विधि संहिता

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नेपोलियन कोड के 1804 मूल संस्करण का पहला पृष्ठ

विधि संहिता (code of law या law code या legal code) का अर्थ है - किसी क्षेत्र में अधिनियमित और प्रवृत्त समस्त विधियों या किसी विशिष्ट विधि का संहिताबद्ध रूप। यद्यपि विभिन्न स्थानों में प्रवृत्त लोक-विधि (common law) और सिविल विधि(civil law) की प्रणालियों में विधि का संहिताकरण करने के कारण और उसकी प्रक्रिया समान हैं किन्तु उनके व्यावहारिक उपयोग में अन्तर है।

सिविल विधि वाले देश में विधि संहिता सामान्यतः सम्पूर्ण विधिक प्रणाली( उदाहरणार्थ दीवानी या आपराधिक कानून) को पूर्णतया समाविष्ट करती है। इसके विपरीत, अंग्रेज़ी परंपरा की विधायी व्यवस्था से युक्त लोक विधि वाले देश में न्यायालय लोक विधि के किसी अभिव्यक्त या विवक्षित प्रावधान में तो सुधार करते रहते हैं परन्तु लोक विधि का मूल रूप बरकरार रहता है। जब किसी क्षेत्र में विधि को संहिताबद्ध किया जाता है तो लोक विधि का स्थान विधि संहिता ले लेती है। जब तक संहिताबद्ध विधि को निरस्त नहीं किया जाता तब तक लोक विधि निष्क्रिय रहती है। इस संबन्ध मे एक अन्य श्रेणी भी है। लोक विधि के समान विधायी व्यवस्था वाले संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों में विधियों को संहिताबद्ध किया जाता है और इसके बाद इनमें विधायी अधिनियमों द्वारा संशोधन के माध्यम से ही कुछ जोड़ा या घटाया जा सकता है।

इतिहास

विधि संहिता प्राचीन मध्य पूर्व की विधि व्यवस्था की एक सामान्य विशेषता रही है। उदाहरणार्थ सुमेर, मेसोपोटामिया(अब इराक) की विधि संहिता, उरुकएगिना(UrukAgina) विधि संहिता(2380-2360 ई.पू.), उर-नम्मू(Ur-Nammu) का सुमेरियन कोड(लगभग 2100-2050 ई.पू.), एशनुन्ना(Eshnunna) की विधि संहिता, लिपिट-ईशर की विधि संहिता (1934-1924 ईसा पूर्व) और हम्मुराबी की बेबीलोनियन संहिता (लगभग 1760 ईसा पूर्व) प्राचीनतम और सर्वोत्तम संरक्षित संहिताएं हैं।

रोमन साम्राज्य में अनेक संहिताएं बनाई गईं जैसे - 450 ईसा पूर्व में पहली बार संकलित रोमन विधि की बारह तालिकाएँ (Twelve Tables) और जस्टिनियन की कॉर्पस ज्यूरिस सिविलिस (Corpus Juris Civilis), जिसे जस्टिनियन कोड (429 - 534 ईस्वी) के रूप में भी जाना जाता है। परन्तु इन विधि संहिताओं में रोमन विधि व्यवस्था का संपूर्ण वर्णन नहीं किया गया। बारह तालिकाओं का विषय क्षेत्र सीमित था और अधिकांश विधिक सिद्धांतों को परमधर्मपीठों(pontifices) द्वारा विकसित किया गया था जिन्होंने ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तालिकाओं की व्याख्या की, जिनका उल्लेख उनमें नहीं था। उस समय उपलब्ध विधिक विषयवस्तु को जस्टिनियन कोड में संकलित किया गया है ।

प्राचीन चीन के तांग राजवंश में 624 ईस्वी में पहला विशद आपराधिक कोड तांग कोड बनाया गया। तांग कोड और इसके बाद के अन्य शाही कोड चीन और इसके सांस्कृतिक प्रभाव के अंतर्गत आने वाले अन्य पूर्वी एशियाई राज्यों की दंड व्यवस्था के आधार बने। 1644 में चिंग राजवंश(Qing dynasty ) की स्थापना के बाद बनाया गया ग्रेट चिंग लीगल कोड अंतिम और सर्वोत्तम संरक्षित शाही कोड है। यह कोड 1644 और 1912 के मध्य चीन में प्रवृत्त विधि का विशिष्ट उदाहरण है। यद्यपि यह एक आपराधिक संहिता थी किन्तु इसका एक बड़ा भाग दीवानी कानून और दीवानी विवादों के निपटारे से संबंधित था। 1912 में चिंग राजवंश के पतन के बाद यह संहिता अस्तित्व में नहीं रही परन्तु हांगकांग में इसके महत्वपूर्ण प्रावधान 1970 के दशक तक लागू रहे।

