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भरतीय मिठाइयाँ अपनी समृद्ध और विविध विरासत के लिए जानी जाती हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों, संस्कृतियों और परंपराओं से प्रभावित हैं। भारतीय मिठाइयाँ आमतौर पर दूध, चीनी, और अन्य प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती हैं। वे अक्सर मीठे, रसीले, और स्वादिष्ट होते हैं।भारतीय मिठाइयाँ व मिष्ठान्न शक्कर, अन्न और दूध के अलग अलग प्रकार से पकाने और मिलाने से बनती हैं। खीर और लप्सी सबसे सामान्य मिठाइयाँ हैं जो प्रायः सभी के घर में बनती हैं। अधिकतर मिठाइयाँ हाट से मोल ली जाती हैं। मिठाई बनाने वाले व्यवसायी रसोइयों को 'मिठाईवाला' कहते हैं।
भारत की संस्कृति के ही अनुसार यहाँ सभी प्रदेशों की मिठाई में भी कुछ-कुछ विभिन्नता और समानता है। उदाहरण के लिए पूर्वी भारतीय मिठाइयों में छेने की प्रमुखता है तो उत्तर भारतीय मिठाइयों में खोये की। उत्तर भारत की मिठाइयों में दूध की प्रमुखता है तो दक्षिण भारत की मिठाइयों में नारियल और अन्न की।
त्योहारों व पारिवारिक अनुष्ठानों में मिठाई का बहुत महत्व होता है। दैनिक जीवन में मिठाई खाने के उपरान्त खाई जाती है। कुछ मिठाइयों को खाने का समय निर्धारित होता है जैसे जलेबी सवेर के समय खाई जाती है, तो कुछ मिठाइयाँ पर्वों से सम्बन्धित होती हैं, जैसे गुझिया उत्तर भारत में होली पर और दक्षिण भारत में दिवाली पर बनाने की परम्परा है।
[1]भारतीय मिठाइयों का इतिहास हजारों साल पुराना है। वे प्राचीन भारत में विकसित हुए थे। प्रारंभ में, भारतीय मिठाइयाँ सरल थीं, और उन्हें अक्सर फल, मेवे, और शहद से बनाया जाता था। मध्य युग में, भारतीय मिठाइयों को अधिक जटिल बनाया गया। नए व्यंजनों और तकनीकों का विकास किया गया
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