धेरै जस्तो उत्तर भारतीय र नेपाली भाषाहरूको लेखनको लिपि From Wikipedia, the free encyclopedia
देवनागरी अथवा नागरी बायाँ देखि दायाँ सम्म लेखिने अक्षरात्मक लिपिमा आधारित एक प्राचीन ब्राह्मी लिपि हो। यसको प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीपमा हुने गर्दछ। यसको विकास प्राचीन भारतमा पहिलो देखि चौथो शताब्दीको बीचमा भएको थियो भने यसको प्रयोग सातौँ शताब्दी देखी हुँदै आएको छ। देवनागरी लिपिमा, ४७ वटा वर्णहरू हुन्छन् जसमा १४ वटा स्वरवर्ण र ३३ वटा व्यञ्जनवर्ण हुन्छन्। यो संसारमा सबैभन्दा बढी प्रयोग हुने लिपि मध्ये चौथो हो जहाँ यस लिपिमा १२० भन्दा बढी भाषाहरू लेखिन्छ। यो लिपि नेपाल र भारत गणतन्त्रको आधिकारिक लिपिहरू मध्ये एक हो।
देवनागरी नागरी | |
---|---|
प्रकार | |
समयावधि | सातौँ शताब्दी देखि हाल |
लेखन दिशा | बायाँ देखि दायाँ |
क्षेत्र | |
भाषाहरू | अपभ्रंश, अङ्गिका, अवधी, बज्जिका, भिली, भोजपुरी, बोडो, ब्रज, छत्तीसगढी, डोगरी, गढवाली, हरियाणवी, हिन्दी, कश्मीरी, खान्देशी, कोङ्कणी, कुमाउँनी, मगही, मैथिली, मराठी, मारवाडी, मुन्डारी, नागपुरी, नेवारी, नेपाली, पाली, पहाडी, प्राकृत, राजस्थानी, संस्कृत, सन्थाली, सराइकी, शेर्पा, सिन्धी, सुरजापुरी , र अरु धेरै। |
सम्बन्धित लिपिहरू | |
अभिभावक लिपिहरू | |
सम्बन्धित लिपिहरू | नन्दिनागरी कैथी गुजराती मोडी |
यस लिपिको वर्ण विन्यासविज्ञानले भाषाको उच्चारणलाई दर्शाउँदछ। रोमन वर्णमालाको विपरीत, यसमा ठुलो र सानो वर्ण भने हुँदैन। यो बायाँबाट दायाँ सम्म लेखिन्छ। यसमा वर्गको रूपरेखाहरूको भित्र सममित गोलाकार आकारका लागि एक बलियो प्राथमिकता रहेको हुन्छ जुन एक क्षैतिज रेखाद्वारा पहिचान योग्य हुन्छ जसलाई शिरोरेखा भनिन्छ जुन पूर्ण अक्षरहरूका लागि शीर्षको साथ चल्दछ अर्थात् प्रत्येक शब्दमाथिबाट खिचिने रेखा (केही वर्णहरूको माथिबाट रेखा हुँदैन) नै शिरोरेखा हो। झट्ट हेर्दा, अन्य ब्राह्मी लिपिहरू जस्तै बङ्गाली-असमिया, ओडिया वा गुरुमुखी भन्दा फरक देखिन्छ। तथापि, ध्यान पूर्वक यी लिपिहरू हेर्ने हो भने कोण र संरचनात्मक जोड बाहेक यिनीहरूमा निकै समानता हुन्छ। यसमा अक्षरहरूको क्रम व्यवस्था (विन्यास) वैज्ञानिक छ। यसमा स्वर-व्यञ्जन, कोमल-कठोर, अल्पप्राण-महाप्राण, अनुनासिक्य-अन्तस्थ-उष्म इत्यादि वर्गीकरण हुन्छ। उर्दु बाहेक, भारत तथा एसियाका अनेक लिपिहरूको सङ्केत देवनागरीबाट अलग छ। देवनागरी लेखनको दृष्टिबाट सरल, सौन्दर्यको दृष्टिबाट सुन्दर र वाचनको दृष्टिबाट सुपाठ्य छ।
मराठी, पाली, संस्कृत, हिन्दी, नेपाली, शेर्पा, प्राकृत, अपभ्रंश, अवधी, भोजपुरी, ब्रज भाषा, छत्तीसगढी, हरियाणवी, मगही, नागपुरी, राजस्थानी, भिली, डोगरी, मैथिली, कश्मीरी, कोङ्कणी, सिन्धी, बोडो, नेवारी, पन्जाबी, मुन्डारी र सन्थाली लगायतका भाषाहरूले देवनागरी लिपि एकमात्र लिपि वा दोस्रो लिपिको रूपमा प्रयोग गर्ने गर्दछन्। देवनागरी लिपि नन्दिनागरी लिपिसँग पनि मिल्दोजुल्दो रहेको छ जुन दक्षिण भारतका विभिन्न प्राचीन पाण्डुलिपिहरूमा भेट्ने गरिन्छ। यो विभिन्न दक्षिणपूर्वी एसियाली लिपिहरूसँग पनि सम्बन्धित छ।
