शीर्ष प्रश्न
समयरेखा
चैट
परिप्रेक्ष्य
शेख मुजीबुर्रहमान
बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
Remove ads
शेख़ मुजीबुर रहमान (बाङ्ला: শেখ মুজিবুর রহমান; १७ मार्च १९२० – १५ अगस्त १९७५) एक बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ, क्रान्तिकारी, राजनेता, कार्यकर्त्ता और डायरी लेखक थे, जो बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति थे। उन्हें सामान्यतः बंगलादेश का जनक कहा जाता है। वे अवामी लीग के अध्यक्ष थे।[1] उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ़ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुये बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई। वे बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति बने और बाद में प्रधानमन्त्री भी बने। वे 'शेख़ मुजीब' के नाम से भी प्रसिद्ध थे। उन्हें 'बङ्गबन्धु' की पदवी से सम्मानित किया गया।


बांग्लादेश की मुक्ति के तीन वर्ष के भीतर ही १५ अगस्त १९७५ को सैनिक तख्तापलट के द्वारा उनकी हत्या कर दी गयी। उनकी दो बेटियों में एक शेख हसीना तख़्तापलट के बाद जर्मनी से दिल्ली आयीं और १९८१ तक दिल्ली रही तथा १९८१ के बाद बांग्लादेश जाके पिता की राजनैतिक विरासत को सम्भाला।
Remove ads
हत्या

१५ अगस्त १९७५ की सुबह बांग्लादेश की सेना के कुछ बाग़ी युवा अफ़सरों के हथियारबन्द दस्ते ने ढाका स्थित राष्ट्रपति आवास पर पहुँच कर राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी। हमलावर टैङ्क लेकर गये थे। पहले उन लोगों ने बङ्गबन्धु मुजीबुर रहमान के बेटे शेख़ कमाल को मारा और बाद में मुजीब और उनके अन्य परिजनों को।
मुजीब के सभी तीन बेटे और उनकी पत्नी की बारी-बारी से हत्या कर दी गयी। हमले में कुल २० लोग मारे गये थे। मुजीब शासन से बगावती सेना के जवान हमले के समय कई दस्तों में बंटे थे। अप्रत्याशित हमले में मुजीब परिवार का कोई पुरुष सदस्य नहीं बचा। उनकी दो बेटियाँ संयोगवश बच गयीं, जो घटना के समय जर्मनी में थीं। उनमें एक शेख हसीना और दूसरी शेख़ रेहाना थीं। शेख़ हसीना अभी बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री हैं। अपने पिता की हत्या के बाद शेख़ हसीना हिन्दुस्तान रहने लगी थीं। वहीं से उन्होंने बांग्लादेश के नए शासकों के ख़िलाफ़ अभियान चलाया। १९८१ में वह बांग्लादेश लौटीं और सर्वसम्मति से अवामी लीग की अध्यक्ष चुन ली गयीं।
Remove ads
लोकप्रिय संस्कृति में
- बांग्लादेशी लेखक हुमायून अहमद ने शेख मुजीब को उनके दो ऐतिहासिक उपन्यास, 2004 के "जोछना ओ जननीर गल्पो" में आज़ादी की लड़ाई के दौरान के समय, और 2012 की "देयाल" मे आजादी के अवधि के बाद के दिन को चित्रित किया।
- मुजीब को बांग्लादेशी-कनाडाई लेखक नेमत इमाम द्वारा नकारात्मक रूप से चित्रित किया है। उनके उपन्यास, "द ब्लैक कोट" में मुजीब को एक घातक तानाशाह के रूप में दर्शाया गया है।
- 2014 में भारतीय फिल्म "चिल्ड्रेन ऑफ वॉर" मे, प्रोडीप गांगुली ने शेख मुजीब के चरित्र को चित्रित किया।
- 2015 में, बांग्लादेश अवामी लीग के सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन (CRI) विभाग ने अपनी दो आत्मकथाओं के अनुसार शेख मुजीब के जीवन की घटनाओं के आधार पर "मुजीब" नाम से चार बच्चों की कॉमिक बुक प्रकाशित की।
- 2018 में डॉक्यूमेंट्री फिल्म "हसीना: ए डॉटर्स टेल" मे, शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना ने अपने पिता की हत्या के बारे में बात की।
Remove ads
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wikiwand - on
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Remove ads