रक्ताल्पता (रक्त+अल्पता)(Anemia), का साधारण मतलब रक्त (खून) की कमी है। यह लाल रक्त कोशिका में पाए जाने वाले एक पदार्थ (कण) रूधिर वर्णिका यानि हीमोग्लोबिन की संख्या में कमी आने से होती है। हीमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन आने से भी रक्ताल्पता के लक्षण प्रकट होते हैं। हीमोग्लोबिन पूरे शरीर मे ऑक्सीजन को प्रवाहित करता है और इसकी संख्या मे कमी आने से शरीर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति मे भी कमी आती है जिसके कारण व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है। समान्यत हीमोग्लोबिन की मात्रा सभी मे 12.0-15.5 होनी चाहिए।

सामान्य तथ्य आईसीडी-१०, आईसीडी-९ ...
रक्ताल्पता
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Thumb
लौहतत्व की कमी से हुई रक्ताल्पता के एक रोगी की परिधीय रक्त स्मीयर माइक्रोस्कोपी।
आईसीडी-१० D50.-D64.
आईसीडी- 280-285
डिज़ीज़-डीबी 663
मेडलाइन प्लस 000560
ईमेडिसिन med/132  emerg/808 emerg/734
एम.ईएसएच D000740
बंद करें



कारण

  • शरीर द्वारा लौह और अन्य आहार के उपयोग मे समस्या।
  • लौहतत्व युक्त भोजन का अपर्याप्त सेवन।
  • मुंह, आहार-नाल, आमाशय या आंतों मे रक्तस्राव।
  • योनिक रक्तस्राव या भारी मासिक स्राव।
  • एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं द्वारा गाय या बकरी के दूध का सेवन।
  • शिशुओं को दिये जाने वाले खाद्य अनुकल्प मे लौहतत्व की कमी।

लक्षण

  • थकान या कमजोरी अनुभव करना।
  • त्वचा, होठ, मसूड़ों, आंखों, नाखून और हथेलियों का पीला होना।
  • स्पष्ट सोचने मे परेशानी या भ्रम अनुभव करना।
  • चक्कर आना या बेहोशी छाना।
  • हांफना या सीने मे दर्द।
  • दिल की धड़कनों का तेज होना।
  • शिशुओं और बच्चों का धीमा विकास।

समाधान

एनीमिया रोग जिसे हिंदी में खून की कमी कहा जाता है। खून की कमी होने से शरीर में अनेको रोग होने लगते है। शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए कुछ निम्न घरेलु उपचार है। रोजाना सुबह भीगे हुए बादाम का सेवन करे ,इससे शरीर में जल्दी रक्त की वृद्धि होगी। अपने आहार में अधिक मेथी की सब्जी शामिल करे, क्योंकि मेथी में बहुत से विटामिन व खनिज होते है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में सहायता करते है। खून की कमी को दूर करने के लिए सोयाबीन बहुत महत्वपूर्ण है। इसका सेवन अधिक करे। फलो में सेब बहुत अच्छा माना जाता है। सेब का सेवन रोजाना करे। एनीमिया को दूर करने के लिए तुलसी बहुत अच्छा औषधीय होता है। इसमें बहुत से एंटीऑक्सीडेंट जो रक्त की मात्रा बढ़ने में सहायता करते है।

  • चिकित्सक की सलाह अनुसार अपने भोजन पर विशेष ध्यान देना।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों, अंडों, लाल मांस, फल, दुग्ध-उत्पाद, मेवों, फलियों और मछली को अपने भोजन मे शामिल करना।
  • चिकित्सक की सलाह अनुसार कोई लौह-पूरक (आयरन सप्लीमेंट) लेना।
  • प्रतिदिन ६-८ ग्लास तरल पदार्थ लेना।
  • कम हुए लौहतत्व और रक्त की पूर्ति के लिए रक्ताधान करवाना।

• आयरन और पूरक विटामिन: ये आमतौर पर शरीर में आयरन के स्तर की स्थिति के मूल्यांकन के बाद डॉक्टर द्वार परामर्श किया जाता है। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार आयरन लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आवश्यकता से अधिक आयरन गंभीरता से विषाक्त हो सकता है। • आयरन इंजेक्शन और रक्ताधान: अधिक गंभीर मामलों में इंजेक्शन या रक्ताधान आयरन के स्तर और मौखिक चिकित्सा की समस्याओं के आधार पर जरूरत हो सकती है। • एंटीबायोटिक्स और संक्रमण का प्रबंधन: संक्रमण होने पर तुरंत उपचार की आवश्यकता सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है • दर्द शामक औषधि से बचना – ये दवायें जो रक्तस्राव में योगदान करती है • माहवारी के दौरान गंभीर रक्तस्राव जैसी समस्याओं के लिए सर्जरी करने से, गंभीर रक्तसंलायी रक्ताल्पता के मामलों में रक्तस्राव रोकने की जरूरत होती है, प्लीहा को निकाला जा सकता है। यदि आपको खड़े होते ही चक्कर आते हैं या आप हांफने लगते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क साधे।

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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