यास्क
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यास्क वैदिक संज्ञाओं के एक प्रसिद्ध व्युत्पतिकार एवं वैयाकरण थे। इन्हें निरुक्तकार कहा गया है। निरुक्त को तीसरा वेदाङ्ग माना जाता है। यास्क ने पहले 'निघण्टु' नामक वैदिक शब्दकोश को तैयार किया। निरुक्त उसी का विशेषण है। निघण्टु और निरुक्त की विषय समानता को देखते हुए सायणाचार्य ने अपने 'ऋग्वेद भाष्य' में निघण्टु को ही निरुक्त माना है। 'व्याकरण शास्त्र' में निरुक्त का बहुत महत्त्व है।[1]
सामान्य तथ्य यास्क, जन्म ...
यास्क | |
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जन्म |
महाभारत काल के पूर्व. शान्तिपर्व अध्याय ३४२ का सन्दर्भ |
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