सारनाथ
सारऩाथ / From Wikipedia, the free encyclopedia
सारनाथ (Sarnath) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी ज़िले के मुख्यालय, वाराणसी, से लगभग 10 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल है। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था जिसे "धर्म चक्र प्रवर्तन" का नाम दिया जाता है और जो बौद्ध मत के प्रचार-प्रसार का आरंभ था। यह स्थान बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है (अन्य तीन हैं: लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर)। इसके साथ ही सारनाथ क भी महत्व प्राप्त है। जैन ग्रन्थों में इसे 'सिंहपुर' कहा गयाUttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716</ref>[1]
सारनाथ Sarnath | |
---|---|
ऐतिहासिक नगर व तीर्थस्थल | |
सारनाथ का धामेक स्तूप | |
निर्देशांक: 25.3811°N 83.0214°E / 25.3811; 83.0214 | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | वाराणसी ज़िला |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 221007 |
सारनाथ में अशोक का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, धामेख स्तूप, चौखन्डी स्तूप, राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार इत्यादि दर्शनीय हैं। भारत का राष्ट्रीय चिह्न यहीं के अशोक स्तंभ के मुकुट की द्विविमीय अनुकृति है। मुहम्मद गोरी ने सारनाथ के पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया था। सन १९०५ में पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई का काम प्रारम्भ किया। उसी समय बौद्ध धर्म के अनुयायों और इतिहास के विद्वानों का ध्यान इधर गया। वर्तमान में सारनाथ एक तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में लगातार वृद्धि की ओर अग्रसर है। प्रबुद्ध सोसाइटी नेचुआ जलालपुर गोपालगंज बिहार ने सारनाथ में प्रबुद्ध सम्मान समारोह प्रति वर्ष करती है।