देवनागरी शब्द देव र नागरी मिलेर बनेको छ। देव भनेको ईश्वर हो भने नागरी भन्ने शब्द अर्थ सहरमा बसोबास गर्ने स्त्री भन्ने हुन्छ जुन शब्द संस्कृतको नगरम्बाट आएको थियो। देवनागरीको अर्थ जस अनुसार ईश्वरीयता वा देवताहरूको निवास भन्ने हुन्छ। एउटा मत अनुसार देवनगर (काशी)मा प्रचलनको कारण यसको नाम देवनागरी भएको हो।
देवनागरी शब्दको उत्पत्ति प्राचीन शब्द नागरीबाट भएको थियो। फिसरका अनुसार, नागरी शब्दको सुरुवात ६३३ ईशापूर्वमा उत्तरपश्चिम भारतमा भएको थियो भने यो ११औँ शताब्दीमा, पूर्णरूपमा विकसित भएको थियो। यो संस्कृत साहित्यमा प्रयोग हुने प्रमुख लिपि समेत हो।
देवनागरी भारत, नेपाल, तिब्बत र दक्षिणपूर्वी एसियाका लिपिहरूको ब्राह्मी परिवारको एक भाग हो। यो तेस्रो शताब्दी ईसापूर्वको ब्राह्मी लिपिको वंशज हो। यो नागरी लिपिमा विकसित भएको थियो जसको फलस्वरूप देवनागरी र नन्दनगरीको जन्म भएको थियो। पछिल्लो लाई पहिलेमा गाभिनु पूर्व दुवै संस्कृत लेख्न प्रयोग गरिन्थ्यो। संस्कृत, मराठी, हिन्दी र यसका उपभाषाहरू र कोङ्कणी लेख्नको लागि यसको परिणामी लिपि भारत भर व्यापक रूपमा अपनाइन्छ।
प्राचीन भारतको विकासशील संस्कृत नागरी लिपिलाई प्रमाणित गर्ने केही प्रारम्भिक उपचित्रात्मक प्रमाणहरूको रूपमा शिलालेखहरू पहिलो देखि चौथो शताब्दीको बीचमा गुजरातमा भेटिएको थियो। नागरी नामक लिपिका विविधता, देवनागरीको निकट, सर्वप्रथम संस्कृतमा प्रथम शताब्दी ईसापूर्वमा रुद्रदमन शिलालेखहरूबाट प्रमाणित गरिएको थियो जबकि देवनागरीको आधुनिक मानक रूप लगभग १००० ईसापूर्व देखि प्रयोग गर्न थालिएको थियो।
मध्यकालीन शिलालेखहरूले नागरी-सम्बन्धित लिपिहरूको व्यापक प्रसारको सुझाव दिन्छन्। नागरी लिपिहरू ग्रहणसँगै दोहोरो लिपिहरूले स्थानीय लिपि प्रस्तुत गरेका छन्। उदाहरणका लागि, कर्नाटकको ८औँ शताब्दीको मध्य पटडाकाल स्तम्भमा सिद्धम लिपि र प्रारम्भिक तेलगु-कन्नड लिपि दुवैमा पाठ छ, जबकि, हिमाचल प्रदेशमा काङ्ग्र जवालामुखी शिलालेखमा शारदा र देवनागरी दुवै लिपिमा लेखिएको छ।
नागरी लिपि ७औँ शताब्दीसम्म नियमित रूपमा प्रयोगमा रहेको थियो र यो पहिलो सहस्राब्दीको अन्तसम्ममा पूर्णरूपमा विकसित भएको थियो। मध्यकालीन भारतको नागरी लिपिमा संस्कृतको प्रयोगलाई असङ्ख्य स्तम्भ र गुफा मन्दिरका शिलालेखहरूद्वारा प्रमाणित गरिएको छ। मध्य प्रदेशमा ११औँ शताब्दीको उदयगिरी शिलालेख र उत्तर प्रदेशमा भेटिएको एक कुँदिएको इँटामा देवनागरी लिपि प्रयोग भएको छ। यो इँटा १२१७ ईसापूर्वमा भेटिएको थियो जसलाई हाल ब्रिटिस सङ्ग्रहालयमन राखिएको छ। लिपिको सम्बन्धित संस्करणहरू भारत बाहिरकाका देशहरू जस्तै जस्तै श्रीलङ्का, म्यानमार र इन्डोनेसियाका प्राचीन अवशेषहरूमा