कूचबिहार
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कूचबिहार (কোচবিহার, राजबंग्शी/कामतापुरी: কোচবিহার) भारत के पश्चिम बंगाल प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित कूचबिहार ज़िले का एक नगर है, जो उस ज़िले का मुख्यालय भी है। सन् 1586 से 1949 तक यह एक सामंत/ जमींदारी थी जिसे रियासत के रूप में जाना जाता है। यह भूटान के दक्षिण में पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है। कूच बिहार अपने सुन्दर पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक स्थलों के अलावा यह अपने आकर्षक मन्दिरों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। अपने बेहतरीन पर्यटक स्थलों और मन्दिरों के अतिरिक्त यह अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।
कूच बिहार | |||
— शहर — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | पश्चिम बंगाल | ||
जनसंख्या | 24,78,280 | ||
विभिन्न कोड
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ISO 3166-2 | WB_COB | ||
पाद-टिप्पणियाँ
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शहर की भाग-दौड़ से दूर कूच बिहार एक शांत इलाका है। यहां पर छुट्टियां बिताना पर्यटकों का बहुत पसंद आता है क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुन्दरता उनमें नई स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार कर देती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां पर कोच राजाओं का शासन था और वह नियमित रूप से बिहार की यात्रा किया करते थे। इस कारण इसका नाम कूच बिहार पड़ा। कूच विहार के राजा राजवंशी जाति से आते है जिन्हें जनजाति की केटेगरी में रखा गया है। लंबे समय तक लगातार शासन करने के कारण इस राजपरिवार को क्षत्रिय के रूप में भी दर्शाया जाता है, लेकिन ब्राह्मण समूहों के द्वारा इनकी जाति को शुद्र वर्ण के रूप में देखा जाता है। इस राजपरिवार की राजकुमारी गायत्री देवी का विवाह जयपुर के कुशवाहा राजघराने में हुआ था।
कूच बिहार के हृदय में स्थित मदन मोहन बाड़ी बहुत खूबसूरत है। इसका निर्माण महाराजा नृपेन्द्र नारायण ने 1885-1889 ई. में कराया था। मदन मोहन बाड़ी में पर्यटक मदन मोहन, मां काली, मां तारा और भवानी की मनोरम प्रतिमाओं को देख सकते हैं। यहां पर हर वर्ष रस पूजा आयोजित की जाती है। इस पूजा के मुख्य आकर्षण रस यात्रा और रस मेला होते हैं। यह यात्रा और मेला पर्यटकों को बहुत पसंद आता है और वह इनमें भाग लेने के लिए प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
कूचबिहार राजबाड़ी कूच बिहार के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण यूरोपियन शैली में किया गया है। इस पैलेस का निर्माण कोच सम्राट महाराजा नृपेन्द्र नारायण ने 1887 ई. में कराया था। यह दो मंजिला पैलेस है। इन दोनों मंजिलों का निर्मार्ण ईटों से किया गया है। पैलेस का कुल क्षेत्रफल 4768 वर्ग मी. और इसकी लंबाई व चौड़ाई क्रमश: 120 और 90 मी. है। पर्यटकों को यह पैलेस बहुत पसंद आता है और वह इसकी खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
कूच बिहार की उत्तर दिशा में 10 कि॰मी॰ की दूरी पर अर्धनारीश्वर मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर में पर्यटक 10 फीट लंबे शिवलिंग को देख सकते हैं, जो एक चौकोर शिला पर स्थित है। मन्दिर के दूसर भाग में गौरीपट है, जो बहुत आकर्षक है और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। अर्धनारीश्वर मन्दिर के प्रागंण में एक तालाब भी है, जिसमें पर्यटक अनेक प्रजातियों के कछुओं को देख सकते हैं। इनमें कई कछुए सामान्य से बड़े आकार के हैं। शिव चर्तुदशी के दिन यहां पर एक हफ्ते के लिए भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासी और पर्यटक बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
दिन्हाता रेलवे स्टेशन के पास कामतेश्वरी मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण महाराजा प्राण नारायण ने 1665 ई. में कराया था। हालांकि इस मन्दिर की असली इमारत का अधिकतर भाग ढह चुका है, लेकिन यह मन्दिर आज भी बहुत खूबसूरत है। इसके प्रांगण में 2 छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। कामतेश्वरी मन्दिर के प्रवेश द्वार पर पर्यटक तारकेश्वर शिवलिंग के दर्शन भी कर सकते हैं। माघ में यहां पर देवी को समर्पित एक भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है।
धौलाबाड़ी में स्थित सिद्धांत शिव मन्दिर बहुत खूबसूरत है। इस मन्दिर का निर्माण महाराजा हरेन्द्र नारायण और महाराजा शिवेन्द्र नारायण ने 1799-1843 ई. में संयुक्त रूप कराया था। यह मन्दिर टेरोकोटा शैली में बना हुआ है। इसका मुख्य आकर्षण 5 खूबसूरत गुम्बद है जो पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। स्थानीय निवासियों में इस मन्दिर के प्रति बहुत श्रद्धा है और वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं। कूच बिहार से पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं।
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