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लेबर पार्टी (यूके)

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लेबर पार्टी ब्रिटेन की एक सेंटर - लेफ्ट यानि (उदार वामपंथी विचारधारा वाली) राजनीतिक पार्टी है।[4][5][6][7][8] इसका जन्म उन्नीसवीं शताब्दी के मजदूर संगठनो के आंदोलन और समाजवादी राजनैतिक दलों के उदय के साथ हुआ जिसे उदार गिरिजाघर (ब्रॉड चर्च) कह के परिभाषित किया गया। इस दल की विचारधारा बहुत विस्तृत है जिसमें प्रखर समाजवाद से लेकर उदारवादी समाजवादी लोकतंत्र की विचारधारा शामिल हैं।

सामान्य तथ्य लेबर पार्टी Labour Party, नेता ...

१९०० में बनने के बाद लेबर पार्टी ने शुरुवाती १९२० के आम चुनावों में उस समय की लिब्रल पार्टी की जगह ले ली और रामसे मैक्डोनाल्ड के नेतृत्व में १९२४ और १९२९-३१ के दौरान अल्पमत की सरकारें बनाईं। १९४०-४५ के दौरान यह दल चर्चिल युद्ध मंत्रालय (Churchill war ministry) का हिस्सा रहा जिसके बाद इसने क्लीमेंट ऐट्टली के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनाई। लेबर दल १९६४-७० के दौरान हैरॉल्ड विल्सन के नेतृत्व वाले पहले विल्सन मंत्रीमंडल का भी हिस्सा रहा। इसके बाद 1974 से 1979, पहले विल्सन और फिर जेम्स कैलेघन के नेतृत्व में सरकार में रही।

लेबर पार्टी 1997 और 2010 के दौरान टोनी ब्लेयर और गौर्डन ब्राउन के नेतृत्व में १७९ सीटों से घटकर २००१ के आम चुनावों में १६७ और फिर २००५ के चुनावों में ६६ सीटों के साथ अंतिम स्थान पर आती रही। २०१० के आम चुनावों में २५८ सीटें और २०१५ के आम चुनावों में २३२ सीटें जीतकर यह पार्टी अब ब्रिटेन की संसद में आधिकारिक विपक्ष की भूमिका निभा रही है।

वेल्श के सदन में लेबर पार्टी की अल्पमत की सरकार है जबकि स्कॉटिश संसद में यह मुख्य विपक्ष की भूमिका में है और यूरोपीय संसद में इसके २० सांसद हैं जो प्रोग्रेसिव एलाएंस ऑफ सोसलिस्ट्स एंड डेमोक्रेट्स समूह के साथ बैठते हैं। लेबर दल यूरोपीय समाजवादी दल और प्रोग्रेसिव एलाएंस (अंतर्राष्ट्रीय) का एक पूर्णकालिक सदस्य है। और सोशलिस्ट इंटरनैशनल में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है। दल के वर्तमान नेता हैरिएट हर्मन हैं जो ८ मई २०१५ को एड मिलिबैंड के त्यागपत्र देने के बाद चुने गए हैं।

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विचारधारा

सारांश
परिप्रेक्ष्य

लेबर पार्टी को मध्य वामपंथी विचारधारा वाली पार्टी माना जाता है।[4][9][5][6][7][8] पहले यह ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में मजदूर संगठनों के राजनीतिक चेहरे के तौर पर बनाई गई थी। १९१८ में पार्टी संविधान बनने के बाद इसने समाजवाद की अपनी असली प्रतिबद्धता पाई। समाजवाद की इसकी विचारधारा देश में साझा सरकार, उत्पादन, वितरण प्रणालियों पर सबके साझे नियंत्रण की वकालत करते थे। हालांकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तक ब्रिटेन के लगभग एक तिहाई उद्मोग, और बाकी बचे हुए १९८० तक सरकार के नियंत्रण में ले लिए गये थे। एंथोनी क्रॉसलैंड के १९५६ के उपन्यास द फ्यूचर ऑफ सोश्लिज़्म से प्रभावित हो कर पार्टी के नेता ह्युघ गेटस्केल के समर्थक अब ऐसे किसी प्रतिबद्धता की जरूरत नहीं समझ रहे थे। १९५९ में पार्टी संविधान से इस प्रतिबद्धता को हटाने का प्रयास विफल हो गया। टोनी ब्लेयर और अन्य आधुनिक नेताओं ने[10] इस परिपेक्ष्य में काम ज़ारी रखा और ३५ वर्षों बाद[11] वरिष्ठ नेताओं के थोडे विरोध के बावजूद जरूरी प्रतिबद्धता के इस सिद्धांत को पार्टी संविधान से हटाने में सफलता पाई।[12]

१९९२ के बाद से पार्टी के घोषणापत्र से समाजवाद शब्द गायब हो गया। हालांकि चौथा क्लाज़ अभी भी लोकतांत्रिक समाजवाद की प्रतिबद्धता दर्शाता है [13][14] लेकिन सभी उद्मोग धंधों पर अनिवार्य सरकारी नियंत्रण की बात नहीं कहता है। इस अनिवार्यता की बज़ाय यह "उच्च गुणवत्ता वाली सामाजिक सेवा के साथ बाज़ारवाद और आपसी प्रतिद्वंदिता" की वकालत करता है जो कि जरूरी नहीं है कि सरकारी क्षेत्र में ही हो।[15]


चिन्ह

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लेबर पार्टी का आधिकारिक झंडा और चिन्ह।

लेबर को लंबे समय से लाल रंग से पहचाना जाता है जो कि समाजवाद से जुडा रहा है। १९३१ में पार्टी ने एक सभा में लाल और सुनहरे रंग को देश भर में अपने आधिकारिक पार्टी रंग के तौर पर अपनाया।[16] पार्टी में अपनाए जाने के बाद लाल झंडा लेबर पार्टी का आधिकारिक चिन्ह भी बन गया। यह लाल झंडा १७८९ के फ्रेंच क्रांति और १८४८ के क्रांति के समय से ही समाजवाद के आंदोलनो से जुडा रहा है। सामाजिक लोकतंत्र के चिन्ह लाल गुलाब को पार्टी के चिन्ह के रूप में १९८६ में अपनाया गया और पार्टी के लोगो में शामिल कर लिया गया। [17]

लाल झंडा पार्टी के गान द रेड फ्लैग का भी प्रेरणा स्रोत है जिसे फरवरी २००६ में संसद में पार्टी के १०० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में और अन्य तमाम पार्टी सभाओं में गाया जाता रहा है।[18][19][20]

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संविधान और संरचना

सारांश
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लेबर पार्टी क्षेत्रीय लेबर दलों, संबद्ध मजदूर संगठनों, समाजवादी गुटों और को-ऑपरेटिव दल की सदस्यता वाली एक सामूहिक संस्था है। जिनके साथ इसका चुनावी गठबंधन है। जो सदस्य पार्टी की संसदीय पदों के लिए चुने जाते हैं वो संसदीय लेबर दल एंव यूरोपीय संसदीय लेबर दल की सभाओं में हिस्सा लेते हैं।

