ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त
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ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, ब्रह्मगुप्त की प्रमुख रचना है। यह संस्कृत मे है। इसकी रचना सन ६२८ के आसपास हुई। ध्यानग्रहोपदेशाध्याय को मिलाकर इसमें कुल पचीस (२५) अध्याय हैं। यह ग्रन्थ पूर्णतः काव्य रूप में लिखा गई है। 'ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त' का अर्थ है - 'ब्रह्मगुप्त द्वारा स्फुटित (प्रकाशित) सिद्धान्त'।
इस ग्रन्थ में अन्य बातों के अलावा गणित के निम्नलिखित विषय वर्णित हैं-
- शून्य की गणितीय भूमिका की अच्छी समझ है;
- धनात्मक और ऋणात्मक दोनो प्रकार की संख्याओं के साथ गणितीय संक्रियाएँ करने के नियम दिए गये हैं;
- वर्गमूल निकालने की एक विधि;
- रैखिक समीकरणों तथा कुछ वर्ग समीकरणों के हल करने की विधियाँ;
- गणितीय श्रेणियों का योग निकालने की विधियाँ;
- ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका (Brahmagupta's identity) तथा
- ब्रह्मगुप्त प्रमेय मौजूद हैं।