वराहावतार
भगवान श्री विष्णु जी के अवतार / From Wikipedia, the free encyclopedia
वराहावतार भगवान विष्णु के अवतार हैं । जब जब धरती पापी लोगों से कष्ट पाती है तब तब भगवान विविध रूप धारण कर इसके दु:ख दूर करते हैं। दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को रसातल में छिपा दिया था तब भगवान विष्णु वराह अवतार लेकर पृथ्वी का कल्याण किया था। इनकी शक्ति अथवा पत्नी देवी वाराही हैं जो भगवती लक्ष्मी की स्वरूप हैं और इनमें देवी पार्वती जी की शक्तियां हैं। भगवान वराह को सोरों शूकर क्षेत्र जो की उत्तर प्रदेश में है नामक स्थान पर मोक्ष प्राप्त हुआ था अतः तभी से सोरों शूकर क्षेत्र में हरि की पौड़ी है इस गंगा में मृतक की अस्थियां मात्र तीन दिन में गल कर जल में विलीन हो जाती है संसार में इक मात्र यही गंगा है जो दसों प्रकार के पापो को नष्ट करती हैं
इस लेख में दिया कहानी का सारांश बहुत लंबा अथवा अनावश्यक रूप से विस्तृत है। कृपया अनावश्यक विवरण हटाकर इसे उपयुक्त रूप से संक्षिप्त बनाने में मदद करें। |
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। (सितंबर 2019) स्रोत खोजें: "वराहावतार" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
सामान्य तथ्य वराह, संबंध ...
वराह | |
---|---|
पृथ्वी का रक्षक | |
भगवान वाराह हिरण्याक्ष का संहार और पृथ्वी की रक्षा करते हुए। | |
संबंध | स्वयं भगवान |
निवासस्थान | वैकुंठ |
मंत्र | ॐ वराहाय नमः, ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नम:। |
अस्त्र | सुदर्शन चक्र |
जीवनसाथी | वाराही और भूदेवी |
संतान | नरकासुर |
शास्त्र | भागवत पुराण, विष्णु पुराण, वाराह पुराण |
बंद करें