दल के निर्णय लेने वाले समूहों में राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति, लेबर पार्टी आमसभा, राष्ट्रीय नीति मंच हैं हालांकि आमतौर पर सभी महत्वपूर्ण नीतियों और मुद्दों पर संसदीय नेतृत्व ही अंतिम फैसला लेता है। २००८ की लेबर पार्टी की आमसभा में क्षेत्रीय लेबर दलों और संबद्ध मजदूर संगठनों को समसामयिक चर्चाओं के लिए प्रस्ताव देने के अधिकार नहीं थे।[21] लेबर पार्टी की आमसभाएँ अब मात्र टिप्पणियों वाले बिंदुवार भाषणों, मेहमानों के भाषणों और प्रश्नोत्तरियों के सत्र ही रह गई हैं, जबकि सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों पर चर्चाएँ राष्ट्रीय नीति सभा में होते हैं।

कार्यकारी समिति

९ मार्च २०१२ को लेबर दल ने अपने नए एंव वर्तमान प्रबंधक दल की घोषणा की।[22]

  • समिति के अध्यक्ष: चार्ल्स एलेन, केनसिंगटन के बैरोन एलेन[23]
  • महासचिव: आएन मैक्निकोल
  • अध्यक्ष, स्टाफ़: टिम लिवसे
  • उपाध्यक्ष, स्टाफ़: लूसी पॉवेल (प्रचार, दल और राजनीतिक संबन्ध)
  • निदेशक, रणनीति एंव योजना: ग्रेग बील्स
  • निदेशक, खंडन एंव नीतियाँ: टॉर्स्टेन बेल
  • निदेशक, सदस्य एंव समर्थक: ओलिवर बस्टन
  • निदेशक, कार्यक्षेत्र कार्य: पैट्रिक हेनेघन
  • निदेशक, सरकार एंव दलीय सुविधाएँ: एमिली ओल्डनो
  • निदेशक, सूचना एंव संचार: बॉब रॉबर्ट्स
  • निदेशक, अनुदान संचयन: जॉन मैक्कैफ़री

पुनर्गठन के दौरान पत्रकार टॉम बैल्डविन, जो कि पहले रणनीति और संपर्क विभाग के निदेशक थे इसी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार हो गये।

  • एलिसिया केनेडी: राष्ट्रीय चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष टॉम वाटसन की रणनीतिक सलाहकार।
  • क्रिस लेनी: बाहरी संबंध एंव अनुदान संचयन।

सदस्यता

३१ दिसम्बर २०१० को ब्रिटिश चुनाव आयोग के आंकणों के अनुसार लेबर दल के 193,961 सदस्य थे जो कि पिछले वर्ष के 156,205 की तुलना में कहीं ज्यादा बढ गये थे। २०१० में दल की वार्षिक आय ३ करोण ६० लाख £ थी (४९ लाख £ सदस्यता शुल्क से) और खर्च ब्रिटेन के आम चुनावों की वजह से बढकर ३ करोण ४० लाख पाउंड था।

कई वर्षों तक लेबर दल ने उत्तरी आयरलैंड के निवासियों के सदस्य बनने पर रोक लगा रखी थी [24] जिसे २००३ के लेबर दल की आमसभा में खारिज़ कर दिया गया।[25]

मजदूर संघों से जुड़ाव

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यूनाइट द यूनियन लेबर पार्टी को उसके लीड्स कार्यालय पर २०१५ के चुनावों के दौरान अपना समर्थन दर्शाते हुए।

टुलो (मजदूर संघ और लेबर दल संपर्क संस्था) लेबर दल से संबन्धित सदस्यों के लिए राष्ट्रीय व चेत्रीय स्तर पर चुनाव प्रचार, संपर्क अभियानों का जिम्मा सम्भालती है।[26]

चूंकि यह मजदूर संघों द्वारा कामकाज़ी लोगों के हितों की आवाज उठाने के लिये बनाई गई थी, लेबर पार्टी का विभिन्न मजदूर संघों से जुडाव हमेशा से ही इसके चाल-चरित्र व नीतियों का निर्धारक रहा है। हाल के वर्षों में यह संबंधों में खटास बढ गयी थी जब रेल व यातायात कर्मियों के संघ को स्कॉटलैंड में अपनी शाखाओं के स्कॉटिश समाजवादी दल से संबद्धता रखने की अनुमति देने की वजह से २००४ में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।[27] अन्य संघों में भी सदस्यों ने लेबर दल को आर्थिक मदद कम करने की आवाज़ उठाई।[28] और निजीकरण, सराकारी खर्चों में कटौती व मजदूर संघों के खिलाफ बनाए गये नियमों के बारे में अपनी राय रखने के लिए किसी अन्य ज्यादा प्रभावी राजनीतिक दल को समर्थन दें।[29] यूनिसन और जीएमबी दोनों ने क्षेत्रीय सांसदों को अनुदान खत्म करने की धमकी दी और यूनिसन के डेव प्रेंटिस ने चेतावनी दी संघ अब कोई रिक्त चेक ज़ारी नहीं करेगा क्यूंकि वह अब उन लोगों से तंग आ चुका है जो उससे पैसे लेकर उनके ही विरोध के कार्य करते हैं।[30] २०१३ के फालकर्क उम्मीदवार के चुनाव विवाद के बाद संघ को अनुदान के लिए नई नीतियाँ तैयार की गईं।[31]

यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय संबन्ध

लेबर पार्टी यूरोपीय समाजवादी दल (PES) के संस्थापक सदस्यों में से एक है। यूरोपीय संसद में इसके २० सांसद हैं जो ''प्रोग्रेसिव एलाएंस ऑफ सोसलिस्ट्स एंड डेमोक्रेट्स'' समूह के साथ बैठते हैं जो की यूरोपीय संसद में दूसरा सबसे बड़ा राजनीतिक समूह है। PES के अध्यक्षाधीन मंडल में लेबर पार्टी का प्रतिनिधित्व एम्मा रेनॉल्ड्स करती हैं।[32]

यह दल १९२३ से १९४० के दौरान लेबर और सोसलिस्ट इंटरनैशनल का सदस्य रहा था।[33] १९५१ के बाद से लेबर दल सोसलिस्ट इंटरनैशनल की सदस्य रही जो कि क्लीमेंट एट्टली के प्रयासों से बना था। हालांकि फ्ररवरी २०१३ में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यूरोप में अपने पर्यवेक्षक सदस्य के तौर पर कार्य को कम करने का और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को अन्य माध्यमों से बढाने का निर्णय लिया।[34] लेबर दल ''प्रोग्रेसिव एलाएंस (पोलिटिकल इंटरनैशनल)'' के संस्थापक सदस्यों में था जो कि २२ मई २०१३ को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जर्मनी के सह प्रयासों से बना था।[35][36][37][38]

एड मिलिबैंड ने यह भी कहा की पार्टी यूरोपिय संघ में ब्रिटेन की सभागिता पर होने वाले किसी भी तरह के जनमत-संग्रह के खिलाफ़ हैं क्यूंकि यह देश में वयापार को क्षति पहुंचाएगा।[39]

