शीर्ष प्रश्न
समयरेखा
चैट
परिप्रेक्ष्य
मुसहफ़ी
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
Remove ads
ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअत थे। इंशा के साथ इनके शेरों की प्रतिद्वंदिता बहुत चली जो बाद में तूतू-मैमैं तक उतर गई।
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2015) स्रोत खोजें: "मुसहफ़ी" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
शेख़ वली मुहम्मद के बेटे मुसहफ़ी अमरोहा में पैदा हुए। युवावस्था में ही शेरो शायरी का शौक इन्हें दिल्ली ले आया। यहाँ मीर, दर्द, सौदा और सोज़ जैसे शायर वृद्ध हो चले थे। इनका असर इनकी शाइरी पर पड़ा। लेकिन मुग़ल शासन के बुरे दिनों में उपरोक्त शायर (दर्द को छोड़कर) दिल्ली छोड़ गए। मुसहफ़ी भी फैज़ाबाद पहुँचे, वहाँ टाण्डा में नवाब मुहम्मद यार ख़ाँ के दरबार में मुलाज़िम हुए। पर इन्हें यहाँ से भी जाना पड़ा। वे लखनऊ और फिर दिल्ली चले गए। इसके बाद वे फिर लखनऊ लौटे। इस बार लखनऊ में मिर्ज़ा सुलेमान शिकोह की सरकार में इनकी धाक हो गई। इंशा और जुरअत भी यहाँ पहुँचे, जिनकी मसखरी के सामने ये बिगड़ते चले गए।
![]() | यह लेख किसी लेखक, कवि अथवा नाटककार के बारे में एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
Remove ads
Wikiwand - on
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Remove ads