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भारतीय गैण्डा
गैंडे की प्रजाति विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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भारतीय गैण्डा, जिसे एक सींग वाला गैण्डा भी कहते हैं, विश्व का चौथा सबसे बड़ा जलचर जीव है। आज यह जीव अपने आवासीय क्षेत्र के घट जाने से संकटग्रस्त हो गया है। यह पूर्वोत्तर भारत के असम और नेपाल की तराई के कुछ संरक्षित इलाकों में पाया जाता है जहाँ इसकी संख्या हिमालय की तलहटी में नदियों वाले वन्यक्षेत्रों तक सीमित है।[1]
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इतिहास
इतिहास में भारतीय गैण्डा भारतीय उपमहाद्वीप के सम्पूर्ण उत्तरी इलाके में पाया जाता था जिसे सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं। यह सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदानी क्षेत्रों में, पाकिस्तान से लेकर भारतीय-बर्मा सरहद तक पाया जाता था और इसके आवासीय क्षेत्र में नेपाल, आज का बांग्लादेश और भूटान भी शामिल थे। ऐसा माना जाता है कि यह बर्मा, दक्षिणी चीन तथा इंडोचाइना में भी विचरण करता हो लेकिन यह सिद्ध नहीं हो पाया है। यह जाति सन् १६०० तक उत्तर-पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में आसानी से देखी जा सकती थी, लेकिन इसके तुरन्त बाद इस इलाके से विलुप्त हो गई। अपने अन्य आवासीय क्षेत्रों में भी यह सन् १६०० से १९०० तक तेज़ी से घटे और बीसवीं सदी की शुरुआत में यह विलुप्तता की कगार में खड़ा था।[1]
एक अनुमान के मुताबिक आज जंगली हालात में केवल ३००० से कुछ अधिक भारतीय गैण्डे बचे हैं जिसमें से लगभग २००० तो केवल भारत के असम में ही पाये जाते हैं।[2]
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विशेषता
एक सींग वाला गेंडा सबसे अधिक भारत में काजीरंगा नेशनल पार्क मानस नेशनल पार्क में मिलता है इसकी सींग जो होती है वह केरोटिन की बनी होती है जिसका उपयोग औषधि के रूप में पैरालाइज के इलाज में किया जाता है। और शायद यही कारण है की यह तेजी से शिकार हो रहे हैं और विलुप्ति के कागार पर आ पहुंचे हैं पश्चिम बंगाल के जल्दापरा अभ्यारण में गेंडो की मुख्यतः शरणार्थी नस्ल मिलती है। गैंडा हाथी प्रोजेक्टर 1987 से प्रारंभ हुआ था
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वितरण एवं आवासीय क्षेत्र
एक सींग वाला रहिनो इंडिया के मानस और काजीरंगा नेशनल पार्क में और नेपाल के तराई क्षेत्र में पाया जाता है। इसे रेड डाटा बुक में vu की श्रेणी में रखा गया है
इसे भी देखें
सन्दर्भ
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