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इतिहास

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स्थापना

लेबर पार्टी की शुरुवात उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुई। उस समय शहरों में तेजी से बढते मजदूरों और कामकाज़ी लोगों की जरूरतों को राजनीतिक आवाज़ देने की जरूरत महसूस होने लगी थी।[40][41] मुकदमें का निर्णय जिसने कुछ प्रकार के धरनों को सीमित कर दिया। मजदूर संघों के आंदोलनों से जुडे हुए नेता अब वोट डालने के अधिकार मिलने के बाद राजनीतिक क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहते थे और १८६७ व १८८५ में मिले बढे हुए अधिकारों के बाद लिबरल पार्टी ने संघ समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव में उतारना शुरु किया। पहले लिबरल-लेबर उम्मीदवार ज़ॉर्ज ओज़्गर थे जो कि साउथवार्क निर्वाचन क्षेत्र से १८७० के चुनावों में प्रत्याशी थे। इसके साथ-साथ राजनीतिक प्रतिनिधित्व पाने और नीति निर्धारण में अपनी भूमिका बनाने के लिए तमाम अन्य छोटे समाजवादी गुटों की स्थापना हो गई थी। इनमें स्वतंत्र मजदूर दल, बौद्धिक और मध्यम वर्ग के लोगों की फैबियन सोसाइटी, मार्क्सवादी सोशल डेमोक्रेटिक फेडरेशन [42] और स्कॉटिश लेबर पार्टी इत्यादि थीं।

१८९५ के आम चुनावों में स्वतंत्र मजदूर दल ने अपने २८ उम्मीदवार उतारे लेकिन उन्हें सिर्फ ४४३२५ वोट ही मिले। दल के नेता कीर हार्डी को इस बात का एहसास हो गया था कि चुनावों में सफलता पाने के लिए अन्य वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लडना होगा।

लेबर प्रतिनिधि सभा

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कीर हार्डी, लेबर पार्टी के संस्थापकों और प्रथम नेताओं में से एक।

१८९९ में रेलवे कर्मचारियों की संस्था के एक सदस्य थॉमस आर. स्टील ने मजदूर संघ सभा के सामने सभी मजदूर संघों, गुटो और वामपंथी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर उन्हें एक बैनर तले लाने का प्रयास करे और संगठित संस्था के उम्मीदवारों को संसदीय चुनावों में मदद करे। यह प्रस्ताव मजदूर संघ की सभा में हर स्तर पर मंजूर हो गया और सभी समान विचारधारा वाले दलों और गुटों की बैठक फैरिंगटन मार्ग के मेमोरियल हॉल में २६-२७ फरवरी १९०० को बुलाई गई। इस बैठक में भारी संख्या में कामकाज़ी लोगों, मजदूरों और वामपंथी विचारधारा वाले दलों ने हिस्सा लिया। [43]

बहस के बाद १२९ सदस्यों ने थॉमस के संसद में एक बैनर तले ऐसी पार्टी बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी जिसका अपना wikt:व्हिप होगा और जो मजदूरों के हितों के लिये काम करने वाली और कानून बनाने में सहायता करने वाली किसी भी संस्था अथवा दल का हर तरह से समर्थन करेगी।[44] इस तरह से लेबर रिप्रज़ेंटेशन कमेटी यानि मजदूर प्रतिनिधि सभा का गठन हुआ जिसका काम उन सांसदों को समर्थन देना था जो मजदूर सभाओं द्वारा अनुदूत थे और कामकाज़ी वर्ग के लोगों के हितों को संसद में उठाते थे।[2] इसका कोई एक अकेला नेता नहीं था और इस परिस्थिति में स्वतंत्र मजदूर दल के रामसे मैक्डोनाल्ड को मंत्री चुना गया। उनके पास प्रतिनिधि सभा (एलार्सी) में विभिन्न लोगों के विभिन्न मतों के बीच समन्व्य बनाने की महत्वपूर्ण और कठिन जिम्मेदारी थी। १९०० के ब्रिटिश आम चुनाव पार्टी के लिए बेहद नये थे और उसे प्रचार करने का बहुत समय भी नहीं मिला और पूरा चुनाव खर्च सिर्फ ३३ पाउंड आया।[45] सिर्फ १५ उम्मीदवारों का समर्थन और अप्रचार किया गया जिसमें से सिर्फ २ ही सफल हुए; मेर्थियर टाय्डफिल निर्वाचन क्षेत्र से कीर हार्डी और डर्बी से रिचर्ड बेल।[46]

एलार्सी के लिये तब समर्थन ज्यादा बना जब १९०१ में हडतालियों और रेलवे कंपनी के बीच हुए टैफ़ वेल विवाद के बाद उस मजदूर संघ को २३००० पाउंड हर्ज़ाना भरने का आदेश दिया गया। यह न्यायिक आदेश मजदूरों के हितों के सर्वथा खिलाफ था क्यूंकि इसके बाद कम्पनियाँ हणताल के दौरान हुए व्यापारिक नुकसान की भरपाई मजदूरों की तनख्वाह से कर सकती थी। इसके बाद उस समय की आर्थर बालफोर की कंज़र्वेटिव पार्टी की औद्मोगिक और व्यापार समर्थक नीतियों और मजदूरों के हितों की तरफ ध्यान ना देने की वजह से लेबर पार्टी को समर्थन और बढता गया।[46]

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14 फैरिंगडन मार्ग, कैरून हाउस में लेबर दल का बिल्ला

इसके बाद १९०६ के आम चुनावों में एलार्सी ने २९ सीटें जीती। ऐसा रामसे मैक्डोनाल्ड और लिबरल दल के बीच हुए एक छुपे हुए समझौते की बदौलत हो सका जो की चुनाव में मजदूरों के वोटों को लिबरल और लेबर के बीच में बटने ना देने की रणनीति के तहत किया गया था।[46]

चुनाव बाद अपनी पहली बैठक में सदस्यों ने आधिकारिक तौर पर १५ फरवरी १९०६ को इस सामूहिक दल का नाम लेबर पार्टी करने का निर्णय लिया। पार्टी को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कीर हार्डी को संसद में नवगठित लेबर दल का चेयरमैन और नेता चुना गया जो कि विभिन्न अंदरूनी चुनावों के बाद इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के डेविड शैक्लटन से १ वोट से आगे थे। दल के शुरुवाती वर्षों में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी ने संगठन के लिए अपने तमाम कार्यकर्ता और फैबियन सोसाइटी ने पार्टी के लिए बौद्धिक तंत्र उपलब्ध करवाया। लिबरल सरकार के प्राथमिक निर्णयों में से एक टैफ़ वेल निर्णय को पलटना था।[46]

मैनचेस्टर के पीपल्स हिस्ट्री म्यूजियम में १९०६ में हुए लेबर दल के उस बैठक के वार्तालाप और बहस की पांडुलिपि रखी हुई है और जनता के लिए मुख्य दीर्घा में दृश्य है।[47]इसके अलावा संग्रहालय में १९०० से लेकर अभी तक के लेबर दल से संबंधित तमाम अन्य सामग्रियाँ भी रखी हुई हैं। [48]

