उमर
उम्र इब्न अल खत्ताब (इस्लाम के दूसरे ख़लीफ़ा) / From Wikipedia, the free encyclopedia
हजरत उमर इब्न अल-खत्ताब (अरबी में عمر بن الخطّاب), ई. (586–590 – 644) हजरत मुहम्मद साहब के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से थे। वो हजरत अबु बक्र के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गये। मुहम्मद सल्ल. ने हजरत उमर को फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला है। मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका नाम हजरत अबु बक्र के बाद आता है। उमर खुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे खलीफा चुने गए। उमर खुलफा-ए-राशिदीन में सबसे सफल खलीफा साबित हुए। मुसलमान इनको फारूक-ए-आजम तथा अमीरुल मुमिनीन भी कहते हैं। युरोपीय लेखकों ने इनके बारे में कई किताबें लिखी हैं तथा उमर महान (Umar The Great) की उपाधी दी है।
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सामान्य तथ्य उमर इब्न अल-खत्ताब, राशिदून खलीफा में से एक खलीफा ...
उमर इब्न अल-खत्ताब | |||||
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सत्य और असत्य में फर्क करने वाला (अल-फारूक); अमीरुल मूमिनीन [1] | |||||
राशिदून खलीफा में से एक खलीफा | |||||
शासनावधि | 23 अगस्त 634 ई – 3 नवंबर 644 ई | ||||
पूर्ववर्ती | अबु बकर | ||||
उत्तरवर्ती | उस्मान बिन अफ्फान | ||||
जन्म | c. 583 CE मक्का, अरेबिया द्वीपकल्प | ||||
निधन | 3 नवंबर 644 CE (26 Dhul-Hijjah 23 AH)[2] मदीना, अरेबिया, राशिदून साम्राज्य | ||||
समाधि | |||||
जीवनसंगी | |||||
संतान |
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पिता | खत्ताब इब्न नुफैल | ||||
माता | हंतमा बिंते हिशाम |
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