त्रिपिटक (पाली:तिपिटक; शाब्दिक अर्थ: तीन पिटारी) बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, वज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद आदि) मानते हैं। यह बौद्ध धर्म का प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत है।[1] यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है। इस ग्रंथ में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्त्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है[2]। त्रिपिटक का रचनाकाल या निर्माणकाल पहली सदी ईसवी से तीसरी सदी ईसवी तक है। और सभी त्रिपिटक सिहल देश यानी की श्री लंका में लिखा गया और उनकी भाषा में लिखा गया।
नोट- त्रिपिटक बौद्ध ग्रंथ बौद्ध कालीन भाषा (पाली भाषा) से अनुवादित है जिसके कुछ शब्द संस्कृत भाषा से मेल खाते है, अतः अनुवाद का अर्थ विभिन्न भी हो सकता है