यूनाइटेड किंगडम की संसद
यूनाइटेड किंगडम का सर्वोच्च विधायी निकाय / From Wikipedia, the free encyclopedia
वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद या ब्रिटिश संसद (अंग्रेज़ी: Parliament of the United Kingdom; पार्लियामेंट ऑफ़ दी यूनाइटेड किंगडम) युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है (संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश संसद एक द्विसदनीय विधायिका है अतः इसमें दो सदन मौजूद हैं, क्रमशः हाउस ऑफ लॉर्ड्स (प्रभु सदन) और हाउस ऑफ़ कॉमन्स (आम सदन)। [3] हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ऑफ लॉर्ड्स की लॉ लॉर्ड्स नामक सदस्यों के माध्यम से एक न्यायिक भूमिका भी हुआ करती थी। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पैलेस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में बैठीं हैं। ब्रिटिश संविधान और विधि में ब्रिटिश संप्रभु को भी ब्रिटिश संसद का हिस्सा माना जाता है, एवं विधिक रूप से, संसद की सभी शक्तियाँ, मैग्ना कार्टा के तहत, संप्रभु द्वारा ही निहित और अवक्रमित की गयी हैं। अतः ब्रिटिश संप्रभु का भी संसद में महत्वपूर्ण विधिक एवं पारंपरिक भूमिका है। संसद का गठन १७०७ में किया गया था। ब्रिटेन की संसद ने विश्व के कई लोकतंत्रों के लिए उदाहरण थी। इसलिए यह संसद "मदर ऑफ पार्लियामेन्ट" कही जाती है।[4]
यूनाइटेड किंगडम की संसद वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद | |
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५८वी संसद | |
प्रकार | |
प्रकार | |
सदन |
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स हाउस ऑफ़ कॉमन्स |
नेतृत्व | |
महाराज चार्ल्स तृतीय 6 फरवरी 1952 | |
कॉमन्स सभापति |
सर लिंडसे हॉयल 4 नवम्बर 2019 |
प्रभु सभापति |
लॉर्ड नार्मन फाउलर 1 सप्तम्बर 2016 |
नेता विपक्ष |
सर कीर स्टारमर, लेबर पार्टी 4 अप्रैल 2020 |
संरचना | |
सीटें |
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हाउस ऑफ़ कॉमन्स political groups |
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हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स political groups |
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चुनाव | |
हाउस ऑफ़ कॉमन्स पिछला चुनाव |
12 दिसंबर 2019 |
बैठक स्थान | |
वेस्टमिंस्टर महल सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर, लंदन इंग्लैंड | |
जालस्थल | |
www |
ब्रिटिश विधान-प्रक्रिया के अनुसार, संसद द्वारा पारित अधिनियमों को सांविधिक होने के लिए, ब्रिटिश संप्रभु की शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए वे सैधिन्तिक तौर पर पूणतः स्वतंत्र हैं, परंतु वास्तविक तौर पर अस्वीकृति की घटना अतिदुर्लभ है(पिछली ऐसी घटना 11 मार्च 1708 को हुई थी)। संप्रभु, प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद भंग भी कर सकते हैं, लेकिन विधि सम्मत रूप से उनके पास, प्रधानमंत्री की सहमति के बिना भी संसद को भंग करने की शक्ति है। राजमुकुट के अन्य शाही शक्तियों, जिन्हें शाही परमाधिकार कहा जाता है, को संप्रभु, प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल की सलाह के बिना, अपने विवेक पर कर सकते हैं।
राज्य के प्रमुख और शासन-अधिकार के स्रोत, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम के एकादिदेव, पदविराजमान- राजा चार्ल्स तृतीय हैं। परंपरा के मुताबिक नरेश, हाउस ऑफ कॉमन्स(आमसदन) में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से इस पद के लिए कोई भी ब्रिटिश नागरिक जो संसद सदस्य है, चाहे वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स या कॉमन्स में से किसी भी एक सदन का सदस्य हो, इस पद पर नियुक्त होने का अधिकार रखता है, बशर्ते की उसके पास आमसदन का समर्थन हासिल हो। अतः, वर्तमान काल में ब्रिटेन में वास्तविक राजनीतिक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के हाथों में होती है, जबकि अधिराट्, केवल एक पारंपरिक राष्ट्रप्रमुखीय पद है। ब्रिटिश राजनीतिक लहज़े में, संप्रभुता के वास्तविक कार्यवाहक को "ससंसद महाराज " कहा जाता है। तततिरिक्त, राजमुकुट की सारी कार्यकारी शक्तियों को संप्रभु, ऎतिहासिक परंपरानुसार, प्रधानमंत्री और अपनी मंत्रिमंडल की सलाह पर उपयोग करते हैं। तथा सार्वजनिक नीति में सम्राट की भूमिका औपचारिक कार्यों तक सीमित है।