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भारतीय राजनीतिज्ञा विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
श्रीमति मीरा कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से हैं। इन्होंने पंद्रहवीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। वह लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष (स्पीकर) के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी।[1][2] इन्होंने 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में यू पी ए की उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविन्द के विरुद्ध चुनाव लड़ा जिसमें वे 34% मतों से पराजित हुईं।
मीरा कुमार | |
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संसद अध्यक्षों के तीसरे विश्व सम्मेलन में मीरा कुमार | |
पद बहाल 4 जून 2009 – 16 मई 2014 | |
पूर्वा धिकारी | सोमनाथ चटर्जी |
उत्तरा धिकारी | सुमित्रा महाजन |
पद बहाल 2004–2014 | |
जन्म | 31 मार्च 1945 सासाराम, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान बिहार, भारत) |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | मंजुल कुमार |
बच्चे | 1 पुत्र और 2 पुत्रियाँ |
निवास | नई दिल्ली, भारत |
शैक्षिक सम्बद्धता | दिल्ली विश्वविद्यालय |
धर्म | हिन्दू |
As of 3 जून, 2009 Source: |
मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च, 1945 को बाबू जगजीवन राम और इन्द्राणी देवी के यहाँ सासाराम बिहार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के महारानी गायत्री देवी स्कूल में हुई। मीरा कुमार ने दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ और मिरांडा हाउस कॉलेजों से एम ए और एल एल बी तक शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं। कुछ वर्षो तक स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं लेकिन उन्हें अफसरशाही रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति में कदम बढ़ाने का फैसला किया। वे अंग्रेजी, स्पेनिश, हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी भाषाओ में निपुण है। वे वर्ष 1968 में बिहार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री सुमित्रा देवी के बड़े पुत्र मंजुल कुमार से परिणय सूत्र में बंधी। उनके एक पुत्र (अंशुल) एवं दो पुत्रियाँ (स्वाति और देवांगना) हैं।
राजनीति में उनका प्रवेश अस्सी के दशक में हुआ था। १९८५ में वे पहली बार बिजनौर से संसद में चुन कर आई। उस समय के दो दलित नेता रामविलास पासवान औऱ मायावती भी उनके प्रचार अभियान का हिस्सा रहें। १९९०में वे कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी समिति की सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव भी चुनी गई। १९९६ में वे दूसरी बार सांसद बनीं और तीसरी पारी उन्होंने १९९८ में शुरु की, २००४ में बिहार के सासाराम से लोक सभा सीट जीती। २००४ में यूनाईटेड प्रोग्रेसिव अलायन्स सरकार में उन्हें सामाजिक न्याय मंत्रालय में मंत्री बनाया गया। इस बार वे पाँचवीं बार संसद के लिए चुनी गई हैं। मीरा कुमार भारत की पहली महिला लोकसभा स्पीकर हैं। जीएमएसी बालयोगी के बाद वे दूसरी दलित नेता है जो इस पद तक पहुंचे।
जब मैं स्कूल की छात्रा थी, तब कई बार दर्शक दीर्घा से मैंने लोकसभा की कार्यवाही को देखा। उस समय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा इस सदन में बैठकर देश के लोगों के हित में फैसले लेते थे। खासकर दलितों, वंचितों और कमजोर तथा हाशिए पर खड़े लोगों के लिए वह बड़ी मशक्कत करते थे।मीरा कुमार कहती है कि मैं हमेशा कुछ न कुछ पढ़ती रहती हूं और मेरी प्रिय पुस्तक महाकवि कालिदास की अभिज्ञान शांकुतलम् है।
भारतीय इतिहास में विशेष रुचि रखने वाली मीरा कुमार को कला और साहित्य से भी विशेष लगाव है।उन्हें देश-विदेश की ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण करने का भी शौक है। विदेश सेवा में कार्यरत होने के कारण बड़े पैमाने पर उन्होंने विदेश यात्राएं की हैं। हस्तशिल्प प्रेमी होने के अलावा मीरा कुमार एक अच्छी कवियित्री भी हैं। वह अपना खाली समय किताबें पढ़ने और शास्त्रीय संगीत सुनने में व्यतीत करती हैं। उनकी लिखी कई कविताएं प्रकाशित भी हुई हैं।
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