पृथ्वी
सौर मण्डल में तीसरे नम्बर का नीला ग्रह / From Wikipedia, the free encyclopedia
पृथ्वी (प्रतीक: ) सौर मण्डल में सूर्य से तीसरा ग्रह है और एकमात्र खगोलीय वस्तु है जो जीवन को आश्रय देने के लिए जाना जाता है। इसकी सतह का 71% भाग जल से तथा 29% भाग भूमि से ढका हुआ है। इसकी सतह विभिन्न प्लेटों से बनी हुए है। इस पर जल तीनो अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके दोनों ध्रुवों पर बर्फ की एक मोटी परत है।
इस लेख में विकिपीडिया के गुणवत्ता मापदंडों पर खरे उतरने के लिए सफ़ाई की आवश्यकता है। कृपया इस लेख को सुधारने में यदि आप सहकार्य कर सकते है तो अवश्य करें। इसके संवाद पृष्ठ पर कुछ सलाह मिल सकती है। |
1972 में अपोलो 17 चन्द्रयान द्वारा लिया गया पृथ्वी का "द ब्लू मार्बल" चित्र। |
||||||||||
उपनाम
| ||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
प्रावधानिक नाम | धरा, धरित्री, धरणी, जगत, विश्व, संसार | |||||||||
विशेषण | पार्थिव, जागतिक, वैश्विक, सांसारिक | |||||||||
युग जे2000[सा 1] | ||||||||||
उपसौर | 151930000 किमी (1.01559 AU) |
|||||||||
अपसौर | 147095000 किमी (0.9832687 AU) |
|||||||||
अर्ध मुख्य अक्ष | 149598261 किमी (1.00000261 AU) |
|||||||||
विकेन्द्रता | 0.01671123 | |||||||||
परिक्रमण काल | 365.256363004 दिन [1] 1.00001742096 वर्ष) |
|||||||||
औसत परिक्रमण गति | 29.78 किमी/सै॰[2] (107200 किमी/घण्टा) |
|||||||||
औसत अनियमितता | 358.617 डिग्री | |||||||||
झुकाव | सूर्य की विषुवत रेखा पर 7.155 डिग्री; अचर समतल से 1.57869 डिग्री[3] जे2000 सूर्यपथ से 0.00005 डिग्री |
|||||||||
आरोही ताख का रेखांश | जे2000 सूर्यपथ से -11.26064 डिग्री | |||||||||
उपमन्द कोणांक | 102.94719 डिग्री | |||||||||
उपग्रह |
|
|||||||||
भौतिक विशेषताएँ
| ||||||||||
माध्य त्रिज्या | 6371.0 किमी | |||||||||
विषुवतीय त्रिज्या | 6378.1 किमी | |||||||||
ध्रुवीय त्रिज्या | 6356.8 किमी | |||||||||
सपाटता | 0.0033528 1/298.257222101 (ETRS89) |
|||||||||
परिधि | ||||||||||
तल-क्षेत्रफल | ||||||||||
आयतन | 1.08321×1012 घन किमी[2] | |||||||||
द्रव्यमान | 5.97219×1024 किग्रा[8] (3.0×10-6 सौर द्रव्यमान) |
|||||||||
माध्य घनत्व | 5.514 ग्राम/घन सेमी[2] | |||||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण | 9.807 मी॰/वर्ग सै॰[9] (1 g) |
|||||||||
पलायन वेग | 11.186 किमी/सै॰[2] | |||||||||
नाक्षत्र घूर्णन काल |
0.99726968 दिन[10] (23 घण्टे 56 मिनट 4.100 सैकण्ड) |
|||||||||
विषुवतीय घूर्णन वेग | 1,674.4 किमी/घंटा (465.1 मी/से)[11] | |||||||||
अक्षीय नमन | 23 डिग्री 26 मिनट 21.4119 सै॰ [1] | |||||||||
अल्बेडो | ||||||||||
सतह का तापमान केल्विन सेल्सियस |
| |||||||||
वायु-मंडल
| ||||||||||
सतह पर दाब | 101.325 किलो पास्कल (मासत) | |||||||||
संघटन |
रेडियोमेट्रिक डेटिंग अनुमान और अन्य सबूतों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति 4.54 अरब साल पहले हुई थी। पृथ्वी के इतिहास के पहले अरब वर्षों के भीतर जीवों का विकास महासागरों में हुआ और पृथ्वी के वायुमण्डल और सतह को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिससे अवायुजीवी और बाद में, वायुजीवी जीवों का प्रसार हुआ। कुछ भूगर्भीय साक्ष्य इंगित करते हैं कि जीवन का आरम्भ 4.1 अरब वर्ष पहले हुआ होगा। पृथ्वी पर जीवन के विकास के दौरान जैवविविधता का अत्यन्त विकास हुआ। हजारों प्रजातियाँ लुप्त होती गयी और हजारों नई प्रजातियाँ उत्पन्न हुई। इसी क्रम में पृथ्वी पर रहने वाली 99% से अधिक प्रजातियाँ विलुप्त हैं। सूर्य से उत्तम दूरी, जीवन के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान ने जीवों में विविधता को बढ़ाया।
पृथ्वी का वायुमण्डल कई परतों से बना हुआ है। नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक है। वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की एक परत है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है। वायुमण्डल के घने होने से इस सूर्य का प्रकाश कुछ मात्रा में प्रवर्तित हो जाता है जिससे इसका तापमान नियन्त्रित रहता है। अगर कोई उल्का पिण्ड पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश कर जाता है तो वायु के घर्षण के कारण या तो जल कर नष्ट हो जाता है या छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाता है।
पृथ्वी की ऊपरी सतह कठोर है। यह पत्थरों और मृदा से बनी है। पृथ्वी का भूपटल कई कठोर खण्डों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। इसकी सतह पर विशाल पर्वत, पठार, महाद्वीप, द्वीप, नदियाँ, समुद्र आदि प्राकृतिक सरंचनाएँ है। पृथ्वी की आन्तरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुम्बकत्व या चुम्बकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र विभिन्न प्रकार के आवेशित कणों को प्रवेश से रोकता है।
पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है। दूरी के आधार पर यह सूर्य से तीसरा ग्रह है। यह सौर मण्डल का सबसे बड़ा चट्टानी पिण्ड है। पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है। यह अपने अक्ष पर लम्बवत 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इसके कारण इस पर विभिन्न प्रकार के मौसम आते हैं। अपने अक्ष पर यह 24 घण्टे में एक चक्कर पूरा करती है जिससे इस पर दिन और रात होती है। चन्द्रमा के पृथ्वी के निकट होने के कारण यह पृथ्वी पर मौसम के लिए दायी है। इसके आकर्षण के कारण इस पर ज्वार-भाटे उत्पन्न होता है। चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।