शीर्ष प्रश्न
समयरेखा
चैट
परिप्रेक्ष्य

भोजपुरी भाषा

विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

भोजपुरी भाषा
Remove ads

भोजपुरी एक पूर्वी हिंद-आर्य भाषा है जो भोजपुर-पूर्वांचल क्षेत्र में बोली जाती है। यह मुख्य रूप से पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी भाग और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाती है। भोजपुरी एक स्वतंत्र भाषा है जिसकी उत्पत्ती मगधी प्राकृत से हुई है। बंगाली, ओड़िया, असमिया, मैथिली, मगही, आदि भोजपुरी की बहन भाषाएँ हैं। नेपाल, फिजी और मॉरिशस में भोजपुरी को संविधानिक मान्यता प्राप्त है। भारत के झारखंड राज्य में भोजपुरी दूसरी राजकीय भाषा है। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर और पूर्वी भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना (२०११) आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग ६ करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व में भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग २० करोड़ है.[2] वक्ताओं के संख्या के आंकड़ों में ऐसे अंतर का संभावित कारण ये हो सकता है कि जनगणना के समय लोगों द्वारा भोजपुरी को अपनी मातृ भाषा नहीं बताई जाती है। भोजपुरी प्राचीन समय में कैथी लिपि मे लिखी जाती थी।भोजपुरी के विकास के लिए तमाम लेखक/कवि अपने लेखनी से योगदान दे रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल के तमाम कवि अपनी रचना से भोजपुरी साहित्य को मजबूत कर रहे हैं। यह भाषा पुरानी संस्कृति को जीवंत बनाती है। और परम्परा से आगे बढ़ रही है।

सामान्य तथ्य भोजपुरी, बोलने का स्थान ...
Remove ads

भौगोलिक वर्गीकरण

डॉ॰ ग्रियर्सन ने भारतीय भाषाओं को अन्तरंग ओर बहिरंग इन दो श्रेणियों में विभक्त किया है जिसमें बहिरंग के अन्तर्गत उन्होंने तीन प्रधान शाखाएँ स्वीकार की हैं -

  • (1) उत्तर पश्चिमी शाखा
  • (2) दक्षिणी शाखा और
  • (3) पूर्वी शाखा।

इस अन्तिम शाखा के अन्तर्गत भोजपुरी, उड़िया, असमी, बँग्ला, मैथिली और मगही भाषाएँ आती हैं। क्षेत्रविस्तार और भाषाभाषियों की संख्या के आधार पर भोजपुरी अपनी बहनों मैथिली और मगही में सबसे बड़ी है।

Remove ads

नामकरण

भोजपुरी भाषा का नामकरण बिहार राज्य के बक्सर जिले में स्थित भोजपुर नामक गाँव के नाम पर हुआ है। बक्सर जिले में भोजपुर नाम का एक बड़ा परगना है जिसमें "नवका भोजपुर" और "पुरनका भोजपुर" दो गाँव हैं। मध्य काल में इस स्थान को मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बसाया था। उन्होंने अपनी इस राजधानी को अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके पास बोली जाने वाली भाषा का नाम "भोजपुरी" पड़ गया।

भोजपुरी भाषा का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है | संत कबीर दास (1297) का जन्मदिवस भोजपुरी दिवस के रूप में भारत में स्वीकार किया गया है और विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Remove ads

क्षेत्रविस्तार

भोजपुरी भाषा प्रधानतया पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्रों में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अलावा भोजपुरी विदेशों में भी बोली जाती है। भोजपुरी भाषा फिजी और नेपाल की संवैधानिक भाषाओं में से एक है। इसे मॉरीशस, फिजी, गयाना, सूरीनाम, सिंगापुर, उत्तर अमरीका और लैटिन अमेरिका में भी बोला जाता है।

