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साक्षरता
पढ़ने और लिखने की क्षमता विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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साक्षरता (दीर्घ सन्धि: स + अक्षर) का अर्थ है पढ़ना और लिखना जानना। [1]। अलग-अलग देशों में साक्षरता के अलग-अलग मानक हैं। भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना नाम लिख और पढ़ सकता है तो वह साक्षर माना जायेगा।
साक्षरता दर
सारांश
परिप्रेक्ष्य
किसी देश या राज्य की साक्षरता दर वहाँ की कुल जनसँख्या और साक्षर लोगों के अनुपात को कहा जाता है। अधिकाँश इसे प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है। लेकिन कभी-कभी इसे प्रति-कोटि (हर हज़ार की दर पर) के रूप में भी दर्शाया जाता है।
सूत्र
इसका गणितीय सूत्र है: साक्षरता दर प्रतिशत = शिक्षित जनसंख्या/कुल जनसंख्या
यह बताता है कि हर सौ लोगों में से कितने लोग साक्षर हैं।
भारत में स्थिति
आज़ादी के समय भारत की साक्षरता दर मात्र बारह (१२%) प्रतिशत थी जो बढ़ कर लगभग चोहत्तर (७४%) प्रतिशत हो गयी है। परन्तु अब भी भारत संसार के सामान्य दर (पिच्यासी प्रतिशत ८५%) से बहुत पीछे है। भारत में संसार की सबसे अधिक अनपढ़ जनसंख्या निवास करती है। वर्तमान स्थिति कुछ इस प्रकार है:
- पुरुष साक्षरता: बयासी प्रतिशत (८२%)
- स्त्री साक्षरता: पैंसठ प्रतिशत (६५%)
- सर्वाधिक साक्षरत दर (राज्य): केरला (चोरान्वे प्रतिशत ९४%)
- न्यूनतम साक्षरता दर (राज्य): बिहार (चौसठ प्रतिशत ६४%)
- सर्वाधिक साक्षरता दर (केन्द्र प्रशासित प्रदेश): लक्षद्वीप (बानवे प्रतिशत ९२%)
जब से भारत ने शिक्षा का अधिकार लागू किया है, तब से भारत की साक्षरता दर तेज़ी से बढ़ी है। केरला, हिमाचल, मिज़ोरम, तमिल नाडू और राजस्थान में हुए विशाल बदलावों ने इन राज्यों की काया पलट कर दी है, और लगभग सभी बच्चों को अब वहाँ शिक्षा प्रदान की जाती है। बिहार में शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है जिससे सरकार जूझ रही है। वहाँ गरीबी की दर इतनी अधिक है कि लोग जीवन की मूल-भूत आवश्यकताएं जैसे रोटी, कपड़ा और मकान का भी जुगाड़ नहीं कर पाते। वे किताबों का खर्च नहीं उठा पाते।[उद्धरण चाहिए]
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इन्हें भी देखें
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