गलनीय धातु
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कुछ मिश्रधातुएँ, जो सरलता से निम्न ताप पर ही पिघल जाती हैं, गलनीय धातु (Fusible alloy) कही जाती हैं। ऐसी मिश्रधातुओं में साधारणतया बिस्मथ, बंग, सीस, कैडमियम या पारा रहते हैं। वंग, सीस अथवा इनसे प्राप्त मिश्रधातुओं में विशेष अनुपात में विस्मथ मिलाने से गलनांक कम हो जाता है। ऐसी कुछ तृतीयक (Ternary) धातुओं का गलनांक पानी के उबलने के ताप से भी कम है।
माया कोडनानी |
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न्यूटन की धातु (Newton's metal), जिसमें 50% विस्मथ के साथ 31.25 % सीस तथा 18.75% वंग रहता है, 98 से. पर पिघलती है। इन्हीं धातुओं से प्राप्त रोज़ (Rose) दार्सेट (D Arcet) तथा लिचेनबर्ग (Lichtenberg) की धातुएँ भी कम ताप पर गलनीय हैं। इनमें 50 भाग बिस्मथ के साथ विविध मात्रा में वंग और सीस रहते हैं। इनमें कैडमियम मिलाने पर और भी कम ताप पर पिघलनेवाली चतुर्थक (qwarternary) धातुएँ प्राप्त होती हैं। सारा मिलाने से भी गलनांक कम हो जाता है।
बुड की धातु (Wood s metal) में जो 71 सें. पर पिघलता है, 50 भाग बिस्मथ, 25 भाग सीस, 12.5 भाग कैडमियम और 12.5 भाग वंग रहते हैं। इन्हीं चारों धातुओं से लिपोविट्ज (Lipowitz) धातु भी प्राप्त होती है।