बहादुर शाह ज़फ़र
अंतिम मुगल शासक / From Wikipedia, the free encyclopedia
बहादुर शाह ज़फ़र (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह, और उर्दू के जानेे-माने शायर थे। उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई ।
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सामान्य तथ्य बहादुर शाह ज़फ़र, शासनावधि ...
बहादुर शाह ज़फ़र | |
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मुग़ल बादशाह देह्ली का बादशाह् पादिशाह् शहंशाह-इ-हिन्दोस्तान | |
शासनावधि | २८ सितंबर १८३७ – २१ सितंबर १८५७ |
राज्याभिषेक | २९ सितंबर १८३७ |
पूर्ववर्ती | अकबर शाह द्वितीय |
उत्तरवर्ती | पद अभ्यर्थी (आज़मत जहाँ, 1८५७ में) |
जन्म | २४ अक्टूबर १७७५ रंगून, बर्मा में ब्रितानी शासन, ब्रिटिश भारत |
निधन | ७ नवम्बर १८६२ रंगून, बर्मा में ब्रितानी शासन,ब्रिटिश भारत |
समाधि | ७ नवम्बर १८६२ |
जीवनसंगी | ज़ीनत महल |
घराना | तिमुर मुग़ल |
पिता | अकबर शाह द्वितीय |
राज मुहर |
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जब मेजर हडसन मुगल सम्राट को गिरफ्तार करने के लिए हुमायूं के मकबरे में पहुँचा, जहाँ पर बहादुर शाह ज़फर अपने दो बेटों के साथ छुपे हुए थे, तो उसने (मेजर हडसन) की स्वयं उर्दू का थोड़ा ज्ञान रखता था ,कहा -
दम में दम नहीं है ख़ैर मांगो जान की.. ऐ ज़फर, ठंडी हुई अब तेग हिंदुस्तान की..
इस पर ज़फ़र ने उत्तर दिया-
हिन्दोँ(इंडियन) मेँ बू रहेगी जब तक ईमान की.. तख़्त-इ-लंदन तक चलेगी तेग़-इ-हिन्दोस्तान की.[1]