इतालवी एकीकरण
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इटली का एकीकरण, जिसे इटली भाषा में इल रिसोरजिमेंतो (Il Risorgimento, अर्थ: पुनरुत्थान) कहते हैं, १९वीं सदी में इटली में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान था जिसने इतालवी प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इटली राष्ट्र बना दिया। इस अभियान की शुरुआत और अंत की तिथियों पर इतिहासकारों में विवाद है लेकिन अधिकतर के मत में यह सन् १८१५ में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज के अंत पर होने वाले वियना सम्मलेन के साथ आरम्भ हुआ और १८७० में राजा वित्तोरियो इमानुएले की सेनाओं द्वारा रोम पर क़ब्ज़ा होने तक चला।[1] ध्यान दें कि १८७० के बाद भी कुछ इटली प्रदेश इस संगठित इटली में शामिल नहीं थे और वे प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ही उसका हिस्सा बने।[2]
दिनांक | 1848–1871 |
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अवश्थिति | Italy |
भागीदार | Italian society, Kingdom of Sardinia, Provisional Government of Milan, Republic of San Marco, Kingdom of Sicily, Roman Republic, Carboneria, French Empire, Red Shirts, Hungarian legion, Southern Army, United Provinces of Central Italy, Kingdom of Italy |
परिणाम |
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नेपोलियन के युद्धों के कारण इटलीवासियों ने एकता की भावना का अनुभव किया और उन्होंने अपने देश को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने का निश्चय किया। इसीलिए वहाँ राष्ट्रीयता और उदारवादी शक्तियों ने अनेक बार सिर उठाया, पर इन्हें कुचल दिया गया। रोम के प्राचीन गौरव का इतिहास लोगों को ज्ञात था। विद्या, कला और विज्ञान के क्षेत्र में वह प्राचीनकाल मेंं संसार का नेतृत्व करता था। अतः वे एक बार फिर से इटली को राष्ट्रशिरोमणि बनाने का सपना देखने लगे। यही कारण है कि अनेक कठिनाईयों और विफलताओं के बावजूद वहाँ राष्ट्रीय-एकीकरण का संघर्ष जारी रहा। अंतिम सफलता, प्रतिक्रियावाद के विरूद्ध उदारवाद और राष्ट्रीयता को मिली और इटली के एकीकरण का कार्य पूरा हो सका। इस एकीकरण का एक लंबा इतिहास है।