अर्जुन
महाकाव्य महाभारत के पात्र / From Wikipedia, the free encyclopedia
महाभारत के मुख्य पात्र हैं। इंद्रदेव एवं कुन्ती के पुत्र थे। पांडवों में तीसरे स्थान पर थे । महाराज पांडु इनके आध्यात्मिक पिता थे। कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी , पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री द्रौपदी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः कर्ण, युधिष्ठिर, भीमसेन, नकुल, सहदेव।
अर्जुन | |
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हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र | |
नाम: | अर्जुन |
अन्य नाम: | पार्थ , धनंजय |
संदर्भ ग्रंथ: | महाभारत भगवद्गीता पुराण |
जन्म स्थल: | हस्तिनापुर के जंगलों में |
व्यवसाय: | क्षत्रिय |
मुख्य शस्त्र: | धनुष बाण गांडीव धनुष |
राजवंश: | चन्द्रवंश |
माता-पिता: | इंद्रदेव (पिता) कुन्ती (माता) |
भाई-बहन: | कर्ण, युधिष्ठिर, भीमसेन , नकुल और सहदेव |
जीवनसाथी: | द्रौपदी, सुभद्रा, चित्रांगदा और उलूपी |
संतान: | अभिमन्यु,ईरावान वभ्रुवाहन और श्रुतकीर्ति |
अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होंने अपने श्रेष्ठ धनुर्धारी होने का परिचय दिया। इन्होंने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये भी एक प्रमुख योद्धा थे। अर्जुन ने ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण से अनेकों प्रश्न किये जो गीता में वर्णित हैं।
महाराज पाण्डु की दो पत्नियाँ थी कुन्ती तथा माद्री।मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आह्वान कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ।
द्रोणाचार्य को ऐसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके। इसी कारण वे हस्तिनापुर के 105 राजकुमारों को शिक्षा देने लगे जिसमें से एक अर्जुन भी था।अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता था। [1]