रामचरितमानस
तुलसीदास की पुस्तक / From Wikipedia, the free encyclopedia
श्रीरामचरितमान गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध महाकाव्य है। इसके नायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम है और इसकी भाषा अवधी है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। श्रीरामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।[1][2]
रामचरितमानस | |
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श्रीरामचरितमानस | |
जानकारी | |
धर्म | हिन्दू धर्म |
लेखक | गोस्वामी तुलसीदास |
भाषा | हिंदी की बोली अवधी |
श्रीरामचरितमानस के नायक श्रीराम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है जोकि मान्यताओं के अनुसार अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्रीराम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज को ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों। प्रभु श्री श्रीराम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।[3][4][5][6]
श्रीरामचरितमानस की रचना में २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और उन्होंने इसे संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया था।