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संजय दत्त

भारतीय अभिनेता और राजनेता(1959- वर्तमान) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

संजय दत्त
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संजय दत्त (जन्म २९ जुलाई १९५९) एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्माता हैं जिन्हें हिन्दी सिनेमा में उनके काम के लिए जाना जाता है। वो थोड़े-बहुत राजनीति से भी जुड़े हुए हैं दत्त प्रसिद्ध फ़िल्म कलाकार एवं राजनीतिज्ञ सुनील दत्त एवं अभिनेत्री नर्गिस के पुत्र हैं। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों में सन् १९८१ में काम करना आरम्भ किया। उसके बाद उन्होंने कई प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया। उन्होंने फ़िल्मों में प्रेमी, हास्य जैसे अभिनय भी किये और अपराधी, ठग और पुलिस अधिकारी का अभिनय भी किया जिसके लिए अपने प्रशंसकों और फ़िल्म समालोचकों से अभूतपूर्व प्रशंसा प्राप्त की।

सामान्य तथ्य संजय दत्त, जन्म ...
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व्यक्तिगत जीवन

सारांश
परिप्रेक्ष्य
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२०११ में अपनी पत्नी मान्यता दत्त के साथ संजय दत्त

दत्त का जन्म २९ जुलाई १९५९ को बॉलीवुड सितारों सुनील दत्त और नर्गिस के घर हुआ।[2] उनकी दो बहनें हैं- प्रिया दत्त और नम्रता दत्त।[3][4] उनकी शिक्षा कसौली के पास लॉरेंस स्कूल, सनावर में हुई।[5] उनकी माँ का मई १९८१ में, उनकी पदार्पण फ़िल्म के प्रथम प्रदर्शन से तीन दिन पहले निधन हो गया। उन्हें फ़िल्मों में उनके विभिन्न अभिनयों सहित उनके विवादित कार्यों मादक पदार्थों के सेवन आदि के लिए जाना जाता है।[6][7] उन्हें १९८२ में अवैध मादक पदार्थ रखने के आरोप में ५ माह की कारावास की सजा हुई थी। हवालात से निकलने के बाद उन्होंने २ वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यतीत किये। उनका अमेरिका में अधिकतर समय टेक्सास रेहाब क्लिनिक (टेक्सास पुनर्वसन क्लिनिक) में गुजरा। उसके बाद उन्होंने पुनः भारत आकर अपने कैरियर की ओर ध्यान दिया।

दत्त ने १९८७ में ऋचा शर्मा के साथ विवाह किया।[8] शर्मा की ब्रेन ट्यूमर (मस्तिष्क की गाँठ) के कारण १९९६ में मृत्यु हो गई।[9] इस दम्पति के घर में १९८८ में एक लड़की ने जन्म लिया जिसका नाम त्रिशाला है और वो दत्त की पत्नी की मृत्यु और उनकी हिरासत के बाद अपने नाना-नानी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में रहती है।[10] दत्त का दूसरा विवाह मॉडल रिया पिल्लई के साथ १९९८ में हुआ।[11] २००५ में उनका तलाक हो गया। दत्त ने दो वर्ष डेटिंग करने के बाद[12] २००८ में गोवा में एक निजी दावत में मान्यता (जन्म का नाम: दिलनवाज़ शेख) के साथ विवाह किया।[13] २१ अक्टूबर २०१० वो दो जुड़वा बच्चों के पिता बने जिनमें लड़के का नाम शहरान और लड़की का नाम इक़रा रखा।[14]

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फ़िल्मी जीवन

सारांश
परिप्रेक्ष्य

१९७२—१९९३

एक बाल कलाकार के रूप में उन्होंने अपने पिता द्वारा निर्मित फ़िल्म रेशमा और शेरा में १९७२ में पदार्पण किया; इस फ़िल्म में वो एक कवाली गायक के रूप में दिखाई दिये। दत्त ने १९८१ में फ़िल्म रॉकी से बॉलीवुड में पदार्पण किया। वो १९८२ की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्म विधाता से फ़िल्मी-सितारे बने। १९८५ में उनकी फ़िल्म जान की बाज़ी प्रदर्शित हुई। इसके अलावा दत्त ने कई सफल फ़िल्मों जैसे मैं आवारा हूँ (१९८३), जीवा (१९८६), मेरा हक़ (१९८६), ईमानदार, इनाम दस हज़ार (१९८७), जीते हैं शान से (१९८७), मर्दों वाली बात (१९८८), इलाका (१९८९), हम भी इंसान हैं (१९८९), कानून अपना अपना (१९८९) और ताकतवर (१९८९) में अभिनय किया।

वर्ष १९८६ की फ़िल्म नाम से उन्होंने समालोचकों से भी प्रशंसा प्राप्त की और विकी कपूर के रूप में अपनी संवेदनशील अग्रणी भूमिका के लिए प्रशंसा अर्जित की। उन्होंने महेश भट्ट की फ़िल्म कब्ज़ा (1१९८८) और जे पी दत्ता की फ़िल्म हथियार (१९८९) के लिए भी समालोचकों से प्रशंसा प्राप्त की।[15][16]

१९९९—वर्तमान

१९९९ का वर्ष उनके लिये वापसी का दौर रहा। उसी वर्ष उनकी फ़िल्म वास्तव के लिये उन्हें पहला फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। उनकी सबसे सफल फ़िल्म लगे रहो मुन्ना भाई २००६ के उत्तरार्द्ध में प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें उनके मुन्ना भाई के अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कारों सहित भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह से भी पुरस्कार मिला।[17]