मुख्यरुप से भोजपुरी बोले जाने वाले जिले-

भोजपुरी भाषा की प्रधान बोलियाँ

सारांश
परिप्रेक्ष्य

(१) दक्षिणी भोजपुरी

(२) पश्चिमी भोजपुरी

(३) उत्तरी भोजपुरी

(४) मधेसी भोजपुरी

(५) नागपुरिया भोजपुरी

(६) थारु भोजपुरी

दक्षिणी भोजपुरी

दक्षिणी भोजपुरी बिहार के बक्सर, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, सारण, सीवान और गोपालगंज जिलों, उत्तर प्रदेश के बलिया, मऊ (पूर्वी भाग) और गाजीपुर (पूर्वी भाग) जिलों, और झारखंड के पलामू और गढ़वा जिलों में प्रचलित है। इसे खड़वारी भी कहा जाता है।

पश्चिमी भोजपुरी

पश्चिमी भोजपुरी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर (पश्चिमी भाग), आजमगढ़, मऊ (पश्चिमी भाग), मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही जिलों में प्रचलित है। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के उत्तरी भाग मे भी यह बोली जाती है। बनारसी, बनारस में भोजपुरी का एक स्थानीय नाम है, जिसे बनारस के नाम पर रखा गया है।[3]

उदाहरण:

हम खरमिटाव कइली हा रहिला चबाय के।
भेंवल धरल बा दूध में खाजा तोरे बदे।।
जानीला आजकल में झनाझन चली रजा।
लाठी, लोहाँगी, खंजर और बिछुआ तोरे बदे।। (तेग अली-बदमाश दपर्ण)

उत्तरी भोजपुरी

उत्तरी भोजपुरी, भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, और संत कबीर नगर जिलों, और बिहार के पश्चिम चंपारण (पश्चिमी भाग) जिले में बोली जाती है। नेपाल में उत्तरी भोजपुरी, लुंबिनी प्रदेश के रुपन्देही और परासी‌ जिलों और गंडकी प्रदेश के नवलपुर (दक्षिणी भाग) जिले में बोली जाती है।[4]

मधेसी भोजपुरी

मधेसी भोजपुरी, भारत में बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर (पश्चिमी भाग) जिलों, और नेपाल में मधेश प्रदेश के बारा, परसा और रौतहट (पश्चिमी भाग) जिलों और बागमती प्रदेश के चितवन जिले में बोली जाती है।

नागपुरिया भोजपुरी

नागपुरिया भोजपुरी, झारखंड के छोटा नागपुर पठार, विशेषकर दक्षिण छोटानागपुर और कोल्हान प्रमंडलों, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर और जसपुर जिलों में बोले जाने वाली लोकप्रिय उपभाषा है। इसे कभी-कभी सादरी भी कहा जाता है।[5]

थारू भोजपुरी

"थारू" लोग भारत और नेपाल की तराई में रहते हैं। ये बहराइच से चंपारण जिले तक पाए जाते हैं और भोजपुरी बोलते हैं। यह विशेष उल्लेखनीय बात है कि गोंडा और बहराइच जिले के थारू लोग भोजपुरी बोलते हैं जबकि वहाँ की भाषा पूर्वी हिन्दी (अवधी) है।

Remove ads

भोजपुरी जन एवं साहित्य

सारांश
परिप्रेक्ष्य

भोजपुरी बहुत ही सुंदर, सरस, तथा मधुर भाषा है। भोजपुरी भाषाभाषियों की संख्या भारत की समृद्ध भाषाओं- बँगला, गुजराती और मराठी आदि बोलनेवालों से कम नहीं है। इन दृष्टियों से इस भाषा का महत्व बहुत अधिक है और इसका भविष्य उज्जवल तथा गौरवशाली प्रतीत होता है।

भोजपुरी भाषा में निबद्ध साहित्य यद्यपि अभी प्रचुर परिमाण में नहीं है तथापि अनेक सरस कवि और अधिकारी लेखक इसके भंडार को भरने में संलग्न हैं। भोजपुरिया-भोजपुरी प्रदेश के निवासी लोगों को अपनी भाषा से बड़ा प्रेम है। अनेक पत्रपत्रिकाएँ तथा ग्रन्थ इसमें प्रकाशित हो रहे हैं तथा भोजपुरी सांस्कृतिक सम्मेलन, वाराणसी इसके प्रचार में संलग्न है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन समय-समय पर आंदोलनात्म, रचनात्मक और बैद्धिक तीन स्तरों पर भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास में निरंतर जुटा हुआ है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन से ग्रन्थ के साथ-साथ त्रैमासिक 'समकालीन भोजपुरी साहित्य' पत्रिका का प्रकाशन हो रहे हैं। विश्व भोजपुरी सम्मेलन, भारत ही नहीं ग्लोबल स्तर पर भी भोजपुरी भाषा और साहित्य को सहेजने और इसके प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है। देवरिया (यूपी), दिल्ली, मुंबई, कोलकभोजपुता, पोर्ट लुईस (मारीशस), सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और अमेरिका में इसकी शाखाएं खोली जा चुकी हैं।

