ज्ञानेश्वरी
भगवद्गीतेवर ज्ञानेश्वरांनी केलेले भाष्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
शा.श. १२१२, अर्थात इ.स. १२९०, साली प्रवरातीरी असणाऱ्या नेवासे या गावातील मंदिरात एक खांबाला टेकून भगवद्गीतेवर ज्ञानेश्वरांनी जे भाष्य केले त्यालाच ज्ञानेश्वरी किंवा भावार्थदीपिका म्हटले जाते. ज्ञानेश्वरीत एकूण १८ अध्याय आहेत.
सर्वसामान्यांसाठी असणारा गीतेवरील ज्ञानेश्वरांचा हा मराठीतील सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ आहे. मराठीतील गोडवा अन्य भाषिकांना कळावा या उद्देशाने संस्कृत(गीर्वाण), हिंदी भाषा, कन्नड, तमिळ, इंग्रजीबरोबरच २१ निरनिराळ्या भाषांमध्ये ज्ञानेश्वरी भाषांतरित झाली असून ते भाषांतरित छापील ग्रंथ उपलब्ध आहेत.
- 'ज्ञानेश्वरी' लिहून घेणारे लेखक - सच्चिदानंद बाबा
- 'ज्ञानेश्वरी'चे पहिले भाष्यकार - संत निवृत्तीनाथ महाराज.
- 'ज्ञानेश्वरी'चे पहिले संशोधक - संत एकनाथ.
- 'ज्ञानेश्वरी'चा पहिला संकलनकार - संत महिपती.
- 'ज्ञानेश्वरी'चे पहिले प्रसारक - संत नामदेव.
अध्याय | श्लोक | ओवी | |
अध्याय १ | अर्जुनविषादयोग | ४७ | २७५ |
अध्याय २ | सांख्ययोग | ७२ | ३७५ |
अध्याय ३ | कर्मयोग | ४३ | २७६ |
अध्याय ४ | ज्ञांनासान्यासयोग | ४२ | २२५ |
अध्याय ५ | योगगर्भयोग | २९ | १८० |
अध्याय ६ | आत्मसंयमयोग | ४७ | ४९७ |
अध्याय ७ | विज्ञानयोग | ३० | २९० |
अध्याय ८ | ब्रह्माक्षरनिर्देशयोग | २८ | २७१ |
अध्याय ९ | राजविद्याराजगुह्यायोग | ३४ | ५३५ |
अध्याय १० | विभूतियोगा | ४२ | ३३५ |
अध्याय ११ | विश्वरूपदर्शनयोग | ५५ | ७०८ |
अध्याय १२ | भक्तियोग | २० | २४७ |
अध्याय १३ | प्रकृतीपुरुषविवेकयोग | ३४ | ११६९ |
अध्याय १४ | गुणातीतयोग | २७ | ४१५ |
अध्याय १५ | पुरुषोत्तमयोग | २० | ५९८ |
अध्याय १६ | दैवसुरसंपद्विभागयोग | २४ | ४७३ |
अध्याय १७ | श्रद्धादिंनिरुपणयोग | २८ | ४३३ |
अध्याय १८ | सर्वगीतार्थसंग्रहयोग | ७८ | १८१० |
एकूण | ७०० | ९११२ |