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अन्य गतिविधियाँ

बिग बॉस ५

संजय दत्त ने सलमान खान के साथ बिग बॉस के पाँचवें संस्करण की मेजबानी की। यह कार्यक्रम कलर्स टीवी पर २ अक्टूबर २०११ से ७ जनवरी २०१२ तक प्रदर्शित हुआ।[18] बाद में दत्त ने बताया कि सलमान खान ने शो की मेजबानी करने के लिए उन्हें राजी किया था।[19]

सुपर फाइट लीग

संजय दत्त और आईपीएल टीम के मालिक उद्यमी राज कुंद्रा ने साथ में १६ जनवरी २०१२ को भारत की प्रथम पेशेवर संगठित युग्ल सामरिक कला सुपर फाइट लीग की स्थापना की।[20]

विवाद

सारांश
परिप्रेक्ष्य

१९९३—२००६

मुम्बई में 1993 में शृंखलाबद्ध बम विस्फोट हुए। संजय दत्त बॉलीवुड के उन कुछ लोगों में से एक थे, जिनपर अप्रैल १९९३ के बम विस्फोटों में शामील होने का आरोप लगा। उन्हें टाडा नियमों के अनुसार गिरफ्तार किया गया।[21][22][23] दत्त को भारतीय उच्च न्यायालय से अक्टूबर १९९५ में जमानत मिल गई लेकिन दिसम्बर १९९५ में उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया गया। अप्रैल १९९७ में उन्हें पुनः जमानत में मुक्त कर दिया गया।[24]

यह मामला २००६ में न्यायालय में आया और दत्त को रियाज़ सिद्दिक़ी, जो मुम्बई बम विस्फोटों के दोषी पाये गये, के साथ अबु सलेम से अपने घर पर हथियारों को रखने का दोषी पाया गया।[25] यह दावा किया गया कि हथियार आतंकवादियों से जुड़े हथियारों की एक बड़ी खेप का हिस्सा थे।[23] २००६-२००७ के दौरान दत्त को सात माह ऑर्थर रोड जेल और अपराधों के लिए तीन अवसरों पर पुणे जेल में जाना पड़ा।[26]

२००७-२००९

अब्दुल क़य्यूम अब्दुल करिम शैख, जिन्हें आतंकवादियों के सरगना दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी माना जाता था, को गिरफ्तार किया गया।[27] दत्त ने हथियार रखने की बात को स्वीकार करते हुए क़य्यूम का नाम पुलिस को बताया था और कहा था कि सितम्बर १९९२ वो दुबई में क़य्यूम से पिस्तौल लाये थे।[28]

३१ जुलाई २००७ को टाडा अदालत ने संजय दत्त को अवैध हथियार रखने का आरोपी पाया, हालांकि मुम्बई विस्फोटों में शामिल होने के आरोपों से बरी कर दिया गया।[23][29] दत्त पुनः ऑर्थर जेल में आ गये और शीघ्र ही उन्हें पुणे की यरवदा केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया।[23][30] संजय ने सजा के खिलाफ अपील की[31] और 20 अगस्त 2007 को अंतरिम जमानत मिल गई, उसी समय टाडा अदालत ने उन्हें अपने फैसले की एक प्रति प्रदान की।[32] 22 अक्टूबर 2007 को संजय वापस जेल में चले गये, जहाँ से उन्होंने फिर से जमानत के लिए आवेदन दिया। 27 नवंबर 2007 को, संजय को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।[33] 21 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने टाडा अदालत के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सजा कम कर पांच साल की कारावास कर दिया। जिनमें से 18 महीने वह मुकदमे के दौरान पहले ही जेल में बिता चुके थे। उन्हें अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने के लिए चार सप्ताह दिए गए थे, अदालत ने अपराध की गंभीरता के कारण उन्हें प्रोबेशन पर रिहा करने से इनकार कर दिया था।[34]

16 मई 2013 को उन्होंने मुंबई पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया। संजय दत्त को यरवदा केंद्रीय कारागार में रखा गया। [35] उन्हें 21 दिसंबर 2013 में पैरोल मिल गई। पैरोल को मार्च 2014 तक तीन बार बढ़ाया गया, जिस पर बंबई उच्च न्यायालय ने चिंता जताई और महाराष्ट्र सरकार से पैरोल के कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया। वह पेरोल समाप्त होने के बाद यरवदा जेल लौट आये। 24 दिसंबर को यरवदा सेंट्रल जेल अधिकारियों द्वारा दी गई दो हफ्ते की फरलो (थोड़े दिन की छुट्टी) पर संजय बाहर रहे। उन्होंने कहा, "मेरा 18 किलोग्राम कम हो गया है। अब अगर मैं और अधिक वजन गिरा, तो शायद गायब ही हो जाऊंगा।" 25 फरवरी 2016 को संजय दत्त को उनके अच्छे व्यवहार कि चलते जेल की अवधि पूरी होने से पूर्व रिहा कर दिया गया।[36] थे।

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लोकप्रिय संस्कृति में

संजय दत्त के जीवन पर आधारित एक बायोपिक फिल्म संजू बनाया गया है,[37] जिसमें रणबीर कपूर ने प्रमुख भुमिका निभाई है।[38] फ़िल्म 29 जून 2018 को प्रदर्शित हुई।[39]

फ़िल्में

पुरस्कार एवं नामांकन

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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