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फुटपाथ (2003 फ़िल्म)

2003 की विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

फुटपाथ (2003 फ़िल्म)
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फुटपाथ 2003 में बनी हिन्दी भाषा की अपराध केन्द्रित थ्रिलर फिल्म है। इसका निर्देशन विक्रम भट्ट द्वारा किया गया और ये आफ़ताब शिवदासानी, राहुल देव, बिपाशा बसु अभिनीत है। साथ ही ये इमरान हाश्मी की पहली फिल्म है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रही थी।

सामान्य तथ्य फुटपाथ, निर्देशक ...
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संक्षेप

सारांश
परिप्रेक्ष्य

फिल्म शुरू होती है अर्जुन सिंह (आफ़ताब शिवदासानी) के साथ, जो अपनी कहानी का वर्णन करता है। जब वो बच्चा था, वह मुम्बई के एक अपराध ग्रस्त क्षेत्र में अपने पिता के साथ रहता था जो मजदूरों के संघ नेता थे। दो लावारिस बच्चे रघु और शेखर, और उनकी बहन संजना उसके सबसे अच्छे दोस्त थे। लेकिन एक दिन उसके पिता की हत्या विरोधी संघ ने कर दी। अर्जुन अपने दोस्तों के साथ बदला लेता है और हत्यारे को मार देता है। वह जल्द ही दिल्ली चला जाता है। इस हत्या में अर्जुन प्रमुख संदिग्ध है और उन दो भाइयों ने उसे दिल्ली जाने के लिये कहा। वहाँ वह अपना नाम मोहन कुमार शर्मा कर लेता है और एक रियल एस्टेट एजेंट के रूप में नया जीवन शुरू करता है। वर्तमान में: 20 साल बीत गए हैं और पुलिस एक प्रस्ताव के साथ अर्जुन के पास पहुँची है। रघु और शेखर अब ड्रग डीलर हैं और पुलिस उनके माध्यम से अपराध की दुनिया के शीर्ष व्यक्ति तक पहुँचना चाहती है। वो इसमें अर्जुन की मदद चाहते हैं, ऐसा ना करने पर उस पर पिछली हत्या का आरोप लगाया जाएगा।

अनिच्छुक रूप से अर्जुन प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है। मुम्बई में रघु (इमरान हाश्मी) और शेखर (राहुल देव) खुले हाथों से उसका स्वागत करते हैं। वह लोग अब अपने आप में बड़े गैंगस्टर हैं। वह रघु के मुम्बई गिरोह में शामिल हो जाता है। एक तरफ वह संजना (बिपाशा बसु) के साथ रिश्ता बनाता है जिसने खुद को अपने भाइयों से अलग कर लिया है। लेकिन पुलिस निरीक्षक (अमन वर्मा) जिन्होंने अर्जुन को ये प्रस्ताव दिया था, उन्हें दोनों भाइयों को "मुठभेड़" में मारने का आदेश मिला है। तो अगर अर्जुन अपने दोस्तों को बचाना चाहता है तो उसे 30 दिनों के भीतर "बड़ी मछली" तक पहुँचना होगा। संजना, अर्जुन और अपने भाइयों को सीधे रास्ते पर लाना चाहती है और अर्जुन उससे सहमति जताता है। वह रघु को ये बात समझाना शुरू कर देता है; क्योंकि वो दोनों में से अधिक लचीला है। वह इसमें आंशिक रूप से सफल भी होता है। खासकर जब से, रघु रूमानी रूप से एक स्कूल शिक्षिका के साथ शामिल है। वो उसके साथ कुछ भी मतलब नहीं रखना चाहती जब तक कि वह सभी आपराधिक गतिविधियों को छोड़ नहीं देता। रघु गंभीरता से अपराध की दुनिया छोड़ने पर विचार करता है। लेकिन शेखर उसे एक अचंभित करने वाली खबर देता है, कि अर्जुन वह नहीं है जो वह दावा करता है - बल्कि सादे कपड़े में पुलिस अधिकारी है।

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मुख्य कलाकार

संगीत

सामान्य तथ्य Untitled ...

फ़िल्म में संगीत नदीम-श्रवण ने दिया है, जबकि गीत समीर ने लिखे हैं। एक गीत, "सूरत पे तेरी प्यार आवे", हिमेश रेशमिया द्वारा रचित है। गीत "चैन आपको मिला" इससे पहले नदीम श्रवण द्वारा 2003 की ही फ़िल्म हंगामा में भी प्रयोग किया गया था जहाँ इसे शान तथा साधना सरगम ने गाया था। फिल्म की संगीत एल्बम को टिप्स द्वारा 15 अगस्त 2003 को जारी किया गया था।[1]

सभी गीत समीर द्वारा लिखित।

अधिक जानकारी क्र॰, शीर्षक ...

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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