वेदव्यास
पवित्र हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत के रचयिता / From Wikipedia, the free encyclopedia
महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता है। कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महर्षि पराशर और सत्यवती निषाद के पुत्र थे| महाभारत ग्रंथ का लेखन भगवान् गणेश ने महर्षि वेदव्यास निषाद से सुन सुनकर किया था।[1] वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य, चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विस्तार या विभाजन किया गया। ऐसा माना जाता है कि "वेद व्यास" नाम वास्तविक नाम के बजाय एक शीर्षक है। क्योंकि कृष्ण द्वैपायन ने चार वेदों को संकलित किया था। आज भी कुरुक्षेत्र के समीप व्यासपुर (बिलासपुर), यमुना नगर मे महर्षि वेदव्यास जी की तपस्वी स्थली, महर्षि वेदव्यास जी का मंदिर ओर पवित्र श्री व्यास सरोवर है जो माँ सरस्वती नदी के तट पर स्थित है जिसका वर्णन धार्मिक ग्रंथ महाभारत ओर संकद पुराण मे वर्णित है ।
कृष्णद्वैपायन वेदव्यास | |
---|---|
हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र | |
नाम: | कृष्णद्वैपायन वेदव्यास |
अन्य नाम: | कृष्णद्वैपायन, पाराशर्य |
संदर्भ ग्रंथ: | महाभारत, पुराण आदि |
जन्म स्थल: | यमुना तट हस्तिनापुर |
व्यवसाय: | वैदिक ऋषि |
माता-पिता: | सत्यवती और ऋषि पराशर |
भाई-बहन: | भीष्म,चित्रांगद और विचित्रवीर्य सौतेले भाई |
संतान: | शुकदेव |
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे। निम्नोक्त श्लोकों से इसकी पुष्टि होती है।
नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्रः।
येन त्वया भारततैलपूर्णः प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयप्रदीपः।।[2]
अर्थात् - जिन्होंने महाभारत रूपी ज्ञान के दीप को प्रज्वलित किया ऐसे विशाल बुद्धि वाले महर्षि वेदव्यास को मेरा नमस्कार है।
नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नम:।।[3]
महान वसिष्ठ-मुनि को मैं नमन करता हूँ। (वसिष्ठ के पुत्र थे 'शक्ति'; शक्ति के पुत्र पराशर, और पराशर के पुत्र व्यास