यजुर्वेद
From Wikipedia, the free encyclopedia
यजुर्वेद या शब्दाचा अर्थ (संस्कृत:- यजुस् + वेदः = यजुर्वेदः) असा होतो. हा हिंदुंच्या चार वेदांपैकी दुसरा वेद आहे. वेदांची रचना ख्रिस्तपूर्व ६००० पूर्वीच्या काळात झाली, असा एक मतप्रवाह आहे.या विषयी विविध अभ्यासकात मतमतांतरे प्रचलित आहेत. यजुर्वेद संहितेत वैदिक काळातील यज्ञात आहुती देण्यासाठी वापरण्यात येणाऱ्या मंत्रांचा समावेश आहे. त्यांच्या प्रस्तुतीकरण व वापराच्या पद्धतीत ब्राह्मणग्रंथ व श्रौतसूत्रे यांनी मोलाची भर घातली. यज्ञसंस्थेचा तपशीलवार विचार या संहितेने मांडला आहे.धनुर्वेद हा यजुर्वेदाचा उपवेद मानला जातो.हा यजुर्वेद ब्रह्मदेवाने लिहीला आहे.ब्रह्मदेव निद्रेत असताना त्यांच्या तोंडातून तीन वेद निघाले.
जलद तथ्य वेद, वेद-विभाग ...
हिंदू धर्मग्रंथावरील लेखमालेचा भाग | |
वेद | |
---|---|
ऋग्वेद · यजुर्वेद | |
सामवेद · अथर्ववेद | |
वेद-विभाग | |
संहिता · ब्राह्मणे | |
आरण्यके · उपनिषदे | |
उपनिषदे | |
ऐतरेय · बृहदारण्यक | |
ईश · तैत्तरिय · छांदोग्य | |
केन · मुंडक | |
मांडुक्य ·प्रश्न | |
श्वेतश्वतर ·नारायण | |
कठ | |
वेदांग | |
शिक्षा · छंद | |
व्याकरण · निरुक्त | |
ज्योतिष · कल्प | |
महाकाव्य | |
रामायण · महाभारत | |
इतर ग्रंथ | |
स्मृती · पुराणे | |
भगवद्गीता · ज्ञानेश्वरी · गीताई | |
पंचतंत्र · तंत्र | |
स्तोत्रे ·सूक्ते | |
मनाचे श्लोक · रामचरितमानस | |
शिक्षापत्री · वचनामृत |
बंद करा