दिव्य प्रबन्ध
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नालायिर दिव्य प्रबन्ध (तमिल: நாலாயிர திவ்ய பிரபந்தம்) तमिल के 4,000 पद्यों को कहते हैं जिनकी रचना १२ आलवार सन्तों आठवीं शती के पहले ने की थी। तमिल में 'नालायिर' का अर्थ है - 'चार हजार'। अपने वर्तमान रूप में इन पद्यों का संकलन नाथमुनि द्वारा नौंवी और दसवीं शदी में किया गया। ये पद्य आज भी खूब गाये जाते हैं।
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दिव्य प्रबन्ध 'नारायण' (या, विष्णु) की स्तुति में रचे गये हैं।
अलवार और नायन्मार संतो की रचनाओं को वेदों महत्वपूर्ण बताकर भक्ति परम्परा को सम्मानित किया गया। उदाहरण स्वरूप, आलवार संतो के एक मुख्य काव्य संकलन (नालायिर दिव्य प्रबंधम्) का वर्णन तमिल वेद के रूप में किया जाता था। इस तरह इस ग्रंथ का महत्व संस्कृत के चारों वेदों जितना बताया गया जो पंडितो के द्वारा पोषित थे।