निंबार्क संप्रदाय
बैरागियों के चार सम्प्रदायों में से एक / From Wikipedia, the free encyclopedia
निम्बार्क सम्प्रदाय, वैष्णवों के चार सम्प्रदायों में अत्यन्त प्राचीन सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय को हंस सम्प्रदाय, कुमार सम्प्रदाय और सनकादि सम्प्रदाय भी कहते हैं। इस सम्प्रदाय का सिद्धान्त द्वैताद्वैतवाद कहलाता है। इसी को भेदाभेदवाद भी कहा जाता है। मथुरा में स्थित ध्रुव टीले पर निम्बार्क सम्प्रदाय का प्राचीन मन्दिर है।
स्थापक | |
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जगद्गुरु स्वामी निम्बार्काचार्य | |
महत्वपूर्ण आबादी वाले क्षेत्र | |
भारत व नेपाल | |
भाषाएँ | |
संस्कृत, हिन्दी व बृजभाषा |
वैष्णव चतुःसम्प्रदाय में श्रीनिम्बार्क सम्प्रदाय अत्यन्त प्राचीन अनादि वैदिक सत्सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय के आद्याचार्य श्रीसुदर्शनचक्रावतार जगद्गुरु श्रीभगवन्निम्बार्काचार्य है । आपकी सम्प्रदाय परम्परा चौबीस अवतारों में श्रीहंसावतार से प्रारम्भ होती है। श्रीहंस भगवान् से जिस परम दिव्य पंचपदी विद्यात्मक श्रीगोपाल-मन्त्रराज का गूढतम उपदेश जिन महर्षिवर्य चतु: सनकादिकों को प्राप्त हुआ, उसी का दिव्योपदेश देवर्षिप्रवर श्रीनारदजी को मिला और वही उपदेश द्वापरान्त में महाराज परीक्षित के राज्यकाल में श्रीनारदजी से श्रीनिम्बार्क भगवान् को प्राप्त हुआ।