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सरल यंत्र

किसी बल की दिशा और मात्रा को बदलने वाला यंत्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

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भौतिकी में सरल मशीन या सरल यंत्र (simple machine) उन सभी युक्तियों को कहते हैं जिनको चलाने के लिये केवल एक ही बल का प्रयोग करना होता है। जब इस पर बल लगाया जाता है तो यांत्रिक कार्य होता है तथा एक नियत दूरी तक किसी पिण्ड का विस्थापन होता है। कोई कार्य करने के लिये (जैसे किसी पिण्ड को १ मीटर ऊपर उठाने के लिये) आवश्यक कार्य की मात्रा नियत होती है परन्तु इस कार्य के लिये आवश्यक बल की मात्रा कम की जा सकती है यदि यह अल्पतर बल अधिक दूरी तक लगाया जाय; अर्थात समान कार्य करने हेतु दो विकल्प हैं-

  • कम बल, अधिक दूरी तक लगायें, या
  • अधिक बल, कम दूरी तक लगायें।
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प्रमुख सरल यंत्र

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सरल मशीनों की सूची (चैम्बर्स साइक्लोपीडिया, 1728)

प्रायः निम्नलिखित ६ युक्तियों को पुनर्जागरण काल के वैज्ञानिकों ने 'सरल मशीन' कहा है-

यांत्रिक लाभ (मेकैनिकल ऐडवांटेज)

उत्पादित बल (आउटपुट फोर्स) एवं लगाये गये बल (इन्पुट फोर्स) के अनुपात को यांत्रिक लाभ कहते हैं। उदाहरण के लिये किसी उत्तोलक का यांत्रिक लाभ इसके दोनो भुजाओं के अनुपात के बराबर होता है। इसी प्रकार किसी नत तल का यांत्रिक लाभ cos(theta) के बराबर होता है जहाँ theta नत तल का क्षैतिज से झुकाव का कोण है।

विश्लेषण

सारांश
परिप्रेक्ष्य

यद्यपि हरेक सरल मशीन के काम करने का तरीका अलग-अलग है, किन्तु गणितीय दृष्टि से उनका काम करने का तरीका एक ही है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर मशीन में कोई बल , मशीन के किसी स्थान पर लगाया जाता है और यह मशीन किसी अन्य स्थान पर , बल उत्पन्न करते हुए कोई कार्य करती है। घिरनी आदि कुछ मशीने केवल बल की दिशा में परिवर्तन करने की सुविधा प्रदान करती हैं किन्तु अन्य मशीने लगाये गये बल के परिमाण को किसी गुणांक से बढ़ाने/घटाने का कार्य करती हैं। इसी गुणांक को यांत्रिक लाभ भी कहा जाता है जो मशीन की ज्यामिति से निर्धारित होता है।

सरल मशीनों में उर्जा का स्रोत नहीं होता इसलिये वे आरोपित बल द्वारा किये गये कार्य से अधिक कार्य नहीं कर सकतीं। यदि मशीन के कलपुर्जों में लगले वाले घर्षण बल को नगण्य माने तो मशीन द्वारा लोड पर किया गया कार्य, मशीन पर किये गये कार्य के बराबर होगी। चूंकि कार्य, बल और दूरी के गुणनफल के बराबर होता है,

मिश्र यंत्र (compound machine)

ऐसे यंत्र जो दो या अधिक सरल यंत्रों के समिश्रण से बने होते हैं, मिश्र यंत्र या संयुक्त यंत्र कहलाते हैं। जैसे कैंची, उत्तोलक (लीवर) और पच्चर (वेज) दोनों के सिद्धान्तों का उपयोग करके कार्य करती है। ऐसी मशीनें जो काम कर सकतीं हैं वह कार्य सरल मशीनों द्वारा करना कभी-कभी असम्भव होता है।

ऐसी मशीनों को जिसमे बहुत सी सरल मशीनें प्रयुक्त होती हैं, कभी-कभी जटिल यंत्र (complex machine) भी कहते हैं। जैसे सायकिल, आटोमोबाइल आदि।

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इन्हें भी देखें

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