोज उन्होंने ही की थी और १७३८ में अपनी 'हाइड्रोडाय्नैमिका' नामक पुस्तक में प्रकाशित किया था। इस सिद्धान्त की व्युत्पत्ति ऊर्जा सरंक्षण के नियम से की जा सकती है। यह तरल यांत्रिकी का सरल तथा आधारभूत सिद्धान्त है


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बर्नौली समीकरण का विशेष स्थिति में स्वरूप
सारांश
परिप्रेक्ष्य
माना कि:
- तरल असंपीड्य (इन्कम्प्रेसिबल) है, (यद्यपि दाब परिवर्ती है किन्तु सभी बिन्दुओं पर द्रव का घनत्व एकसमान है।)
- श्यानता शून्य है, (श्यानता के कारण लगने वाला घर्षण बल शून्य है)
- स्थाई अवस्था प्राप्त हो गयी है तथा प्रवाह अघूर्णी (इर्र्रोटेशनल) है (किसी दिए हुए बिन्दु पर द्रव का वेग, दाब आदि समय के साथ अपरिवर्ती हैं), तो
इस स्थिति में बर्नौली का समीकरण निम्नवत है:
जहाँ:
- - तरल के ईकाई द्रव्यमान की ऊर्जा
- - तरल का घनत्व
- - संबन्धित स्थान पर तरल का वेग
- - सम्बन्धित स्थान की किसी सन्दर्भ के सापेक्ष ऊँचाई
- - गुरुत्वजनित त्वरण
- - संबन्धित स्थान पर दाब
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उपयोग
- टोरिसेली के सूत्र का चित्रात्मक प्रदर्शन
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- Interactive animation demonstrating Bernoulli's principle
- Denver University – Bernaulli's equation and pressure measurement
- Millersville University – Applications of Euler's equation
- NASA – Beginner's guide to aerodynamics
- Misinterpretations of Bernoulli's equation – Weltner and Ingelman-Sundberg
- Video demonstration of levitating ping pong ball
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