विक्रम संवत
चंद्रमा की गतिविधियों के आधार पर चलने वाला पंचाग / From Wikipedia, the free encyclopedia
विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिंदू पंचांग है।भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। नेपाल के सरकारी संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। इसमें चान्द्र मास एवं सौर नाक्षत्र वर्ष (solar sidereal years) का उपयोग किया जाता है। प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ ५७ ई.पू. में हुआ था। (विक्रमी संवत् = ईस्वी सन् + ५७) ।
इस संवत् का आरम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है। यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है (अधिमास, देखें)।
जिस दिन नव संवत् का आरम्भ होता है, उस दिन के वार के अनुसार वर्ष के राजा का निर्धारण होता है।
आरम्भिक शिलालेखों में ये वर्ष 'कृत' के नाम से आये हैं। 8वीं एवं 9वीं शती से विक्रम संवत् का नाम विशिष्ट रूप से मिलता है। संस्कृत के ज्योतिष ग्रन्थों में शक संवत् से भिन्नता प्रदर्शित करने के लिए सामान्यतः केवल 'संवत्' नाम का प्रयोग किया गया है ('विक्रमी संवत्' नहीं)।