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शीरमाल
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शीर्माल (उर्दू: ﺸﻴر ماﻝ), शीरमल एक स्वादिष्ट और पारंपरिक रोटी है,जो भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान में लोकप्रिय है। यह केसर (सैफरन) और दूध से तैयार की जाती है, जिससे इसका स्वाद और सुगंध अनूठा होता है। इसका नाम फारसी शब्दों "शीर" (दूध) और "मालیدن" (गूंथना या रगड़ना) से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "दूध से गूंथी हुई रोटी"। यह रोटी न केवल अपने स्वाद के लिए बल्कि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए भी जानी जाती है। इसका स्वाद मीठा,और नमकीन दोनों तरह का होता है।[1] इस रोटी का लखनऊ, हैदराबाद और कश्मीर में बहुत महत्व है।[2]
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उत्पत्ति और इतिहास
- मुगलकालीन प्रभाव शीरमल की उत्पत्ति ईरान में मानी जाती है, जहां इसे पारंपरिक रूप से बनाया जाता था। मुगल सम्राटों ने इसे 16वीं-17वीं सदी में भारत लाया, और यह जल्द ही उत्तर भारत के शाही रसोईघरों का हिस्सा बन गया। मुगल खानपान में दूध, केसर, और मेवों का उपयोग आम था, जो शीरमल में भी देखने को मिलता है।
- स्थानीय स्वाद भारत में आने के बाद, शीरमल ने स्थानीय व्यंजनों के साथ तालमेल बिठाया। खासतौर पर लखनऊ, हैदराबाद, और औरंगाबाद जैसे शहरों में यह रोटी लोकप्रिय हो गई। लखनऊ में अवधी व्यंजनों के साथ इसका विशेष स्थान है, जहां इसे शाही भोजन के रूप में परोसा जाता है।
- सांस्कृतिक महत्व शीरमल को अक्सर उत्सवों, शादियों, और विशेष अवसरों पर बनाया जाता है। यह मुगलई और अवधी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।
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सन्दर्भ
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