मानव का पोषण नाल
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जीव का पाचक नाल या आहार नाल एक लम्बी नाल है जो मुँह से लेकर मलाशय या गुदा के अन्त तक विस्तृत है। यह एक संतत लंबी नली है, जिसमें आहार मुँह में प्रविष्ट होने के पश्चात् ग्रासनाल, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रान्त्र, बृहदान्त्र, मलाशय और गुदा नामक अवयवों में होता हुआ गुदा से मल के रूप में बाहर निकल जाता है
पोषण नाल या पाचक नाल के तीन कार्य हैं :
1-आहार के अवयवों को पचाना तथा उनको गलाकर ऐसे रूप में ले आना कि वह शरीर के अंगों द्वारा आत्मसात हो सकें,
2-आहार को अपनी लंबी यात्रा में पाचन नाल के आदि से अंत तक पहुँचाना और
3-पाचित आहर के रस का अवशोषित करना।
पहला कार्य उन पाचक रसों द्वारा पूर्ण होता है जो पाचक नाल में स्थित, या उसमें संबंधित, ग्रंथियों में उत्पन्न होकर वाहिनियों द्वारा नाल में आकर आहार में मिल जाते हैं। ये रस रासायनिक द्रव्य होते हैं और आहार के भिन्न भिन्न अवयवों को अपनी रासायनिक क्रिया द्वारा विभाजित करके ऐसे रूपों में ले आते हैं जिनको शरीर के अंग ग्रहण कर सकें। दूसरा कार्य उस गतियों द्वारा संपादित होता है जो पाचन नाल की भित्तियों में स्थित अनैच्छिक पेशीसूत्रों के संकोच और विस्तार से नाल में होती रहती हैं। तीसरे कार्य का संपादन क्षुद्रान्त्र का विशेष गुण है, यद्यपि कुछ अवशोषण अन्य भागों में भी होता है।
आहार पदार्थों के विशेष घटक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण और जल हैं। सभी खाद्य पदार्थ इन्हीं घटकों से बने रहते हैं। किसी में कोई घटक अधिक होता है, कोई कम। हमारा शरीर भी इन्हीं अवयवों का बना हुआ है। शरीर का 2/3 भाग जल है। प्रोटीन शरीर की मुख्य वस्तु है, जिससे अंग बनते हैं। कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज़ के रूप में शरीर में रहता है, जिसकी मांसपेशियों को सदा आवश्यकता होती है। वसा की भी अत्यधिक मात्रा शरीर में एकत्र रहती है। विटामिन और लवणों की आवश्यकता शरीर की क्रियाओं के उचित संपादन के लिये होती हैं। हमारा शरीर ये सब वस्तुएँ आहार से ही प्राप्त करता है। हाँ, आहार से मिलनेवाले अवयवों का रासायनिक रूप शरीर के अवयवों के रूप से भिन्न होता है। अतएव आहार के अवयवों को शरीर पाचक रसों द्वारा उनके सूक्ष्म घटकों में विघटित कर देता है और उन घटकों का फिर से संश्लेषण करके अपने लिये उपयुक्त अवयवों को तैयार कर लेता है। यह काम अंगों की कोशिकाएँ करती हैं। जो घटक उपयोगी नहीं होते, उनको ये छोड़ देती हैं। शरीर ऐसे पदार्थों को मल, मूत्र, स्वेद (पसीना) और श्वास द्वारा बाहर निकाल देता है।