शुरुवात और उत्थान

१९१० में ब्रिटेन के आम चुनावों में हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए लेबर पार्टी के कुल ४२ सांसद चुने गये, यह पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी सफलता थी। खासतौर पर एक वर्ष पहले के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के ऑस्बोर्न निर्णय के बाद जिसने मजदूर संघों को चुनावों में दान देने और और लेबर सांसदों के लिये भत्ता जुटाने के लिए रोक लगा दी थी। लिबरल सांसद इसको निरस्त कराने के लिए बहुत उत्साहित नहीं थे। वो सांसदों के लिये सरकारी गुजारा-भत्ता की व्यवस्था करवाना चाहते थे ताकि मजदूर संघों की जरूरत ना रहे। हालांकि १९१३ में मजदूर संघों के भारी विरोध के बाद लिबरल सरकार ने श्रम विवाद कानून पास कर दिया ताकि मजदूर संघ एक बार फिर से लेबर सांसदों को अनुदान दे सकें।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पार्टी इसके समर्थकों और विरोधियों के बीच में बंट गई हालांकि युद्ध का विरोध बढता हि गया। रामसे मैक्डोनाल्ड जो कि एक जाने माने युद्ध विरोधी आंदोलनकारी थे ने लेबर पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दिया और आर्थर हेंडरसन पार्टी के नए अधिकार संपन्न नेता बने। इसके बाद वो बहुत जल्द प्रधानमंत्री एस्क्विथ के युद्ध मंत्रालय में शामिल होने वाले पहले लेबर सांसद बन गए।

आर्थर हेंडरसन ने पार्टी के मतानुसार १९१७ में मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया, उनकी जगह जॉर्ज बार्न्स ने ली। यद्ध के बाद के चुनावों में लेबर पार्टी के समर्थकों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। आगामी वर्षों में को-ऑपरेटिव पार्टी ने भी लेबर पार्टी से चुनावी समझौता कर लिया।

१९१८ के जन-प्रतिनिधि कानून बनने के बाद अपराधियों और पागलों को छोड़कर लगभग हर व्यस्क पुरुष और ३० वर्ष से उपर की महिलाओं को मताधिकार मिल गया। इसकी वजह से ब्रिटिश मतदाताओं की संख्या में लगभग तीन गुना का इज़ाफा हो गया। १९१२ में यह संख्या ७७ लाख थी जो १९१८ में बढ़कर २ करोण १४ लाख हो गई थी। इसकी वजह से संसद में लेबर प्रतिनिधियों की संख्या में भी बहुत उछाल आया। [49]

१९२१ से १९२३ के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन को लेबर पार्टी के साथ किसी भी तरह के समझौते से वंचित रखा गया।[50] इस दौरान लिबरल पार्टी तेजी से क्षीण होती रही, इसमें टूट पड़ गई और इसके समर्थकों की एक बड़ी संख्या लेबर पार्टी से जुड़ती चली गई। लिबरलों के कमजोर होने के बाद लेबर पार्टी ने १९२२ के आम चुनावों में संसद की १४२ सीटें जीतीं और इस तरह से हाउस ऑफ कॉमन्स में कंज़र्वेटिव पार्टी के बाद दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। चुनावों के बाद रामसे मैक्डोनाल्ड लेबर संसदीय दल के पहले आधिकारिक नेता चुने गए।

पहली लेबर सरकार, 1924

लेबर दल सांसदों की संख्या के आधार पर सदन में दूसरी बडी पार्टी थी। कंज़र्वेटिव जो कि उनसे ज्यादा थे पूर्ण बहुमत नहीं पा सके थे और एस्क्विथ के नेतृत्व वाले लिबरल सांसदों के समर्थन की बदौलत सिर्फ १९१ सांसद होने के बावजूद १९२४ में लेबर पार्टी की पहली सरकार बनी और रामसे मैक्डोनाल्ड प्रधानमंत्री बने।

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रामसे मैक्डोनाल्ड: लेबर दल से पहले प्रधानमंत्री, 1924 और 1929–31

चूंकि सरकार लिबरलों के समर्थन के भरोसे थी इसलिए सदन में कोई भी समाजवादी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल था। इस सरकार की एक ही उल्लेखनीय उपलब्धि व्हीटली हाउसिंग एक्ट थी जिसमें मजदूर वर्ग के लोगों के परिवारों के रहने के लिए ५ लाख घरों का निर्माण होना था। साथ ही शिक्षा, बेरोजगारी और सामाजिक बीमा से संबंधित प्रस्ताव भी पारित हुए।

दूसरी लेबर सरकार, 1929–31

संयुक्त राजशाही में हुए १९२९ के दूसरे आम चुनावों में लेबर पार्टी हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए २८७ सीटों और ३७.१% मतों के साथ पहली बार सबसे बडी पार्टी के तौर पर चुनी गई। हालांकि इसके बाद भी मैक्डोनाल्ड को अल्पमत की अपनी सरकार चलाने के लिए लिबरलों के समर्थन की जरूरत थी। मैक्डोनाल्ड ने इस बार ब्रिटेन की पहली महिला कैबिनेट मंत्री के रूप में मार्ग्रेट बॉन्डफील्ड को नियुक्त किया। इन्हें श्रम मंत्री के रूप में चुना गया।

सरकार बहुत जल्द मुसीबतों से घिर गई जब १९२९ की अमेरिकी आर्थिक मंदी और उसके बाद यूके में अर्थव्यवस्था डगमगा गई। इस मंदी ने ब्रिटेन को तोड दिया था। १९३० के अंत तक बेरोज़गारों की संख्या दोगुनी होकर २५ लाख तक पहुंच गई थी।[51] सरकार के पास इस मुसीबत से उबरने के कोई ठोस उपाय नहीं थे। १९३१ की गर्मियों तक सरकारी खर्चों में कटौती के मुद्दे पर सरकार दो फाड हो गई थी।

आर्थिक हालात बिगडते देख मैक्डोनाल्ड ने लिबरलों और कंज़र्वेटिवों के साथ मिलकर एक सयुंक्त राष्ट्रीय सरकार बनाने पर सहमति दे दी। २४ अगस्त १९३१ को इस्तीफा देते हुए मैक्डोनाल्ड ने राष्ट्रीय सरकार में अपने थोडे से वरिष्ठ साथियों की अगुवाई की। इसकी वजह से लेबर पार्टी में गुस्सा उबल पडा, लेबर दल के सांसद मैक्डोनाल्ड द्वारा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे। मैक्डोनाल्ड और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया और उन्होंने अपनी एक नई पार्टी बनाई जिसका नाम था नैशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन। बचे हुए लेबर सांसद एक बार फिर आर्थर हेंडरसन और कुछ अन्य विद्रोही लिबरल नेताओं के साथ मिल गये लेकिन १९३१ के आम चुनावों में लेबर पार्टी की भारी हार हुई और उसे सिर्फ ५२ सीटें ही मिली। जबकि राष्ट्रीय सयुंक्त सरकार को भारी जीत मिली।

