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सीताराम लालस

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डॉ० सीताराम लालस (29 दिसम्बर 1908 - 29 दिसम्बर 1986)[5] भारत के प्रख्यात कोशकर्मी तथा भाषाविज्ञानी थे। उन्होने राजस्थानी का पहला शब्दकोश निर्मित किया जिसका नाम 'राजस्थानी सबदकोश' हैं। उन्होने 'राजस्थानी-हिन्दी वृहद कोश' की भी रचना की। एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका ने सीताराम लालस को 'राजस्थानी जुबां की मशाल' कहकर संबोधित किया।

सामान्य तथ्य सीताराम लालस, जन्म ...

भारत सरकार ने सीताराम लालस को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।[6]

सीताराम लालस का जन्म अपने ननिहाल बाड़मेर जिले के सिरवाडी ग्राम में 25 नवम्बर , 1912 को हुआ था। इन्होंने आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही अध्यापक की नौकरी कर ली। बाद में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। लालस मूलतः जोधपुर जिले के नरेवा ग्राम के निवासी थे। 1932 ई . में जयपुर के विख्यात साहित्यकार पुरोहित प्रताप नारायण ने बूंदी के पंडित सूर्यमल्ल मिश्रण के पुत्र मुरारोदन का डिंगल कोश उन्हें समीक्षा के लिए भिजवाया । युवा लालस ने डिंगल कोश की उपादेयता पर सक व्यक्त करते हुए उसकी तीखी आलोचना कर डाली। इस पर पुरोहितजी ने उन्हें एक पत्र लिखकर समझाया कि दिल्ली अभी दूर है, तुम्हें बातें कम और काम अधिक करना चाहिये। बस यही सीख उनके जीवन का मूलमंत्र बन गयी और वे मन ही मन यह संकल्प ले बैठे कि उन्हें राजस्थानी का एक ऐसा शब्दकोश तैयार करना है जिसमें राजस्थानी भाषा का कोई भी शब्द नहीं छूटने पाये ।

अपने इस संकल्प को मूर्तरूप देने में लालस जी अपना परिवार, व्यक्तिगत जीवन और सुख-सुविधायें सब भूल गये और लगभग आधी सदी तक कठोर साधना कर जो कोश तैयार किया उसे देखकर आने वाली पीढ़ियाँ सचमुच आश्चर्य करेंगी कि कैसे एक मामूली और साधनविहीन व्यक्ति ने दस जिल्दों में दो लाख से अधिक शब्दों का यह राजस्थानी शब्द कोश का अमर ग्रंथ तैयार किया होगा। राजस्थान साहित्य अकादमी ने 1973 ई० में उन्हें साहित्य मनीषी , 1976 ई० में जोधपुर विश्वविद्यालय ने डी० लिट् को मानद उपाधि तथा भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1977 को पद्मश्री से उन्हें अलंकृत किया।

29 दिसम्बर 1986 के उनका जोधपुर में निधन हो गया।

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