पत्ता लागेका छन्। जबकि पूर्वी एसियामा नागरीको सबैभन्दा नजिकको अग्रदूत मानिने सिद्धम लिपि बौद्ध धर्मावलम्बीहरूले प्रयोग गरेका थिएँ। यसलाई लामो समयदेखि दक्षिण एसियाका धार्मिक रूपमा शिक्षित मानिसहरूले सूचना अभिलेख गर्न र प्रसारण गर्न परम्परागत रूपमा प्रयोग गर्दै आएका छन्। यो प्रशासन, वाणिज्य र अन्य दैनिक प्रयोगका लागि प्रयोग गरिने विभिन्न स्थानीय लिपिहरू (जस्तै मोडी, कैथी र महाजनी) सँग समानान्तर रूपमा विद्यमान छ।
शारदा लिपि कश्मीरमा समानान्तर प्रयोगमा रहेको थियो। देवनागरीको प्रारम्भिक संस्करण विक्रम सम्वत् १०४९ (अर्थात ९९२ ईसापूर्प) मा लेखिएको बरेलीको कुटिल शिलालेखमा प्रस्तुत छ। मौर्यपछिको प्रारम्भिक कालदेखि अस्तित्वमा रहेको सबैभन्दा पुरानो संस्कृत ग्रन्थहरूमध्ये एक पतञ्जलिद्वारा लेखिएको टिप्पणीकामा १,४१३ नागरी पृष्ठहरू छन्। यसको रचना मिति लगभग १५० ईसापूर्व हो। यसको जीवित प्रति लगभग १४औँ शताब्दी ईसापूर्वको प्रतिलिपि हो।
तिब्बती साम्राज्यको स्रोङ्चन गम्पोको शासनमा थन्मि थोन्मि सम्भोटलाई नेपाली राजकुमारी भृकुटीसँग विवाह वार्ता सुरु गर्न र तिब्बती भाषाको लागि उपयुक्त लेखन प्रणाली खोज्न नेपाल पठाइएको थियो। यसरी उनले कश्मीरमा प्रयोग गरिने नागरीमा आधारित तिब्बती लिपिको आविष्कार गरेका थिएँ। उनले संस्कृतमा नभएको ध्वनीका लागि ६ वटा नयाँ अक्षर थपेका थिएँ।
इन्डोनेसिया, भियतनाम, जापान र पूर्वी एसियाका अन्य भागहरूमा ७औँ देखि १०औँ शताब्दीको बीचमा सिद्धम जस्ता नागरीसँग नजिकको सम्बन्ध भएका अन्य लिपिहरू प्रयोगमा रहेका थिएँ।
जाभाको दक्षिण-मध्य क्षेत्रहरू र दक्षिणपूर्वी एसियाका पृथक भागहरूमा पाइने केही बाहेक प्राय:जसो दक्षिणपूर्वी एसियाली लिपिहरूको द्रविड लिपिहरूमा आधारित छन्। विशेष गरी कवि लिपि धेरै पक्षमा देवनागरीसँग मिल्दोजुल्दो छ यद्यपि लिपिको रूपविज्ञानमा स्थानीय परिवर्तनहरू छन्। देवनागरी जस्तो लिपिहरूमा सबैभन्दा पहिले लेखिएका अभिलेखहरू १०औँ शताब्दीतिरका हुन्। यस लिपिमा ११औँ देखि १४औँ शताब्दीको बीचमा धेरै शिलालेखहरू छन्। पुराना-देवनागरी शिलालेखहरू जाभाका हिन्दु मन्दिरहरूमा पाइन्छ। ८औँ शताब्दीको मध्य तिर, जाभाको लिगर र कालासन शिलालेख उत्तर भारतको नागरी लिपिमा पनि छन्। शिलालेखविद् तथा एसियाली अध्ययनविद् लरेन्स ब्रिग्सका अनुसार, यी ९औँ शताब्दीको तामाको प्लेट देवपालदेव (बङ्गाल) को शिलालेखसँग सम्बन्धित हुन सक्छन् जुन प्रारम्भिक देवनागरी लिपिमा पनि रहेको छ। कवि लिपिमा कावी शब्द काव्य (कविता) बाट आएको शब्द हो। मानवशास्त्री तथा एसियाली अध्ययन विद्वान जोन नर्मन मिक्सिक र गोह जिओके यानका अनुसार ८औँ शताब्दीको प्रारम्भिक नागरी वा देवनागरी लिपिको संस्करण ८ वा ९औँ शताब्दीको आसपास जाभा, बाली (इन्डोनेसिया) र खमेर (कम्बोडिया) मा अपनाइएको थियो। यो समयावधि धेरै शिलालेखहरूले प्रमाणित गरेको छ।
