चग़ताई भाषा
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चग़ताई भाषा (उज़बेक: چەغەتاي, अंग्रेज़ी: Chagatai) एक विलुप्त तुर्की भाषा है जो कभी मध्य एशिया के विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थी। बीसवी सदी तक इसकी बोलचाल तो बंद हो चुकी थी लेकिन इसे एक साहित्यिक भाषा के रूप में फिर भी प्रयोग किया जा रहा था। भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल साम्राज्य के शुरुआती सम्राटों की मातृभाषा भी चग़ताई तुर्की ही थी और बाबर ने अपनी प्रसिद्ध 'बाबरनामा' जीवनी इसी भाषा में लिखी थी।[1] आधुनिक काल में उज़बेक भाषा और उइग़ुर भाषा चग़ताई के सबसे क़रीब हैं। उज़बेक लोग चग़ताई को अपनी भाषा की पूर्वजा मानते हैं और उसे अपनी धरोहर का एक अहम भाग भी मानते हैं।[2]