विपक्ष में, 1930

आर्थर हेंडरसन, जिन्हें १९३१ में मैक्डोनाल्ड का उत्तराधिकारी चुना गया था १९३१ के चुनावों मे हार गए। पुरानी लेबर सरकार के एक ही मंत्री अपनी सीट बचा पाए और वो थे जॉर्ज लैंसबरी और परिणामस्वरूप वो ही दल के नेता बने।

पार्टी में १९३२ में एक और टूट हुई जब इंडीपेंडेंट लेबर पार्टी जो पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रही थी इससे अलग हो गई।

लांसबरी ने १९३५ में नेता पद से इस्तीफा दे दिया और उसके तुरंत बाद उनके सहयोगी क्लीमेंट एट्टली पार्टी के नेता चुन लिए गए जिन्होंने अगले दो दशकों तक पार्टी का नेतृत्व किया। १९३५ के आम चुनावों में पार्टी एक बार पटरी पर आई और अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए १५८ सीटें और ३८% पसंदीदा मत पाई।


युद्धकालीन गठबंधन, 1940–45

चर्चिल वार मंत्रालय के साथ पार्टी एक बार फिर १९४० में सत्ता में लौटी। जब नेविले कैम्बरलेन ने १९४० में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तब राजशाही के आगामी प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुए प्रयोग की तरह इस बार भी तमाम अन्य दलों को भी साथ लाने का निर्णय किया। क्लीमेंट एट्टली को लॉर्ड प्राइवी सील और युद्ध मंत्रालय का सदस्य चुना गया। इसतरह से क्लीमेंट यूके के पहले उप प्रधानमंत्री बने।

तमाम अन्य वरिष्ठ नेता भी मंत्री बने जैसे मजदूर संघ के नेता अर्न्स्ट बेविन श्रम मंत्री चुने गये और उन्होंने ब्रिटेन की युद्धकालीन अर्थव्यवस्था और श्रमिक उपलब्धता के विषय देखे, पुराने लेबर नेता हर्बर्ट मॉरीसन को गृह मंत्री, ह्युघ डॉल्टन को वित्त मंत्री, व्यापार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।

युद्ध के बाद चुनावी विजय और महत्वपूर्ण कार्य, 1945–51

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क्लीमेंट एट्टली: लेबर दल से प्रधानमंत्री, 1945–51

यूरोप में युद्ध के अंत के बाद लेबर ने १९१८ की लिबरलों की गलती ना दोहराने का संकल्प लिया और मजदूर संघों के दबाव में नए चुनावों में चर्चिल समर्थक कंज़र्वेटिवों के विरोध में मौजूदा सरकार से हट गई। तमाम पर्यवेक्षकों को हतप्रभ करते हुए लेबर पार्टी लगभग ५०% मतों और १५९ बहुमत की सीटों के साथ १९४५ के आम चुनाव जीत गई।[52]

क्लीमेंट एट्टली के नेतृत्व वाली यह सरकार बीसवीं सदी के ब्रिटिश इतिहास की सबसे उग्र सुधारवादी सरकार साबित हुई। उसने केनेज़िया के आर्थिक सुधारों को लागू किया, बैंक ऑफ इंगलैंड और तमाम अन्य विशाल उद्दोगों व कल-कारखानों जैसे कोयला खदान, स्टील उद्मोग, उर्जा, गैस, यातायात (रेलवे, बस) इत्यादि को सरकारी नियंत्रण में लिया। उसने अर्थशाष्त्री विलियम बेवरिज़ की कल्पना वाले कल्याणकारी सरकारी राज्य का विकास और स्थापना की। आज तक लेबर दल के सदस्य १९४८ के ब्रिटेन के सरकारी खर्चे से चलने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा को अपनी सबसे अच्छी उपलब्धियों में से एक मानते हैं।[53] एट्टली सरकार की एक और बहुत ही एतिहासिक कार्यवाई भारत को स्वतंत्रता और पाकिस्तान का निर्माण था। एट्टली सरकार ने ब्रितानी हुकूमत को खत्म करने की शुरुवात कर दी थी। भारत के बाद उसने आगामी वर्षों में बर्मा और श्रीलंका को भी स्वतंत्रता दे दी। जनवरी १९४७ में एक गुप्त बैठक के दौरान एट्टली और ६ कैबिनेट स्तर के मंत्रियों ने लेबर पार्टी के अंदरूनी परमाणु हथियार विरोधी भावना के विरुद्ध ब्रिटेन के लिये परमाणु हथियारों के विकास की आधारशिला रखी।[51]

लेबर दल ने १९५० का आम चुनाव भी जीता लेकिन इस बार उसके सीटों की संख्या कम हो गई। इस बार उसे बहुमत से सिर्फ ५ सीटें ही ज्यादा मिलीं। जल्द ही रक्षा पार्टी केअंदर एक विघटनकारी विषय बन गया। १९५१ के कोरियाई युद्ध के दौरान रक्षा बज़ट बढकर सकल घरेलू उत्पाद का १४% हो गया था। [54] इसकी वजह से जनता पर भार पड रहा था और सरकार को सरकारी खर्चे घटाने पड रहे थे। वित्त मंत्री ह्युघ गेटस्केल ने राष्ट्रीय स्वास्थय सेवा के लिए शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। मुफ्त स्वास्थय सेवा के लेबर पार्टी के सिद्धांत को खत्म होता देख बीवन, और वाणिज्य मंत्री हैरॉल्ड विल्सन ने त्यागपत्र दे दिया।

१९५१ के चुनावों में लेबर दल को अपने चुनावी इतिहास के सबसे ज्यादा मत मिले थे। १९४५-४१ के दौरान किए गये अधिकत बदलावों को कंज़र्वेटिवों ने भी अपना लिया और यह नीतियाँ युद्धोपरांत मतैक्य का हिस्सा बनीं और १९७० तक लागू रहीं। हालांकि राशन में मिलने वाले खाद्द पदार्थों और कपडों की मात्रा धीरे धीरे कम कर दी गई और १९५३ में हटा दी गई।

यह भी देखें: केनेज़ियन अर्थव्यवस्था (अंग्रेज़ी में)

विपक्ष में, 1950 के बाद

१९५१ की हार के बाद पार्टी १३ वर्षों तक विपक्ष में रही। पार्टी में वैचारिक टूट हो गई। एट्टली के युद्धोपरांत किए गये आर्थिक सुधारों और उनके अच्छे सामाजिक परिणामों की बदौलत आम जनता ने उस वक्त की कंज़र्वेटिव सरकारों से दूरी बनाए रखी। एट्टली १९५५ में अपने सेवानिवृत्ति तक लेबर दल के नेता बने रहे।

उनके उत्तराधिकारी ह्युघ गेटस्केल जो की दल के दक्षिणपंथी गुट से संबद्ध थे १९५० के पूर्वार्द्ध और १९६० के उत्तरार्ध में हुए पार्टी के अंदरूनी झगडों और टूट से निपट नहीं पाए और पार्टी १९५९ के आम चुनाव हार गई। १९६३ में गेटस्केल की हृदयाघात से हुई आकस्मिक मृत्यु के बाद हैरॉल्ड विल्सन पार्टी के नेता चुने गये।