रोमन विधि, विशेषरूपेण कॉर्पस ज्यूरिस सिविलिस, यूरोप के अनेक देशों की विधिक व्यवस्था का आधार बन गई। रोमन विधि को या तो विधायी व्यवस्था द्वारा अपनाया गया या न्यायविदों द्वारा विकसित किया गया। इस प्रकार अपनाई  गई रोमन विधि को संहिताबद्ध करके मुख्य संहिता मे सम्मिलित कर लिया गया। वेस्टफेलिया की संधि के बाद राष्ट्र-राज्यों का उदय होने पर विधि के संहिताकरण की गति तीव्र हो गई। 1804 का नेपोलियन कोड(कोड सिविल), 1900 का जर्मन नागरिक कोड(बर्गरलिचेस गेसेट्ज़बच) और स्विस कोड प्रमुख राष्ट्रीय सिविल कोड हैं। 1800 के दशक में यूरोपीय विधि के संहिताकरण ने कैथोलिक कैनन कानून के संहिताकरण को भी प्रभावित किया।

इस बीच, अफ्रीकी सभ्यताओं ने भी कहीं-कहीं अपनी विधिक प्रथाओं को सिलसिलेवार मौखिक रूप से संहिताबद्ध करते हुए विकसित किया।

हाल की शताब्दियों में यूरोपीय सांस्कृतिक और सैन्य प्रभुत्व के विस्तार के साथ-साथ दुनिया भर में महाद्वीपीय सिविल विधि की परंपरा विकसित हुई। मेइजी पुनर्स्थापन(Meiji Restoration) के दौरान, जापान ने मुख्यत: फ्रांसीसी सिविल संहिता पर आधारित और जर्मन संहिता से प्रभावित एक नई सिविल संहिता(1898) को अपना लिया। 1911 की शिन्हाई क्रांति के बाद चीन के गणराज्य की नई सरकार ने शाही कोड परंपरा को त्याग कर जर्मन बर्गर्लिच गेसेट्ज़बच(Bürgerliches Gesetzbuch) और जापानी कोड से प्रभावित एक नई सिविल संहिता को अपना लिया। 1949 से चीन के जनवादी गणराज्य की विधिक व्यवस्था में इस नई परंपरा को बड़े पैमाने पर बनाए रखा गया है।

इस दौरान, लोक विधि वाली व्यवस्थाओं में भी संहिताकरण की प्रवृत्ति देखी जा रही है। उदाहरणार्थ, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में लोक विधि के अनेक क्षेत्रों में आपराधिक संहिता बन गई है और इंग्लैंड में इस पर विमर्श हो रहा है।  

अमेरिका में महाद्वीपीय विधिक संहिताओं का प्रभाव दो प्रकार से परिलक्षित होता है। सिविल विधि के क्षेत्र में महाद्वीपीय परंपरा वाली विधिक संहिताएं सामान्य हैं। किन्तु लोक विधि के क्षेत्र में संहिताकरण की प्रवृत्ति रही है। ऐसे संहिताकरण की परिणति सदैव विधिक संहिता के रूप में उस प्रकार नहीं होती जैसा कि सिविल विधि के मामले में होता है। उदाहरणार्थ, कैलिफ़ोर्निया सिविल कोड में मुख्य रूप से लोक विधि के सिद्धांत को ही संहिताबद्ध किया गया है और इसका रूप और विषय वस्तु अन्य सभी सिविल संहिताओं से में बहुत अलग हैं।  

सिविल संहिता

सामान्यत: सिविल विधि व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण अंग सिविल संहिता है सामान्यत निजी कानून की पूरी प्रणाली: विधिक संहिता के अन्तर्गत आती है।

सिविल संहिताएं संयुक्त राज्य अमेरिका में आम तौर पर पाई जाती हैं। ऐसी नागरिक संहिताएं प्रायः लोक विधि के नियमों और विभिन्न प्रकार की तदर्थ विधियों का संग्रह होती हैं।

आपराधिक संहिता

सामान्यत: अनेक विधि व्यवस्थाओं मे आपराधिक संहिता या दंड संहिता पाई जाती है। आपराधिक विधि के संहिताकरण से आपराधिक विधि का निर्माण और संशोधन अधिक लोकतांत्रिक तरीके से हो सकता है।

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