सिख साम्राज्य
भूतपूर्व सिख साम्राज्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
सिख साम्राज्य (पंजाबी: ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ, सिख सल्तनत; साधारण नाम: खालसा राज) का उदय, उन्नीसवीं सदी की पहली अर्धशताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में एक ताकतवर महाशक्ती के रूप में हुआ था। महाराज रणजीत सिंह के नेत्रित्व में उसने, स्वयं को पश्चिमोत्तर के सर्वश्रेष्ठ रणनायक के रूप में स्थापित किया था, जन्होंने खाल्सा के सिद्धांतों पर एक मज़बूत, धर्मनिर्पेक्ष हुक़ूमत की स्थापना की थी जिस की आधारभूमि पंजाब थी। सिख साम्राज्य की नींव, सन् १७९९ में रणजीत सिंह द्वारा, लाहौर-विजय पर पड़ी थी। उन्होंने छोटे सिख मिस्लों को एकत्रित कर एक ऐसे विशाल साम्राज्य के रूप में गठित किया था जो अपने चर्मोत्कर्ष पर पश्चिम में ख़ैबर दर्रे से लेकर पूर्व में पश्चिमी तिब्बत तक, तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी सिंध तक फैला हुआ था। यह १७९९ से १८४९ तक अस्तित्व में रहा था।
सरकार'ए खाल्सा امپراطوری سیک ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ सिख साम्राज्य | |||||
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राष्ट्रगान देग तेग फ़तह | |||||
खालसा साम्राज्य अपने शिखर पर | |||||
राजधानी | लाहौर | ||||
भाषाएँ | |||||
धार्मिक समूह | सिख धर्म सनातन धर्म इस्लाम बौद्ध धर्म | ||||
शासन | संघिय राजतंत्र | ||||
महाराजा | |||||
- | 1801–1839 | रणजीत सिंह | |||
- | 1839 | महाराजा खड़क सिंह | |||
- | 1839–1840 | नौनिहाल सिंह | |||
- | 1840–1841 | चंद कौर | |||
- | १८४१–१८४३ | शेर सिंह | |||
- | १८४३–१८४९ | दलीप सिंह | |||
' वज़ीर ' | |||||
- | १७९९–१८१८ | जमादार खुशल सिंह[2] | |||
- | १८१८–१८४३ | ध्यान सिंह डोगरा | |||
- | १८४३–१८४४ | हीरा सिंह डोगरा | |||
- | १८४४–१८४५ | जवाहर सिंह औलख | |||
ऐतिहासिक युग | १७९९ - १८४९ | ||||
- | रणजीत सिंह द्वारा लाहौर पर विजय | ७ जुलाई शुरूआती वर्ष डालें | |||
- | द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध का अन्त | २९ मार्च अंत वर्ष डालें | |||
मुद्रा | नानकशाही सिक्के | ||||
आज इन देशों का हिस्सा है: | अफ़ग़ानिस्तान चीन भारत पाकिस्तान | ||||
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सबसे खास बात जब एक तरफ भारत की ब्रिटिश सरकार पंजाब को अपना गुलाम बनाने की कोशिश कर रही थी तब उसी समय सिख अफगानिस्तान में अपनी नयी बनी सरकार को सुचारू रूप से चलाने और कुछ बिगड़े हुए मुगल बादशाह को लगाम कसने के प्रयास किए जा रहे थे इसी लिए इनको बहादुर माना जाता है बहुत से France 🇫🇷 की फौज की नौकरी छोड़ कर आए Commander जैसे conel Ventura महाराजा से नौकरी की मांग करते रहे I लाहौर दरबार की एक पेंटिंग