विल्सन के नेतृत्व वाली लेबर सरकार, 1964–70

आर्थिक मंदी और तमाम कांडों जिसमें से प्रोफ्युमो अफ़ेयर भी एक था, ने कंज़र्वेटिव सरकार को १९६३ तक डुबा दिया। चार सीटों के बहुमत के साथ लेबर पार्टी एक बार फिर १९६४ में सत्ता में थी। जबकि १९६६ में विल्सन के नेतृत्व में इसके बहुमत की बढत ९६ हो गई।

चित्र:Harold Wilson Number 10 official.jpg
हैरॉल्ड विल्सन: लेबर दल से प्रधानमंत्री, 1964–70 और 1974–76

विल्सन सरकार गृह मंत्री रॉय जेन्किन्स के नेतृत्व में तमाम सामाजिक और शैक्षिक सुधारों को करने के लिए जानी जाती है। जैसे की १९६४ में मृत्यु दंड की समाप्ति, १९६७ में गर्भपात और समलैंगिकता को कानूनी बनाना (सिर्फ २१ वर्ष से अधिक के ब्रिटेनवासी पुरुषों के लिए) और १९६८ में थियेटर के सेंसर की समाप्ति। विस्तृत और व्यापक शिक्षा को बढावा दिया गया और ओपेन विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। हालांकि विल्सन सरकार एक बडे व्यापारिक घाटे से जूझ रही थी जिससे मुद्रा का अवमूल्यन हुआ। परिणामस्वरूप लेबर दल १९७० के चुनाव एडवर्ड हीथ के नेतृत्व वाले कंज़र्वेटिवों से हार गया।

विपक्ष में, 1970–74

१९७० के आम चुनाव हारने के बाद लेबर एक बार फिर विपक्ष में पहुंच गई। हैरॉल्ड विल्सन उसके नेता बने रहे। हीथ की सरकार उत्तरी आयरलैंड और १९७३ में खदान मजदूरों के साथ एक मामले में उलझ गई। सत्तर का दशक कंज़र्वेटिवों और लेबर सरकारों दोनों के लिए ही मुश्किलों भरा रहा। १९७३ के तेल की कमी की वजह से बहुत ज्यादा महंगाई बढ गई थी और वैश्विक बेरोजगारी छा गयी थी। अल्स्टर यूनियनिस्ट्स के समर्थन से विलसन के नेतृत्व में लेबर सरकार १९७४ में एक बार फिर सत्ता में वापस लौटी। १९२४ के बाद से यह पहला आम चुनाव था जिसमें दोनों मुख्य पार्टियों ने ४०% से कम मत हासिल किये थे। इसके बाद से लेबर पार्टी के बुरे दिन शुरु हो गये थे और वो लगातार छ: बार ४०% से कम मत हासिल करती रही।

असंतोष के वर्ष, 1979–97

१९७४ से ७९ तक लेबर सरकार आर्थिक संकटों से जूझती रही। १९७९ के चुनावों में इसकी हार के बाद लेबर पार्टी में अदंरूनी कलह बहुत बढ गई। इसमें दो फाड़ हो गये, लेफ्ट विंग यानि टोनी बेन के प्रतिनिधित्व वाले गुट और डेनिस हेली के प्रतिनिधित्व वाले दक्षिणपंथी गुट में तकरार बढती ही चली गई। १९८० में माइकल फूट के नेता बनने पर और उनके वाम पंथी नीतियों के विरोध की वजह से पार्टी के शीर्ष चार नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डेविड ओवेन, रॉय जेन्किन्स, विलियम रोज़र्स और शर्ले विलियम्स ने लेबर पार्टी से इस्तीफा दे कर १९८१ में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी बना ली। पार्टी के उपनेता के चुनाव में बेन, हेली से कुछ मतों से हार गए। १९८२ में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी के अंदर ही बन रही पार्टियों और अलग विचारधारा के लोगों के पार्टी में घुसकर नुकसान पहुंचाने की संभावना व्यक्त की।

१९८३ के आम चुनावों में लेबर पार्टी की बुरी तरह हार हुई। वह कुल मतों का सिर्फ २७.६% ही जीत पाई। १९१८ के बाद से यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन था। मार्ग्रेट थैचर के नेतृत्व वाले कंज़र्वेटिव दल ने ३९७ सीटें जीतकर उसे बुरी तरह हराया था। लेबर दल को एक नवनिर्मित दल "एसडीपी-लिबरल गठबंधन" से थोडे ही ज्यादा मत मिले थे।[55]

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नील किन्नॉक विपक्ष में पार्टी के नेता, 1983–92.

फ़ूट ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह नील किन्नॉक ने ली। नए नेतृत्व ने तेजी से अप्रभावी व अलोकप्रिय नीतियों को त्यागना शुरु कर दिया। ग्रेट ब्रिटेन में १९८४-८५ के दौरान हुए खदान मजदूरों की हणताल और वैपिंग विवाद की वजह से पार्टी में झगड़ा बढ़ गया और प्रेस में नकारात्मक खबरें छपीं।

लेबर ने १९८७ के चुनावों में अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए २० और सीटें जीती और संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। इस बीच एसडीपी और लिब्रलों के गठबंधन से एक नई पार्टी लिबरल डेमोक्रेट्स का जन्म हुआ।

नवंबर १९९० में मार्ग्रेट थैचर के इस्तीफे के बाद जॉन मेज़र कंज़रवेटिव पार्टी के नेता और यूनाइटेड किंगडम के नए प्रधानमंत्री बने।

चित्र:Old Logo Labour Party.svg
क्न्नॉक, ब्लेयर और स्मिथ के दौरान लेबर दल का लोगो

थैचर के जाने और मेजर के आने के बाद कंज़रवेटिवों की कार्य शैली में परिवर्तन आ चुका था। एक दशक से ज्यादा के कंज़र्वेटिव शासन के बाद निक्कॉर के "बदलाव का समय आ गया है" के नारे को समर्थन मिल रहा था।

१९९२ के चुनावों में जनता ने एक त्रिशंकु संसद चुनी लेकिन कंज़र्वेटिव २१ सीटों के बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में आ गये।[56] सीटों और मतों में बढ़ोत्तरी के बावजूद हार जान लेबर समर्थकों के लिए निराशाजनक था। ३० सालों में पहली बार जनता और मीडिया में यह बहस छिड़ गई थी कि क्या अब कभी लेबर पार्टी सरकार में वापसी कर पाएगी।

किन्नॉर्क ने इस्तीफा दे दिया और जॉन स्मिथ पार्टी के नए नेता बने। स्मिथ के नेतृत्वकाल में एक बार फिर दल के अंदर प्रखर वामपंथियों और उदारवादियों के बीच पार्टी में सुधार के तरीकों को लेकर तकरार बढ़ने लगी। १९९३ की एक सभा में स्मिथ ने सफलता पूर्वक पार्टी के नियमों में बदलाव कर दिया और संसदीय चुनाव के लिए प्रतिनिधियों को चुनने में मजदूर संघों की दखलंदाज़ी और प्रभुत्व को कम करने में सफलता पाई। उन्होंने "एक सदस्य एक मत" की नीति लागू की।

