बिन्दुसार
दूसरा मौर्य शासक / From Wikipedia, the free encyclopedia
बिन्दुसार (राज. 297–273 ई.पू) मौर्य राजवंश के राजा थे, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे। बिन्दुसार को अमित्रघात, सिंहसेन्, मद्रसार तथा अजातशत्रु वरिसार [1] भी कहा गया है। बिन्दुसार महान मौर्य सम्राट अशोक के पिता थे।
जैन ग्रन्थ 'राजावलीकथे' में बिन्दुसार का नाम सिंहसेन लिखा है; जो उनके "अमित्रघात" होने के कारण है और आगे वर्णित है की बिन्दुसार अपने पुत्र भास्कर के साथ श्रवणबेलगोला की ओर भ्रमण करने गया था।[2]
सम्राट बिन्दुसार मौर्य | |||||
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क्षत्रिय मौर्य राजवंश | |||||
शासनावधि | 298 ईसा पूर्व-272 ईसा पूर्व | ||||
राज्याभिषेक | ३२१ ईसा पूर्व | ||||
पूर्ववर्ती | मौर्य साम्राज्य के सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य | ||||
उत्तरवर्ती | सम्राट अशोक मौर्य | ||||
जन्म | 340 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र (अब बिहार में) | ||||
निधन | 297 ईसा पूर्व (उम्र 47–48) पाटलिपुत्र , बिहार | ||||
जीवनसंगी | चारूमित्रा,सुभद्रांगी | ||||
संतान | सुषीम, अशोक,तिष्य | ||||
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पिता | सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य | ||||
माता | दुर्धरा | ||||
धर्म | वैदिक [3], आजीविक[4] |
चन्द्रगुप्त मौर्य एवं दुर्धरा के पुत्र बिन्दुसार ने काफी बड़े राज्य का शासन संपदा में प्राप्त किया। उन्होंने दक्षिण भारत की तरफ़ भी राज्य का विस्तार किया। चाणक्य उनके समय में भी प्रधानमन्त्री बनकर रहे।
बिन्दुसार के शासन में तक्षशिला के लोगों ने दो बार विद्रोह किया। पहली बार विद्रोह बिन्दुसार के बड़े पुत्र सुशीम के कुप्रशासन के कारण हुआ। दूसरे विद्रोह का कारण अज्ञात है पर उसे बिन्दुसार के पुत्र अशोक ने दबा दिया।