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मोहन बाबू

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मांचू भक्तवत्सलम नायडू के रूप में जन्मे मोहन बाबू (डॉ॰ एम. मोहन बाबू) आंध्र प्रदेश भारत से एक अभिनेता, निर्माता, राजनीतिज्ञ हैं। 2007 में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति से, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान पद्मश्री प्राप्त किया।

सामान्य तथ्य मोहन बाबू मांचू, पेशा ...
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बचपन और प्रारम्भिक जीवन

मोहन बाबू का जन्म 19 मार्च 1952[1] को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्वर्णमुखी नदी के तट के निकट और दो प्रसिद्ध तीर्थ केंद्रों, तिरुपति (भगवान वेंकटेश्वर का निवास) और श्रीकालाहस्ती (भगवान वायुलिंगेश्वर का निवास) के मध्य में स्थित मोदुगुलपालम गांव में हुआ।

उनके तीन छोटे भाई हैं - रंगनाथ चौदरी, रामचंद्र चौदरी और कृष्णा - और एक बहन विजया है। उन्होंने येरपेडु गांव और तिरुपति में अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) से शारीरिक शिक्षा में अपनी डिग्री ली. तेलुगु फ़िल्म उद्योग में एक कलाकार के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करने से पहले अल्प समय के लिए शारीरिक शिक्षा अनुदेशक के रूप में काम किया। 1970 के दशक के प्रारम्भ में मोहन बाबू ने लगभग पांच साल तक निर्देशन विभाग में भी काम किया।

फ़िल्म स्वर्गम नरकम (1975) से एक कलाकार के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की।

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अभिनेता और निर्माता

मोहन बाबू ने 510 फ़िल्मों में अभिनय किया है, जिसमें 216 फ़िल्मों में वे नायक के रूप में थे। पेद्दारायडू जैसी उनकी फ़िल्में सत्य और न्याय को बनाए रखने के लिए चरम बलिदान के बारे में हैं। फ़िलहाल, जिन फ़िल्मों में उन्होंने अभिनय किया है या जिनका निर्माण किया है वे लगभग हर दिन किसी एक तेलुगू चैनल पर प्रसारित होती हैं। उनके दो बेटे विष्णु मांचू और मनोज मांचू भी फ़िल्म अभिनेता हैं। बेटी लक्ष्मी मांचू कुछ टीवी कार्यक्रमों में अभिनय करती है।

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राजनीतिज्ञ

मोहन बाबू को 1995 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। अपने कार्यकाल (2001 तक) के दौरान.

शिक्षाविद्

मोहन बाबू ने 1992 में श्री विद्यानिकेतन शैक्षिक ट्रस्ट की स्थापना की। इसका इंटरनेशनल स्कूल, डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, फ़ार्मेसी कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज है। शिक्षण संस्थान एक विशिष्ट शैक्षिक बस्ती के रूप में विकसित हैं।

फ़िल्मों की सूची

सारांश
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निर्माता के रूप में

मोहन बाबू ने 1982 में श्री लक्ष्मी प्रसन्ना पिक्चर्स (एसएलपीपी) नामक फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस का शुभारंभ किया। तब से वह 56 फ़िल्मों का निर्माण कर चुके हैं। उनकी अति सफल और बॉक्स ऑफिस पर हिट में शामिल हैं:

  • प्रतिज्ञा (1982) 50 दिन
  • एदादुगुला बंधम (1985) 25 दिन
  • ना मोगुडु नाके सॉन्थम (1989) 100 दिन
  • अलुडुगारू (1990) 100 दिन
  • असेम्बली राउडी (1991) 100 दिन
  • राउडीगरी पेल्लम (1991) 100 दिन
  • अल्लरी मोगुडु (1992) 100 सप्ताह
  • ब्रह्मा (1992) 50 दिन
  • मेजर चन्द्रकान्त (1993) 100 दिन
  • पेदारायडु (1995) 100 दिन
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पुरस्कार

कला के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए 2007 में इन्हें भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[2] मोहन बाबू ने भी प्रेस, सांस्कृतिक संगठनों, स्क्रीन, फ़िल्म फेयर और कई अन्य पुरस्कार भी जीते हैं। उन्हें "नटपूर्णा" (पूर्ण कलाकार), "संवाद बादशाह" और "संग्रह बादशाह" करार दिया गया है।

सन्दर्भ

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