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सापेक्ष कांतिमान
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सापेक्ष कांतिमान (apparent magnitude) किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है।[1][2]

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सापेक्ष और निरपेक्ष कान्तिमान में अंतर
निरपेक्ष कान्तिमान किसी वस्तु की स्वयं की चमक का माप है और इसमें हमेशा यह देखा जाता है कि १० पारसॅक की मानक दूरी पर वह वस्तु कितनी रौशन लगती है। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है कि यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता (और उन दोनों के बीच में कोई खगोलीय धूल वग़ैराह न हो) तो वह तारा कितना चमकीला लगता। इस तरह से "निरपेक्ष कांतिमान" और "सापेक्ष कांतिमान" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालाँकि दूसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है।
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अन्य भाषाओं में
अंग्रेज़ी में "सापेक्ष कांतिमान" को "अपैरॅन्ट मैग्निट्यूड" (apparent magnitude) और "निरपेक्ष कांतिमान" को "एब्सोल्यूट मैग्निट्यूड" (absolute magnitude) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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