सितंबर १९९२ में हुए आर्थिक त्रासदी जिसे काला बुधवार (ब्लैक वेडनेसडे) के नाम से भी जाना जाता है कंज़र्वेटिव सरकार की वित्तप्रबंधन की क्षमताओं पर से लोगों का भरोसा उठा दिया। साल के अंत तक लेबर पार्टी की लोकप्रियता बढने लगी थी और चुनावपूर्ण सर्वेक्षणों में वह कंज़र्वेटिवों के उपर भारी पड़ती दिख रही थी। १९९३ में आर्थिक त्रासदी के खत्म होने और उसके बाद एक स्थायी आर्थिक सुधारों की बयार बहने के बावजूद लेबर पार्टी की कंज़र्वेटिवों पर बढ़त कायम रही।[57]

नई लेबर – सरकार में वापसी, 1997–2010

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टोनी ब्लेयर: लेबर दल से प्रधानमंत्री, 1997–2007
गॉर्डन ब्राउन: लेबर दल से प्रधानमंत्री, 2007–2010

टोनी ब्लेयर ने पार्टी में उदारवादी नीतियों को लागू करना ज़ारी रखा।

"नई लेबर" या "न्यू लेबर" को पहले लेबर पार्टी की चाल ढाल में बदलाव के रूप में देखा गया। एक नया ब्राँड जो कि पहली बार १९९४ की सभा में इस्तेमाल किया गया था १९९६ में पार्टी के घोषणापत्र में शामिल हो चुका था। इसे "नया लेबर, ब्रिटेन के लिए नया जीवन" के रूप में प्रचारित किया गया। नया लेबर या "न्यू लेबर" पार्टी का कोई आधिकारिक स्थिति नहीं थी लेकिन इसे उदारवादियों को संभोधित करने के लिए और कट्टरपंथियों जिन्हें पुरानी लेबर ("ओल्ड लेबर") कहा जाता था से फर्क करने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।

नई लेबर नए विचारों और आदर्शों की पार्टी है ना कि पुरानी पड़ चुकी विचारधारा की, महत्व उसका है जो काम का है। इसके उद्देश्य प्रजातंत्रवादी और उग्र सुधारवादी हैं। तरीके आधुनिक होंगे। [58]

लेबर पार्टी ने १९९७ का आम चुनाव १७९ सीटों के भारी बहुमत से जीता, यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ बहुमत था। साथ ही १९४५ के बाद से किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह सबसे बडा उलटफेर था। अगले दशक में बहुत सारे प्रगतिवादी सामाजिक सुधार किए गए।[59][60]कर सुधारों जैसे कई प्रगतिशील नीतियों की वजह से लाखों लोगों के जीवनस्तर में सुधार हुआ।[61][62][63]

विलियम हॉग के नेतृत्व वाली कंज़र्वेटिव पार्टी अभी भी हार से उभरने का प्रयास कर रही थी और ब्लेयर की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी। इन सब वजहों से लेबर पार्टी ने उसी बहुमत से २००१ के ब्रिटेन के आम चुनाव भी जीत लिए। मीडिया ने इसे बहुत बड़ी जीत करार दिया।[64]

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज़ डब्ल्यु. बुश को इराक युद्ध में समर्थन करने की वजह से ब्लेयर की लोकप्रियता और राजनीतिक आधार घट गया।[65] सयुंक्त राष्ट्र महासचिव सहित तमाम प्रमुख हस्तियों ने इस युद्ध को अकारण माना था।[66]पश्चिमी देशों में इराक युद्ध बेहद अलोकप्रिय था और पश्चिमी सरकारें इसके समर्थन करने और ना करने को लेकर एकमत नहीं थीं। [67]

२००५ में लेबर पार्टी एक बार फिर सरकार के लिए चुनी गई।[68]

विपक्ष में, 2010 से अबतक

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लेबर दल के नेता 2010-2015, एड मिलिबैंड

११ मई २०१० को गॉर्डन ब्राउन के त्यागपत्र के बाद हैरिएट हर्मन पार्टी के अंदरूनी चुनावों तक कार्यकारी नेता और संसद में नेता विपक्ष बने।[69] एड मिलिबैंड ने बाद में अंदरूनी चुनाव जीत कर लेबर दल का नेता पद संभाला। इस दौरान पार्टी की किस्मत में भी बहुत सुधार देखा गया जब पार्टी ने २०११ में ढेर सारी काउंसिल की सीटें जीतीं। पार्टी ने वेल्श में भी अपनी स्थिति में सुधार करते हुए वेल्स की राष्ट्रीय सभा में अल्पमत की सरकार बनाई। हालांकि इसी दौरान वो स्कॉटिश संसद में तमाम सीटें हार भी गई।

२०१२ के क्षेत्रीय चुनावों में लेबर दल को उत्तर, मध्य और दक्षिण क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिली। पार्टी को तमाम महत्वपूर्ण अंग्रेजी काउंसिलों जैसे बर्मिंघम, साउथैम्पटन, नॉर्विच, प्लाईमाउथ इत्यादि पर नियंत्रण मिल गया।[70] २००८ के क्षेत्रीय चुनावों में हारे हुए कार्डिफ़ जैसे तमाम काउंसिलों पर पुन: जीत हासिल करके पार्टी को वेल्श में अच्छी सफलता मिली।[71] स्कॉटलैंड के क्षेत्रीय चुनावों में लेबर दल ने ग्लास्गो शहर की काउंसिल पर पूर्ण नियंत्रण पा लिया और पूरे स्कॉटलैंड में बेहतरीन सफलता हासिल की।[72] लंदन नगरपालिका के चुनावों में पार्टी को मिश्रित सफलता ही हाथ लगी।[70]

१९९७ के बाद पहली बार १५ नवम्बर २०१२ को पहली बार कोई उपचुनाव जीतते हुए लेबर पार्टी ने कंज़र्वेटिवों के अधिकार वाली कोर्बी की सीट हथिया ली।[73]

आम चुनावों के बाद से सितम्बर २०१० में पार्टी में ३२ हज़ार नए सदस्य जुडे।[74] २०११ के अंत तक यह संख्या बढ कर ६५ हज़ार हो चुकी थी।[75][76]

२०१४ के यूरोपीय संसदीय चुनावों में पार्टी ने कंज़र्वेटिवों के १९ सीटों के मुकाबले २० सीटें जीती लेकिन यूके इंडिपेंडेंस पार्टी के २४ सीटों से पीछे रही।[77] २०१४ के क्षेत्रीय नगरपालिका चुनावों में भी लेबर पार्टी को बहुमत मिला और उसे ३२४ नए सभासद मिले।[78]

ब्लू लेबर

नया नेतृत्व कैमरन के बड़ा समाज के नारे के जवाब मे एक अनुकूल और स्पष्ट विचारधारा ढूंढ रहा है। वह टोनी ब्लेयर के नव-उदारतावाद की विचारधारा से भी पूर्ण आकस्मिक परिवर्तन ढूंढ़ रहा है।

