राम प्रसाद 'बिस्मिल'
भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी / From Wikipedia, the free encyclopedia
पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' (11 जून 1897 - 19 दिसम्बर 1927) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे।
पंडित राम प्रसाद'बिस्मिल' | |
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11 जून 1897 से 19 दिसम्बर 1927 | |
पंडित रामप्रसाद 'बिस्मिल' | |
उपनाम : | 'बिस्मिल', 'राम', 'अज्ञात' |
जन्मस्थल : | शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत |
माता-पिता: | मूलमती/ मुरलीधर |
धर्म: | हिन्दू(ब्राह्मण)[1] |
आन्दोलन: | भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम |
प्रमुख संगठन: | हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन |
उपजीविका: | कवि, साहित्यकार |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
स्मारक: | अमर शहीद पं॰ राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान, ग्रेटर नोएडा संग्रहालय, शाहजहाँपुर अमर शहीद पं रामप्रसाद बिस्मिल संग्रहालय, मुरैना,म.प्र. समाधि- बाबा राघवदास आश्रम, बरहज(देवरिया), उ0प्र0 |
राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे।
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् 1897 शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद 30 वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् 1927 को शहीद हुए। उन्होंने सन् 1916 में 19 वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। 11 वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। 11 पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं।
बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की 11 नम्बर बैरक में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था।