पटना सिटी

पटना का पुराना हिस्सा विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

पटना सिटीmap

पटना सिटी पटना का पुराना इलाका है। पटना सिटी का इतिहास पाटलिपुत्र का है। पटना सिटी पटना साहिब (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) के अंतर्गत आता है।[2] पटना सिटी में तख़्त श्री पटना साहिब, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, जलान म्यूजियम, अगमकुँआ, पटनदेवी यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। अशोक राजपथ (सड़क) पटना सिटी को पटना से जोड़ता है।

सामान्य तथ्य पटना सिटी पटना साहब, Country ...
पटना सिटी
पटना साहब
पुराना इलाका
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पटना सिटी
पटना सिटी
Location in Patna, India
निर्देशांक: 25°35′10″N 85°11′4″E
Country भारत
Stateबिहार
Metroपटना
शासन
  सभापटना नगर निगम
Languages
  Spokenहिन्दी, अंग्रेज़ी (main official), मैथिली, मगही, भोजपुरी, उर्दू and पंजाबी (liturgical)
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
PIN800009, 800008, 800007[1]
Planning agencyPatna Regional Development Authority
Civic agencyपटना नगर निगम
लोक सभापटना साहिब लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र
विधान सभापटना साहिब (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र)
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पूर्वी पटना (पटना सिटी क्षेत्र)

मौर्य-गुप्तकालीन स्थल

  • अगम कुआँ – मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक के काल का एक गहरा कुआँ गुलजा़रबाग स्टेशन के पास स्थित है। लोकश्रुति है कि शासक बनने के लिए अशोक ने अपने 99 भाईयों को मरवाकर इस कुएँ में डाल दिया था। राजद्रोहियों को यातना देकर इस कुएँ में फेंक दिया जाता था। पास ही स्थित शीतला मन्दिर स्थानीय लोगों के शादी-विवाह का महत्त्वपूर्ण स्थल है।
  • कुम्हरार -पटना जंक्शन से 6 किलोमीटर पूर्व कंकड़बाग रोड पर स्थित यह स्थान पटना शहर के स्वर्णिम दिनों की याद दिलाता है। ऐतिहासिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह स्‍थान काफी महत्‍वपूर्ण है। ६०० ईसापूर्व से ६०० ईस्वी के बीच बने भवनों की चार स्तरों में खुदाई हुई है। मगध के महान शासकों द्वारा शुरू में बनवाए गए लकड़ी के महल अब मौजूद नहीं है लेकिन बाद में पत्थर से बने 80 स्तंभों का महल के कुछ अंश देखनेलायक हैं। कुम्‍हरार मौर्य कालीन अवशेषों को देखने के लिए महत्‍वपूर्ण स्‍थानों में से एक है।

चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार तथा अशोक कालीन पाटलिपुत्र के भग्नावशेष को देखने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है। कुम्रहार परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित तथा संचालित है और सोमवार को छोड़ सप्ताह के हर दिन १० बजे से ५ बजे तक खुला रहता है।

मध्ययुगीन इमारतें

  • बेगू हज्जाम की मस्जिद सन् 1489 में बंगाल के शासक अलाउद्दीन शाह द्वारा निर्मित यह सबसे पुरानी मस्जिद इसके जिर्नोद्धार कर्त्ता बेगू हज्जाम के नाम पर जाना जाता है।
  • शेरशाह की मस्जिद अफगान शैली में बनी यह मस्जिद बिहार के महान शासक शेरशाह सूरी द्वारा 1540-1545 के बीच बनवाई गयी थी। पटना सिटी क्षेत्र में धवलपुरा के पश्चिम तथा पूरब-दरवाजा़ के दक्षिण-पश्चिम कोने पर यह शानदार मस्जिद बनी है। पटना में बनी यह सबसे बड़ी मस्जिद है।
  • पादरी की हवेली - ईसाई मिशनरियों द्वारा सन 1713 में स्थापित संत मेरी चर्च पटना सिटी के निवासियों में पादरी की हवेली नाम से मशहूर हो गया। 70 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा और 50 फीट ऊँचा यह शानदार चर्च सन 1772 में कलकत्ता से आए इटालियन वास्तुकार तिरेतो द्वारा वर्तमान रूप में बनाया गया। बिहार का प्राचीनतम चर्च बंगाल के नवाब मीर कासिम तथा ब्रिटिस ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच की कड़वाहटों का गवाह है। 25 जून 1763 को मीर कासिम के सैनिकों द्वारा चर्च को रौंदा गया, फिर सन 1857 की क्रांति के दौरान भी इसे नुकसान पहुँचा। विशालकाय घंटी और मदर टेरेसा से जुड़ाव के चलते यह गिरिजाघर धार्मिक तथा कलाप्रेमी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। 1948 में मदर टेरेसा ने यहीं रहकर नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया और कोलकाता जाकर पीड़ितों की सेवा में लग गयीं।
  • क़िला हाउस (जालान हाउस) दीवान बहादुर राधाकृष्ण जालान द्वारा शेरशाह के किले के अवशेष पर निर्मित इस भवन में हीरे जवाहरात, चीनी पेंटिग तथा यूरोपीय कलात्मक वस्तुओं का निजी संग्रहालय है।
  • 'पत्थर की मस्जिद - जहाँगीर के पुत्र तथा शाहजहां के बड़े भाई शाह परवेज़ द्वारा 1621 में निर्मित यह छोटी सी मस्जिद अशोक राजपथ पर सुलतानगंज में स्थित है। इसे सैफ अली खान मस्जिद तथा चिमनी घाट मस्जिद भी कहा जाता है
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हरमंदिर साहेब, पटना सिटी
  • तख्त श्रीहरमंदिर पटना सिक्खों के दशवें और अंतिम गुरु गोबिन्द सिंह की जन्मस्थली है। नवम गुरु तेगबहादुर के पटना में रहने के दौरान गुरु गोविन्दसिंह ने अपने बचपन के कुछ वर्ष पटना सिटी में बिताए थे। सिक्खों के लिए हरमंदिर साहब पाँच प्रमुख तख्तों में से एक है। गुरु नानक देव की वाणी से अतिप्रभावित पटना के श्री सलिसराय जौहरी ने अपने महल को धर्मशाला बनवा दिया। भवन के इस हिस्से को मिलाकर गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है। यहाँ गुरु गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रामाणिक वस्‍तुएँ रखी हुई है। बालक गोविन्दराय के बचपन का पंगुरा (पालना), लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका तथा 'हुकुमनामा' गुरुद्वारे में सुरक्षित है। यह स्‍थान दुनिया भर में फैले सिक्ख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। प्रकाशोत्‍सव के अवसर पर पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।

यातायात

रेलवे

इसका अपना रेलवे स्टेशन है, जिसे पटना साहिब रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है। यह हावड़ा-दिल्ली मेन लाइन द्वारा भारत के कई महानगरों से जुड़ा हुआ है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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