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मलयालम भाषा

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मलयालम भाषा
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मलयालम् या मलयाळम् (मलयालम: മലയാളം) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है।

सामान्य तथ्य मलयालम, മലയാളം, मलयालम् ...
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इस पन्ने में हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय लिपियां भी है। पर्याप्त सॉफ्टवेयर समर्थन के अभाव में आपको अनियमित स्थिति में स्वर व मात्राएं तथा संयोजक दिख सकते हैं। अधिक...

मलयालम, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार सम्बन्ध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है।ദ്രാവിഡഭാഷാ ഗോത്രത്തിൽ ഉൾപ്പെടുന്ന ഒരു ആധുനിക ഭാഷയാണ് മലയാളം. എ. ഡി ഒൻപതാം നൂറ്റാണ്ടിലാണ്‌ [1] മലയാള ഭാഷ ദ്രാവിഡത്തിന്റെ ഒരു ഉപഭാഷ എന്ന നിലയിൽ പ്രത്യേക ഭാഷയായി രൂപപ്പെട്ടത് എന്നാണ്‌ പൊതുവായ നിഗമനം. മലയാള ഭാഷയിൽ എഴുതപ്പെട്ട ആദ്യത്തെ കണ്ടെടുക്കപ്പെട്ട രേഖ, ചേര ചക്രവർത്തിയായിരുന്ന രാജശേഖരന്റെ പേരിലുള്ള വാഴപ്പള്ളി ശാസനം ആണ്‌ . എ.ഡി. 829 ൽ ആണ്‌ ഈ ശാസനം എഴുതപ്പെട്ടത്.അതേ നൂറ്റാണ്ടിൽ തന്നെ എഴുതപ്പെട്ട തരിസാപ്പള്ളി ശാസനം മലയാളത്തിൻറെ ആദ്യകാല സ്വഭാവം വ്യക്തമാക്കുന്ന മറ്റൊരു രേഖയാണ്. 12ം ശതകത്തിൽ ചീരാമൻ എഴുതിയ രാമചരിതം ആണ് മലയാള ഭാഷയിലെ ആദ്യത്തെ സാഹിത്യ കൃതിയായി കരുതപ്പെടുന്നത്.കണ്ടെടുക്കപ്പെട്ടിട്ടുള്ളവയിൽ ഏറ്റവും പുരാതനമായ കൃതി ഇതാണെങ്കിലും 11ം ശതകത്തിൽ തോലൻ രചിച്ചതായി വിശ്വസിക്കാവുന്ന മന്ത്രാങ്കംആട്ടപ്രകാരത്തിൽ അക്കാലത്തെ മലയാളത്തിലും തമിഴിലുമുള്ള പദ്യങ്ങൾ കാണാവുന്നതാണ്. അതിനു മുൻപ് തന്നെ തമിഴ്-മലയാളങ്ങൾ ദ്രാവിഡത്തിൽ നിന്നും വ്യത്യസ്ത ഭാഷകളായി മാറിക്കഴിഞ്ഞിരുന്നു [2]എന്ന അഭിപ്രായം ഭാഷാപണ്ഡിതന്മാർക്കിടയിലുണ്ട്.

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नाम

मलयालं का सन्धि-विच्छेद है - मलै (मूलशब्द : मलय - अर्थ : पर्वत) + अळम (मूलशब्द : आलयम - अर्थ : स्थान)। इस भाषा के भाषिक भारत के पश्चिमी घाट के गर्भ में निवास करते हैं और इसी कारण यह नाम पड़ा है। इसका सही उच्चारण ’मलयाळम्’ होता है। हिन्दी में ळ अक्षर नहीं रहता |

उद्भव

सारांश
परिप्रेक्ष्य

मलयालम् भाषा अथवा उसके साहित्य की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सही और विश्वसनीय प्रमाण प्राप्त नहीं हैं। फिर भी मलयालम् साहित्य की प्राचीनता लगभग एक हजार वर्ष तक की मानी गई हैं। भाषा के सम्बन्ध में हम केवल इस निष्कर्ष पर ही पहुँच सके हैं कि यह भाषा संस्कृतजन्य नहीं है - यह द्रविड़ परिवार की ही सदस्या है। परन्तु यह अभी तक विवादास्पद है कि यह तमिल से अलग हुई उसकी एक शाखा है, अथवा मूल द्रविड़ भाषा से विकसित अन्य दक्षिणी भाषाओं की तरह अपना अस्तित्व अलग रखने वाली कोई भाषा है। अर्थात समस्या यही है कि तमिल और मलयालम् का रिश्ता माँ-बेटी का है या बहन-बहन का। अनुसन्धान द्वारा इस पहेली का हल ढूँढने का कार्य भाषा-वैज्ञानिकों का है और वे ही इस गुत्थी को सुलझा सकते हैं। जो भी हो, इस बात में सन्देह नहीं है कि मलयालम् का साहित्य केवल उसी समय पल्लवित होने लगा था जबकि तमिल का साहित्य फल फूल चुका था। संस्कृत साहित्य की ही भाँति तमिल साहित्य को भी हम मलयालम् की प्यास बुझानेवाली स्रोतस्विनी कह सकते हैं।

सन् 3100 ईसापूर्व से लेकर 100 ईसापूर्व तक यह प्राचीन तमिल का एक स्थानीय रूप थी। ईसा पूर्व प्रथम सदी से इस पर संस्कृत का प्रभाव हुआ। तीसरी सदी से लेकर पन्द्रहवीं सदी के मध्य तक मलयालम का मध्यकाल माना जाता है। इस काल में जैनियों ने भी भाषा को प्रभावित किया। आधुनिक काल में सन् 1795 में परिवर्तन आया जब इस राज्य पर अंग्रेजी शासन पूर्णरूपेण स्थापित हो गया।

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इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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