बौद्ध-दलित आंदोलन
नवयान बौद्ध आंदोलन / From Wikipedia, the free encyclopedia
दलित-बौद्ध आंदोलन या नवबौद्ध आंदोलन यह ब्राम्हण धर्म की वर्णाश्रम व्यवस्था में सबसे नीचे के पायदान पर रखे गए लोगों द्वारा अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन व मानवाधिकार दिलाने के लिए बीसबीं सदी में भारतीय नेता बोधिसत्व डॉ॰ भीमराव आंबेडकर द्वारा चलाया गया आंदोलन है। इसे भारतीय नेता डॉ॰ भीमराव आंबेडकर ने पूर्व बौद्ध , दलित के उत्थान के लिए इसे चलाए था। डॉ॰ आम्बेडकर मानते थे कि दलितों का ब्राम्हण धर्म के भीतर रहकर सामाजिक उत्थान संभव नहीं हो सकता है, उन्होंने धर्म के रूप में वह विचारधारा अपनानी चाहिए जो उन्हें स्वातंत्र्य, समानता व बंधुत्व की शिक्षा दे। बौद्ध विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 ई॰ को अपने करीब 4,00,00,0 अनुयायियों के साथ नागपुर में बौद्ध धम्म स्वीकार किया। उन्होंने अपने समर्थकों को 22 बौद्ध प्रतिज्ञाओं का अनुसरण करने की सलाह दी। इस आंदोलन को श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षुओं का भरपूर समर्थन मिला।[1] आज के समय में इस तरह का मूवमेंट अपने शिखर की ओर जा रहा है।
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