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जम्मू (शहर)
जम्मू विभाजन भारत में शहर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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जम्मू (कश्मीरी: جۆم, अंग्रेज़ी: Jammu) भारत के जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में स्थित एक शहर है। यह जम्मू सम्भाग का सबसे बड़ा शहर है और साथ ही जम्मू और कश्मीर की शीतकालीन राजधानी भी है। यह नगरमहापालिका वाला नगर तवी नदी के तट पर बसा है। नगर में ढेरों पुराने व नये मन्दिरों के बाहुल्य के कारण इसे "मन्दिरों का नगर" भी कहा जाता है। तेजी से फैलती नगरीय जनसंख्या एवं बढ़ते अवसंरचना के कारण ये शीतकालीन राजधानी राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।[9][10][11][12]
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भूगोल
जम्मू नगर 32.73°N 74.87°E निर्देशांक पर स्थित है। यहाँ की सागर सतह से औसत ऊंचाई ३२७ मी (१,०७३ फ़ीट) है। यह नगर शिवालिक पर्वतमाला की निचली असमान पहाड़ियों व टीलों के बीच बसा है। उत्तर, पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व में यह शिवालिक से घिरा है और उत्तर-पश्चिम दिशा में त्रिकुटा रेंज है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से यह शहर लगभग ६०० कि.मी (370 mi) दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। नगर तवी नदी के किनारों पर बसा और आगे फैला हुआ है तथा पुराना शहर दाएं तट पर उत्तर दिशा पर बसा हुआ है तथा नया बसा शहर नदी के दक्षिणी तट से लगा (बायीं ओर) है। तवी नदी चार बड़े सेतुओं द्वारा पार की जा सकती है और पांचवां सेतु अभी निर्माणाधीन है। नगर की भूमि समान न होकर कहीं कहीं ऊंची तथा कहीं नीची इन टीलों पर फैली हुई है। नदी के एक तट पर बाहु का किला एवं पुराना शहर है तो दूसरे पर रॉयल डोगरा पैलेस बना है, जो नगर के उच्चतम स्थान हैं। नगर का विमानक्षेत्र सतबाड़ी में स्थित है।
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नामकरण
जम्मू नगर का नाम इसके स्थापक के नाम पर पड़ा है। राय जम्बुलोचन ने इसकी स्थापना की और नाम रखा जम्बुपुरा जो कालांतर में बिगड़ कर जम्मू हो गया। कई इतिहासकारों एवं स्थानीय उक्तियों के अनुसार नगर की स्थापना राय जम्बुलोचन ने १४वीं शताब्दी ई.पू. में की थी। राजा एक बार आखेट करते हुए तवी नदी के तट पर एक स्थान पर पहुँचा जहां उसने देखा कि एक बाघ व बकरी एक साथ एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं। पानी पीकर दोनों पशु अपने अपने पथ पर चले गये। राजा आश्चर्यचकित रह गया और आखेट का विचार छोड़कर अपने साथियों के पास पहुँचा व सारी कथा विस्तार से बतायी। सबने कहा कि यह स्थान शान्ति व सद्भाव भरा होगा जहाँ बाघ व बकरी एक साथ पानी पी रहे हों। तब उसने आदेश दिया कि इस स्थान पर एक दुर्ग का निर्माण किया जाये व उसके निकट ही नगर बसाया जाये। इस नगर का नाम ही जम्बुपुरा या जम्बुनगर पड़ा और कालांतर में जम्मू हो गया।[13]</ref>[14]
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इतिहास
सारांश
परिप्रेक्ष्य
जम्मू शहर ऐतिहासिक नगर है और पूर्व जम्मू प्रांत की राजधानी रह चुका है और बाद में भी भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी रह चुका है। राय जम्बुलोचन राजा बाहुलोचन का छोटा भाई था। (१८४६–१९५२) में बाहुलोचन ने तवी नदी के तट पर बाहु किला बनवाया था और जम्बुलोचन ने जम्बुपुरा नगर बसवाया था। नगर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। जम्मू शहर से 32 किलोमीटर (20 मील) दूरस्थ अखनूर में पुरातात्त्विक खुदाई के बाद इस जम्मू नगर के हड़प्पा सभ्यता के एक भाग होने के साक्ष्य भी मिले हैं। जम्मू में मौर्य, कुशाण, कुशानशाह और गुप्त वंश काल के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। ४८० ई. के बाद इस क्षेत्र पर एफ्थलाइटिस का अधिकार हो गया था और यहां कपीस और काबुल से भी शासन हुआ था। इनके उत्तराधिकारी कुशानो-हेफ्थालाइट वंशहुए जिनका अधिकार ५६५ से ६७० ई. तक रहा। तदोपरांत ६७० ई. से लेकर ११वीं शताब्दी केआरंभ तक शाही राजवंश का राज रहा जिसे ग़ज़्नवी के अधीनस्थों ने छीन लिया। जम्मू का उल्लेख तैमूर के विजय अभियानों के अभिलेखों में भी मिलता है। इस क्षेत्र ने सिखों एवं मुगलों के आक्रमणों के साथ एक बार फिर से शक्ति-परिवर्तन देखा और अन्ततः ब्रिटिश राज का नियंत्रण हो गया। यहां ८४० ई. से १८६० ई. तक देव वंश का शासन भी रहा था। तब नगर अन्य भारतीय नगरों से अलग-थलग पड़ गया और उनसे पिछड़ गया था। उसके उपरांत डोगरा शासक आये और जम्मू शहर को अपनी खोई हुई आभा व शान वापस मिली। उन्होंने यहां बड़े बड़े मन्दिरों व तीर्थों का निर्माण किया व पुराने स्थानों का जीर्णोद्धार करवाया, साथ ही कई शैक्षिक संस्थाण भी बनवाये। उस काल में नगर ने काफ़ी उन्नति की। १८९७ में एक ४३ कि.मी लम्बी रेल लाइन द्वारा जम्मू को सियालकोट से जोड़ा गया था, किन्तु १९४७ में भारत के विभाजन के बाद यह रेल लाइन बंद कर दी गयी क्योंकि सियालकोट से आवाजाही की कड़ी ही टूट गयी थी। उसके बाद जम्मू शहर में १९७१ तक कोई रेल सेवा नहीं थी। तभी भारतीय रेल ने पठानकोट-जम्मू तवी ब्रॉड गेज रेल लाइन डाली और अन्ततः १९७५ में एक बार फ़िरसे नये जम्मू-तवी रेलवे स्टेशन के साथ जम्मू शेष भारत से रेल द्वारा जुड़ गया। वर्ष २००० में पुराने रेलवे स्टेशन का अधिकांश भाग ध्वस्त कर वहां एक कला केन्द्र बनाया गया।[15]
जलवायु
सारांश
परिप्रेक्ष्य
शेष उत्तर-पश्चिम भारत की भांति ही, जम्मू में भी आर्द्र उपोष्णकटिबन्धीय जलवायु (Köppen: Cwa) ही है। यहां ग्रीष्मकाल में अधिकतम तापमान 46 °से. (115 °फ़ै), एवं शीतकालीन माहों में न्यूनतम तापमान हिमांक से नीचे भी जा सकता है। जून ग्रीष्मतम माह होता है जिसका औसत उच्च तापमान 40.6 °से. (105.1 °फ़ै) रहता है, जबकि जनवरी शीतलतम माह होता है जिसमें औसत न्यूनतम तापमान 7 °से. (45 °फ़ै) तक रहता है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग 42 इंच (1,100 मि॰मी॰) होती है, जिसमें से अधिकतम वर्षा जून से सितम्बर के बीच वर्षा ऋतु में होती है, जब भारत में मानसून आता है, हालांकि शीतकाल में भी कुछ वर्षाएं हो जाती हैं। सर्दियों के महिनों में गहन कोहरा एवं कुहासा (स्मॉग) लोगों को काफ़ी असुविधा करता है और तापमान 2 °से. (36 °फ़ै) तक गिर सकता है। ग्रीष्मकाल में विशेषकर मई तथा जून माह में, तेज धूप के साथ-साथ अच्छी गर्म हवाएं पारे को 46 °से. (115 °फ़ै) तक पहुंचा देती हैं, किन्तु इस तेज गर्मी से राहत देने वाला वर्षा-काल मानसून हवाओं के संग तेज बारिश तथा तड़ित व आंधी लेकर आता है। इस समय आर्द्रतम माहों की कुल वर्षा 669 मिलीमीटर (26.3 इंच) तक पहुंच सकती है।
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जनसंख्या
2024 में जम्मू शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 711,000 है, जबकि जम्मू मेट्रो की जनसंख्या 932,000 होने का अनुमान है। भारत की जनगणना की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में जम्मू की जनसंख्या 502,197 है।[16]
परिवहन
हवाईजहाज से:
शहर में एक हवाई अड्डा है और जम्मू और देश के कई अन्य शहरों के बीच नियमित उड़ानें चलती हैं। सभी एयरलाइंस विभिन्न शहरों को जोड़ने वाली जम्मू के लिए नियमित दैनिक उड़ानें संचालित करती हैं।
रेल द्वारा:
जम्मू तवी जम्मू-कश्मीर राज्य का एक महत्वपूर्ण रेल प्रमुख है और एक्सप्रेस और सुपर फास्ट ट्रेनों द्वारा देश के महत्वपूर्ण कस्बों और शहरों से जुड़ा हुआ है। जम्मू तवी से कन्याकुमारी भारत का दूसरा सबसे लंबा रेल मार्ग है जो देश के कुछ महत्वपूर्ण शहरों को छूता है।
सड़क द्वारा:
सड़क मार्ग से भी शहर तक पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए जम्मू जिले से होकर गुजरता है और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर सहित राज्य के बाकी हिस्सों को जोड़ता है। जम्मू से उत्तर भारत के लगभग सभी शहरों के लिए दैनिक बस सेवा उपलब्ध है।
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इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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