भोजपुरी साहित्य में भिखारी ठाकुर योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपीयर भी कहा जाता है। उनके लिखे हुए नाटक तत्कालीन स्त्रियों के मार्मिक दृश्य को दर्शाते हैं, अपने लेखों के द्वारा उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया है। उनके प्रमुख ग्रंथ है:-बिदेशिया,बेटीबेचवा,भाई बिरोध,कलजुग प्रेम,विधवा बिलाप इतियादी।

महेंदर मिसिर भी भोजपुरी के एक मूर्धन्य साहित्यकार हैं. एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ महेंदर मिसिर भोजपुरी के महान कवि भी थे. उन्हें पुरबी सम्राट के नाम से भी जाना जाता है.

Remove ads

भोजपुरी में मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा

संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा को विश्व के १५४ भाषाओं में प्रकाशित किया है जिसमें भोजपुरी तथा सूरीनामी हिन्दुस्तानी भी उपस्थित है, सूरीनामी हिन्दुस्तानी भोजपुरी के तरह हीं बोली जाती है केवल इसे रोमन लिपि में लिखा जाता है। मानवाधिकारों के घोषणा का प्रथम अनुच्छेद भोजपुरी, हिंदी, सूरीनामी तथा अंग्रेजी में निम्नलिखित है -

अनुच्छेद १: सबहि लोकानि आजादे जन्मेला आउर ओखिनियो के बराबर सम्मान आओर अधिकार प्राप्त हवे। ओखिनियो के पास समझ-बूझ आउर अंत:करण के आवाज होखता आओर हुनको के दोसरा के साथ भाईचारे के बेवहार करे के होखला।[6]

अनुच्छेद १: सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त हैं। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिये।[7]

Aadhiaai 1: Sab djanne aadjádi aur barabar paidaa bhailèn, iddjat aur hak mê. Ohi djanne ke lage sab ke samadj-boedj aur hierdaai hai aur doesare se sab soemmat sè, djaane-maane ke chaahin.[8]

Article 1: All human beings are born free and equal in dignity and rights. They are endowed with reason and conscience and should act towards one another in a spirit of brotherhood.[9]

Remove ads

संस्कृत से ही निकली भोजपुरी

आचार्य हवलदार त्रिपाठी "सह्मदय" लम्बे समय तक अन्वेषण कार्य करके इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि भोजपुरी संस्कृत से ही निकली है। उनके कोश-ग्रन्थ ('व्युत्पत्ति मूलक भोजपुरी की धातु और क्रियाएं') में मात्र 761 धातुओं की खोज उन्होंने की है, जिनका विस्तार "ढ़" वर्ण तक हुआ है। इस प्रबन्ध के अध्ययन से ज्ञात होता है कि 761 पदों की मूल धातु की वैज्ञानिक निर्माण प्रक्रिया में पाणिनि सूत्र का अक्षरश: अनुपालन हुआ है।

इस कोश-ग्रन्थ में वर्णित विषय पर एक नजर डालने से भोजपुरी तथा संस्कृत भाषा के मध्य समानता स्पष्ट परिलक्षित होती है। भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं का वाक्य-प्रयोग विषय को और अधिक स्पष्ट कर देता है। प्रामाणिकता हेतु संस्कृत व्याकरण को भी साथ-साथ प्रस्तुत कर दिया गया है। इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं की व्युत्पत्ति को स्रोत संस्कृत-भाषा एवं उसके मानक व्याकरण से लिया गया है।

Remove ads

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

Loading related searches...

Wikiwand - on

Seamless Wikipedia browsing. On steroids.

Remove ads