ब्लू लेबर पार्टी की विचारधारा में आया एक कुछ हद तक प्रभावशाली तात्कालिक बदलाव है[79] जो नव-उदारतावादी अर्थव्यवस्था के विरोध और कुछ सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर रूढ़िवादी नीतियों के अपनाने पर कामकाज़ी लोगों को पार्टी से दोबारा जोड़ पाने के नज़रिए की वकालत करता है।[80][81][82] यह परंपरागत कल्याणकारी राज्य जो बहुत ज्यादा अफसरशाही का शिकार है से हटकर श्रेणीगत समाजवाद के सिद्धांतों और क्षेत्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक सामाजिक प्रबंधन और सेवाएँ दिए जाने का समर्थन करता है।[18][83] एड मिलिबैंड इन विचारों को बढ़ावा देते हैं, २०११ में नीला लेबर की विचारधारा का प्रचार करने वाली एक पुस्तक की भूमिका में उन्होंने नीला लेबर के बारे में अपनी सोच लिखी है।[84] हालांकि लेबर पार्टी के उनके सहकर्मी मौरिस ग्लैसमैन के द डेली टेलीग्राफ को दिए साक्षात्कार के बाद इसका प्रभाव कम हो गया है।[85]

एड मिलिबैंड इंगलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार पूंजीवाद[86] और आर्थिक सेवाओं मे लगे हुए लोगों के निहित स्वार्थों से निपटने के लिए अधिक सरकारी हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं।[87] मैलिबैंड ने कहा है कि वो बैंकों और उर्ज़ा कम्पनियों पर नियंत्रण बढाने के पक्ष में हैं।[88] मिलिबैंड ने निज़ी उद्मोगों पर लगने वाले करों में फेरबदल कर कर्मचारियों के वर्तमान दैनिक भत्तों को बढाने की भी वकालत की है।[89]


घाटा

सितम्बर २०१४ में एड बाल्स ने सरकार के चालू वित्तीय घाटे को कम करने की योजना पेश की। जहाँ कंज़रवेटिव सभी सरकारी खर्चों में बढ़ोत्तरी का समर्थन कर रहे हैं लेबर पार्टी वर्तमान बज़ट को संतुलित करना चाहती है।[90]

2015 के आम चुनाव

२०११ के स्कॉटिश संसद के आम चुनावों में लेबर पार्टी की हार ने उसके यूके के २०१५ के आम चुनावों में निराशा जनक प्रदर्शन के संकेत दे दिए थे। एड मिलिबैंड के नेतृत्व में वेस्टमिंस्टर में दोबारा सत्ता में लौटने की आस लिए पार्टी ने ब्रिटेन में २० से ज्यादा सीटें जीतीं।[91][92] हालांकि एड बॉल्स समेत इसके कई वरिष्ठ नेता कंज़र्वेटिवों के मुकाबले में चुनाव हार गए।[93]स्कॉटिश नैशनल पार्टी के मुकाबले लेबर के स्कॉटिश किले [94] के ढ़हने से स्कॉटिश लेबर के नेता जिम मर्फी सहित उसके ४० सांसद बाहर हो गये।[95] पूरे ग्रेट ब्रिटेन में पार्टी को ४८ सीटों का नुकसान हुआ और हाउस ऑफ कॉमन्स में उसकी संख्या घटकर २३२ हो गई।[96]

सात मई को चुनावों के एक दिन बाद मिलिबैंड ने पार्टी के नेता पद से त्यागपत्र दे दिया।[93] इसके बाद से हैरिएट हर्मन कार्यकारी नेता हैं।

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चुनावी प्रदर्शन

सारांश
परिप्रेक्ष्य
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आम चुनावों में बड़े दलों द्वारा प्राप्त लोकप्रिय मतों को दिखाता एक रेखाचित्र, 1832–2005
अधिक जानकारी चुनाव, मत ...

पहले चुनाव जन प्रतिनिधि कानून १९१८ के तहत लड़े गए थे जिसमें २१ वर्ष के उपर के सभी पुरुश और ३० से ज्यादा की अधिकतर महिलाएँ मताधिकार का प्रयोग कर सकती थी। इस वजह से ज्यादा मतदाता थे।

वैश्विक मताधिकार मिलने के बाद लड़े गए पहले चुनाव जिसमें २१ वर्ष से ज्यादा उम्र की सभी महिलाएँ मत दे सकती थीं।

#मताधिकार १८ से २१ वर्ष की आयु के सभी नागरिकों को भी दे दिया गया।

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नेतृत्व

१९०६ के बाद से लेबर दल के नेता

  • कीर हार्डी, 1906–08
  • आर्थर हेंडरसन, 1908–10
  • जॉर्ज निकोल बार्न्स, 1910–11
  • रामसे मैक्डोनाल्ड, 1911–14
  • आर्थर हेंडरसन, 1914–17
  • विलियम एडमसन, 1917–21
  • जॉन रॉबर्ट क्लाइन्स, 1921–22
  • रामसे मैक्डोनाल्ड, 1922–31
  • आर्थर हेंडरसन, 1931–32
  • जॉर्ज लांसबरी, 1932–35
  • क्लीमेंट एट्टली, 1935–55
  • ह्युघ गेटस्केल, 1955–63
    • बैरोन जॉर्ज ब्राउन|जॉर्ज ब्राउन, 1963 (कार्यकारी)
  • हैरॉल्ड विल्सन, 1963–76
  • जेम्स कैलेघन, 1976–80
  • माइकल फूट, 1980–83
  • नील किन्नॉक, 1983–92
  • जॉन स्मिथ, 1992–94
    • मर्गरेट बेक्केट, 1994 (कार्यकारी)[97]
  • टोनी ब्लेयर, 1994–2007
  • गॉर्डन ब्राउन, 2007–2010
  • एड मिलिबैंड, 2010–2015

१९२४ के बाद से हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लेबर दल के नेता

  • रिचर्ड हैल्डेन, 1924–28
  • चार्ल्स क्रिप्स, 1928–31
  • आर्थर पॉन्सोन्बी, 1931–35
  • हैरी स्नेल, 1935–40
  • क्रिस्टोफर एडीसन, 1940–52
  • विलियम जोविट्ट, 1952–55
  • ऐल्बर्ट विक्टर एलेक्ज़ेन्डर, 1955–64
  • फ्रैंक पैकेन्हैम, 1964–68
  • एडवर्ड शैकेल्टन, 1968–74
  • मैल्कम शेफ़र्ड, 1974–76
  • फ़्रेड पीयर्ट, 1976–82
  • क्लेडवाइन ह्युघ्स, 1982–92
  • आइवर रिचर्ड, 1992–98
  • मार्गरेट जे, 1998–2001
  • गैरेथ विलियम्स, 2001–2003
  • वैलेरी एमॉस, 2003–2007
  • कैथरीन एश्टॉन, 2007–2008
  • जैनेट रोयाल, 2008–2015
  • ऐंजेला स्मिथ, 2015-वर्तमान

लेबर दल से प्रधानमंत्री

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सन्दर्भ

ग्रंथ सूची

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बाहरी कड़ियाँ

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