देवनागरीमा १२ स्वर र ३४ व्यञ्जन छन्। शून्य या एक या अधिक व्यञ्जनहरू र एक स्वरको मेलबाट एक अक्षर बन्दछ।
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ॠ |
ऌ | ॡ | ए | ऐ |
ओ | औ | अं | अः |
क | ख | ग | घ | ङ | च | छ | ज |
झ | ञ | ट | ठ | ड | ढ | ण | त |
थ | द | ध | न | प | फ | ब | भ |
म | य | र | ल | व | श | ष | स |
ह | ळ | क्ष | त्र | ज्ञ |
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ए | ऐ | ओ | औ | अं | अः |
क | का | कि | की | कु | कू | के | कै | को | कौ | कं | कः |
ख | खा | खि | खी | खु | खू | खे | खै | खो | खौ | खं | खः |
ग | गा | गि | गी | गु | गू | गे | गै | गो | गौ | गं | गः |
घ | घा | घि | घी | घु | घू | घे | घै | घो | घौ | घं | घः |
ङ | ङा | ङि | ङी | ङु | ङू | ङे | ङै | ङो | ङौ | ङं | ङः |
च | चा | चि | ची | चु | चू | चे | चै | चो | चौ | चं | चः |
छ | छा | छि | छी | छु | छू | छे | छै | छो | छौ | छं | छः |
ज | जा | जि | जी | जु | जू | जे | जै | जो | जौ | जं | जः |
झ | झा | झि | झी | झु | झू | झे | झै | झो | झौ | झं | झः |
ञ | ञा | ञि | ञी | ञु | ञू | ञे | ञै | ञो | ञौ | ञं | ञः |
ट | टा | टि | टी | टु | टू | टे | टै | टो | टौ | टं | टः |
ठ | ठा | ठि | ठी | ठु | ठू | ठे | ठै | ठो | ठौ | ठं | ठः |
ड | डा | डि | डी | डु | डू | डे | डै | डो | डौ | डं | डः |
ढ | ढा | ढि | ढी | ढु | ढू | ढे | ढै | ढो | ढौ | ढं | ढः |
ण | णा | णि | णी | णु | णू | णे | णै | णो | णौ | णं | णः |
त | ता | ति | ती | तु | तू | ते | तै | तो | तौ | तं | तः |
थ | था | थि | थी | थु | थू | थे | थै | थो | थौ | थं | थः |
द | दा | दि | दी | दु | दू | दे | दै | दो | दौ | दं | दः |
ध | धा | धि | धी | धु | धू | धे | धै | धो | धौ | धं | धः |
न | ना | नि | नी | नु | नू | ने | नै | नो | नौ | नं | नः |
प | पा | पि | पी | पु | पू | पे | पै | पो | पौ | पं | पः |
फ | फा | फि | फी | फु | फू | फे | फै | फो | फौ | फं | फः |
ब | बा | बि | बी | बु | बू | बे | बै | बो | बौ | बं | बः |
भ | भा | भि | भी | भु | भू | भे | भै | भो | भौ | भं | भः |
म | मा | मि | मी | मु | मू | मे | मै | मो | मौ | मं | मः |
य | या | यि | यी | यु | यू | ये | यै | यो | यौ | यं | यः |
र | रा | रि | री | रु | रू | रे | रै | रो | रौ | रं | रः |
ल | ला | लि | ली | लु | लू | ले | लै | लो | लौ | लं | लः |
व | वा | वि | वी | वु | वू | वे | वै | वो | वौ | वं | वः |
श | शा | शि | शी | शु | शू | शे | शै | शो | शौ | शं | शः |
ष | षा | षि | षी | षु | षू | षे | षै | षो | षौ | षं | षः |
स | सा | सि | सी | सु | सू | से | सै | सो | सौ | सं | सः |
ह | हा | हि | ही | हु | हू | हे | है | हो | हौ | हं | हः |
० | १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ |
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.