सुभाषित
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन / From Wikipedia, the free encyclopedia
सुभाषित (सु + भाषित = सुन्दर ढंग से कही गयी बात) ऐसे शब्द-समूह, वाक्य या अनुच्छेदों को कहते हैं जिसमें कोई बात सुन्दर ढंग से या बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से कही गयी हो। सुवचन, सूक्ति, अनमोल वचन, आदि शब्द भी इसके लिये प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
- यस्य कस्य तरोः मूलं येन केन अपि घर्षितम् ।
- यस्मै कस्मै प्रदातव्यं यत् वा तत् वा भविष्यति ॥
- अर्थ : इस या उस वृक्ष का मूल ले लिया, जिससे तिससे घिस लिया,
- जिसको तिसको दे दिया (पिला दिया) तो परिणाम भी जैसा-तैसा ही मिलेगा।
- चिंतायाश्च चितायाश्च बिन्दुमात्रं विशिष्यते ।
- चिता दहति निर्जीवं चिन्ता दहति जीवनम् ॥ (-- समयोचितपद्यमालिका )
- ( 'चिंता' और 'चिता' में केवल एक बिन्दु का (छोटा सा) अन्तर है।
- किन्तु चिता तो निर्जीव (मरे हुए) को जलाती है जबकि चिंता जीवन को ही जलाती रहती है।)